Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के संकट से जोड़कर क्यों वायरल की जा रही 36 साल पुरानी ये ऐतिहासिक तस्वीर?

आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में राजनीति उथल-पुथल के बीच फिलीपींस में 1986 में हुई जनक्रांति की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है। श्रीलंका के तख्तापलट को फिलीपींस के जन आंदोलन जैसा माना जा रहा है।

कोलंबो. यह तस्वीर फिलीपींस में 1986 में हुई जनक्रांति के बाद राष्ट्रपति भवन यानी मलकानांग पैलेस(MALACANANG PALACE) पर आंदोलकारियों के कब्जे की है। जिस कुर्सी पर लोग बैठे हैं, वो तत्कालीन प्रेसिडेंट फेरदिनानद मारकोस(Ferdinand Marcos) की है। वे फिलीपींस के 10वें राष्ट्रपति थे। 20वीं सदी के सबसे विवादास्पद नेताओं में से एक मार्कोस का शासन अपने भ्रष्टाचार के लिए बदनाम था। अब यही स्थिति श्रीलंका में दुहराई गई है। इस तस्वीर के साथ श्रीलंका की स्थिति की तुलना करते हुए लिखा गया-फिलीपींस 1986। 2022 में श्रीलंका। कुछ चीजें नहीं बदलती हैं-और चोरों और भ्रष्ट तानाशाह को बाहर करना दुनिया के लोगों के लिए एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है।

इस अफरा-तफरी के बीच गोटाबाया राजपक्षे के भाई बासिल राजपक्षे सोमवार को देश छोड़ कर अमेरिका भागने की कोशिश में थे। हालांकि एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन स्टाफ के विरोध के चलते उन्हे लौटना पड़ा। बासिल ने अमेरिका जाने के लिए 1.13 लाख श्रीलंकाई रुपए में बिजनेस क्लास के चार टिकट बुक कराए थे। इस बीच  प्रमुख विपक्षी पार्टी समागी जाना बालवेगया (SJB) के प्रमुख सजित प्रेमदासा श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किए गए हैं। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 20 जुलाई को होगा। गोटबाया 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। 15 जुलाई को संसद का सत्र बुलाया जाएगा।

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यह है इस समय श्रीलंका का माहौल
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) अब भी देश में हैं। संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने(Mahinda Yapa Abeywardena) के कार्यालय ने कहा कि मीडिया की अटकलें हैं कि संकटग्रस्त नेता देश छोड़कर भाग गए होंगे, जो कि एक गलत बयान के कारण हुआ। 73 वर्षीय राजपक्षे ने अभी औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दिया है। हालांकि वे कहां छुपे हैं, इसकी किसी को जानकारी नहीं है। हालांकि अब अभयवर्धने के कार्यालय ने कहा कि उन्होंने देश नहीं छोड़ा था। यह भ्रम संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने द्वारा की गई गलती से हुआ, जिन्होंने कहा था कि वह देश छोड़ चुके हैं, लेकिन बुधवार तक अपना इस्तीफा देने के लिए वापस आ जाएंगे। अभयवर्धन ने बाद में अपनी गलती को सुधारा।

20 जुलाई को होगा नए राष्ट्रपति का चुनाव
अभयवर्धने ने बताया कि देश में 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा। इससे पहले गोटबाया 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे और 15 जुलाई को संसद का सत्र बुलाया जाएगा। 76 वर्षीय अभयवर्धने ने बाद में कहा कि सुरक्षा कारणों से वह राष्ट्रपति की मौजूदगी वाली जगह का खुलासा नहीं कर सकेंगे।  इधर, राजपक्षे ने शनिवार को स्पीकर को सूचित किया कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। अध्यक्ष के कार्यालय ने कहा कि संसद ने प्रक्रिया के अनुसार उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए सभी इंतजाम किए हैं।सूत्रों के अनुसार, राजपक्षे इस समय श्रीलंकाई नौसेना की सुरक्षा में हैं।

यह हो चुकी है श्रीलंका का हालत
22 मिलियन लोगों का देश श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल की चपेट में है, जो सात दशकों में सबसे खराब है। लाखों लोग भोजन, दवा, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजें खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आर्थिक कुप्रबंधन के आरोपों पर देश के नेताओं से इस्तीफा देने का आह्वान करते हुए हाल के महीनों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। वे संकट के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार ठहराते हैं। स्कूलों को निलंबित कर दिया गया है और ईंधन को आवश्यक सेवाओं तक सीमित कर दिया गया है। ईंधन की कमी के कारण मरीज अस्पतालों में जाने में असमर्थ हैं और भोजन की कीमतें बढ़ रही हैं। कोलंबो सहित कई प्रमुख शहरों में, सैकड़ों लोग ईंधन खरीदने के लिए घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर हैं, कभी-कभी बेसब्र लोग पुलिस और सेना से भिड़ जाते हैं। श्रीलंका भयंकर विदेशी मुद्रा संकट(foreign currency crisis) के चलते अपना कर्ज नही चुका पा रहा है। अप्रैल में घोषणा की थी कि वह इस वर्ष के लिए 2026 तक लगभग 25 बिलियन अमरीकी डालर में से लगभग 7 बिलियन अमरीकी डालर के विदेशी कर्ज चुकाने में अक्षम है। श्रीलंका का कुल विदेशी ऋण 51 बिलियन अमरीकी डालर है। 

जानिए श्रीलंका में पिछले 4 महीन में क्या-क्या हुआ?
31 मार्च 2022: 
आर्थिक संकट गहराने पर श्रीलंका में प्रदर्शन का दौर 

1 अप्रैल: राष्ट्रपति गोठबाया राजपक्षे ने नेशनवाइड इमरजेंसी का ऐलान किया

3 अप्रैल: मंत्रिमंत्रडल भंग किया गया, लेकिन PM महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार किया

9 अप्रैल: PM ऑफिस के बाहर जबर्दस्त प्रदर्शन

9 मई: हिंसा होने के बाद PM महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा

9 जुलाई: प्रदर्शनकारी ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा किया, PM रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे का ऐलान किया

10 जुलाई: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागे

11 जुलाई: संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने बताया कि देश में 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश में ही मौजूद

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