
Toronto Khalistani Rally 2025: कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की विदाई और नई सरकार के बनने के बाद भी भारत के साथ संबंध सुधरने की बजाय बिगड़ते चले जा रहे। सोमवार को टोरंटो में खालिस्तानी सपोर्टर्स ने एक भड़काऊ रैली निकाली। रैली में पीएम मोदी, विदेश मंत्री एस.जयशंकर और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भड़काऊ पोस्टर और फ्लोट्स का प्रदर्शन कर लोगों को उकसाया गया।
रैली के वायरल वीडियो में एक ट्रॉली पर जेल के डिजाइन जैसा फ्लोट दिखाया गया जिसमें इन तीनों नेताओं के कटआउट सलाखों के पीछे रखे गए थे। सबसे चौंकाने वाला दृश्य था एक बड़ा पोस्टर जिसमें तीनों को जान से मारने की धमकी लिखी गई थी।
इस रैली के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत ने नई दिल्ली स्थित कनाडा उच्चायोग को तलब कर Toronto Khalistani Rally 2025 में इस्तेमाल की गई भाषा और हिंसात्मक पोस्टर्स पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा से उन तत्वों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उग्रवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं। एएनआई के अनुसार, भारत ने कहा कि हम एक बार फिर कनाडा के अधिकारियों से उन भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं जो नफरत फैलाते हैं और उग्रवाद और अलगाववादी एजेंडे की वकालत करते हैं।
रैली की पृष्ठभूमि में खालिस्तानी अलगाववादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) की गतिविधियां और उसके नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू का वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत ने Pahalgam Terror Attack के जवाब में पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई की तो वह अंतिम युद्ध होगा।
पन्नू ने संयुक्त राष्ट्र से Khalistan Referendum की मांग की और सिख सैनिकों से भारत के लिए लड़ने से इनकार करने की अपील भी की थी। भारत सरकार पहले ही पन्नू को आतंकवादी घोषित कर चुकी है और SFJ को प्रतिबंधित कर चुकी है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके बाद खालिस्तानी समूहों द्वारा भारत के खिलाफ उग्र बयानबाज़ी तेज हो गई है। Toronto Khalistani Rally 2025 उसी बढ़ती आक्रोश की कड़ी मानी जा रही है।
पिछले कुछ वर्षों से भारत और कनाडा के रिश्ते खालिस्तान मुद्दे को लेकर लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। भारत ने कनाडा पर कई बार आरोप लगाया है कि वह अपनी धरती पर सक्रिय Khalistani Separatist Movement को नज़रअंदाज़ कर रहा है। इससे न सिर्फ भारत की संप्रभुता को खतरा है, बल्कि कनाडा में रह रहे लाखों भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।
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