
यूरोपीय देशों की चिंताओं को सही साबित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक नया पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी किया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर यूरोप ने अपनी पश्चिमी पहचान नहीं बचाई, यानी उनके रास्ते पर नहीं चला, तो उसका वजूद ही खत्म हो जाएगा। मतलब, 20 साल के अंदर यूरोप को पहचानना मुश्किल हो जाएगा। एक और बात है, चीन के साथ सत्ता बांटने के लिए तैयार होना और रूस के साथ शांति कायम करना। यही वो 'खूबसूरत दुनिया' है जिसका सपना अमेरिकी राष्ट्रपति देख रहे हैं।
वैसे तो अमेरिकी राष्ट्रपति के नजरिए को बताने वाला पॉलिसी डॉक्यूमेंट आना एक आम बात है। इसमें भविष्य की नीतियां और उसके लिए जरूरी फंड का जिक्र होता है। लेकिन, इस डॉक्यूमेंट में यूरोप के लिए चेतावनियां ज्यादा हैं। यह संयुक्त राष्ट्र में दिए गए उनके पिछले भाषण जैसा ही है। ट्रंप इसे 'रोड मैप' बताते हैं कि अमेरिका को जीत का झंडा फहराते रहने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। इस पर जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने जवाब दिया, 'हमें सलाह नहीं चाहिए'।
ट्रंप के रोड मैप में कहा गया है कि यूरोप को अपनी मौजूदा नीतियां बदलनी होंगी। बड़े पैमाने पर हो रहे इमिग्रेशन और विदेशी असर को रोकना होगा, ड्रग्स कार्टेल को खत्म करना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि अगर इन कामों को करने के लिए यूरोप ने अमेरिका का साथ नहीं दिया, तो वहां का नागरिक समाज ही खत्म हो जाएगा। राष्ट्रपति अपने इस बयान से एक बेहद असहिष्णु और कट्टर दक्षिणपंथी सोच को साफ कर रहे हैं।
(जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल)
ट्रंप का आरोप है कि यूरोप समेत दूसरी ट्रांस-नेशनल व्यवस्थाएं राजनीतिक आजादी और संप्रभुता को कमजोर कर रही हैं। उनकी इमिग्रेशन नीतियां जन्मसिद्ध अधिकारों को खत्म कर रही हैं। ट्रंप के लिए एकमात्र उम्मीद राष्ट्रवादी पार्टियों का उभार है। राष्ट्रपति ने दुनिया भर में सेना की तैनाती में भी बदलाव की मांग की है। ट्रंप चाहते हैं कि जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देश अपनी रक्षा पर ज्यादा खर्च करें।
सब कुछ मिलाकर देखें तो नीति साफ है। मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर को बदलना, अब खतरे पहले जैसे नहीं हैं, और उस व्यवस्था को बदलना जिसमें अमेरिका को सबको सहारा देना पड़ता है। यही उनकी अपील है। लेकिन, इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने कहा कि बाहर से सलाह नहीं चाहिए। अमेरिकी मीडिया भी सख्त है। सवाल यह है कि इस नई नीति में अमेरिका की जगह क्या है? मजाक उड़ाया जा रहा है कि क्या अमेरिका सिर्फ एक 'भौंकने वाला कुत्ता' बनकर रह गया है। यह भी आलोचना हो रही है कि यह उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में दिए गए भाषण जैसा ही है।
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