Luna-25 के चांद पर क्रैश होने का सदमा लगने से एक टॉप रूसी वैज्ञानिक को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा है। वैज्ञानिक लंबे वक्त से रूस के मिशन मून के लिए काम कर रहे हैं।
मॉस्को। भारत के मिशन मून से रेस लगाते हुए रूस ने करीब पांच दशक बाद अपना चंद्र अभियान शुरू किया था। रूस ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंड करने के लिए लूना-25 (Luna-25) को भेजा था, लेकिन यह क्रैश हो गया। इस असफलता से मिशन में मुख्य भूमिका निभा रहे टॉप रूसी वैज्ञानिक को ऐसा सदमा लगा कि उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। उनका इलाज चल रहा है।
इस वैज्ञानिक का नाम मिखाइल मारोव है। 90 साल के मिखाइल का इलाज मॉस्को के सेंट्रल क्लिनिकल हॉस्पिटल में चल रहा है। मून मिशन की विफलता के बाद उनके स्वास्थ्य में भारी गिरावट आई थी। इसके कारण उन्हें शनिवार को अस्पताल ले जाया गया था।
मिखाइल ने रूसी मीडिया से कहा, "मेरे स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है। मैं चिंता कैसे नहीं कर सकता? यह सब बहुत कठिन है। यह दुखद है कि लूना-25 को चांद पर उतारना संभव नहीं हो सका। मेरे लिए शायद यह हमारे मून मिशन का पुनरुद्धार देखने की आखिरी उम्मीद थी।"
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रोस्कोस्मोस कर रही लूना-25 हादसे की जांच
मिखाइल ने सोवियत संघ के लिए पिछले अंतरिक्ष अभियानों पर काम किया था। लूना-25 के रूप में रूस ने 47 साल बाद अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर भेजा था। रविवार को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने पुष्टि की कि लूना-25 हादसे का शिकार हो गया है। रोस्कोस्मोस ने कहा था कि शनिवार शाम 05:27 बजे लूना-25 से उसका संपर्क टूट गया था। प्री-लैंडिंग ऑर्बिट बदलने के दौरान तकनीकी खराबी आई थी। लूना-25 को 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना था। रोस्कोस्मोस ने दुर्घटना के कारणों की मंत्रिस्तरीय जांच की भी घोषणा की थी।
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