UAE ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष यान Hope ने मंगल ग्रह की कक्षा में किया प्रवेश

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगल ग्रह (Mars) पर अपना अंतरिक्ष यान होप (Hope) सफलतापूर्वक भेज कर इतिहास रच दिया है। यूएई का अतंरिक्ष यान मंगलवार देर रात मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2021 5:57 AM IST

इंटरनेशनल डेस्क। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगल ग्रह (Mars) पर अपना अंतरिक्ष यान होप (Hope) सफलतापूर्वक भेज कर इतिहास रच दिया है। यूएई का अतंरिक्ष यान मंगलवार देर रात मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूएई के पहले इंटरप्लेनेटरी अंतरिक्ष यान 'होप प्रोब' (Hope Probe) मंगल ग्रह के करीब पहुंचा और पहली ही कोशिश में कक्षा में प्रवेश कर गया। यह संयुक्त अरब अमीरात का पहला मार्स मिशन था। 'होप प्रोब' मार्स मिशन ने इसके बाद एक संकेत भेज कर मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने की पुष्टि की। 

ट्वीट कर दी जानकारी
मंगल मिशन (Hope Mars Mission) की सफलता की जानकारी मिशन के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पुर दी गई। ट्वीट में लिखा गया - "सफलता! #HopeProbe के साथ संपर्क फिर से स्थापित हो गया है। मार्स ऑर्बिट इंसर्शन अब पूरा हो गया है।" बता दें कि यूएई दुनिया का पांचवां ऐसा देश बन गया है, जिसने अपने अतंरिक्ष यान को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा दिया। अरब देशों में यह उपलब्धि हासिल करने वाला वह पहला देश है।

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पहला ग्लोबल वेदर मैप करेगा तैयार
इस अंतरिक्ष यान का नाम होप है, जिसे अरबी भाषा में अमल कहा जाता है। यान ने मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के लिए करीब 7 महीने में 300 मिलियन (30 करोड़) मील की यात्रा की। इसे मंगल ग्रह का पहला ग्लोबल वेदर मैप तैयार करने के मकसद से भेजा गया है।

कब हुई मिशन की शुरुआत
होप मार्स मिशन की शुरुआत साल 2014 में यूएई के राष्ट्रपति हिज हाईनेस शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान और हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने शुरू की थी। इसे सबसे बड़ी वैज्ञानिक पहल माना गया।

जताया आभार
मार्स मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर और यूएई के उन्नत विज्ञान राज्य मंत्री सारा बिंट यूसेफ अल अमीरी ने इस मिशन की सफलता पर वैज्ञानिकों के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि मैं अंतरिक्ष यान के प्रदर्शन के लिए आभारी हूं। यह एक ऐतिहासिक सफलता है। बता दें कि इस मिशन के लिए करीब 200 अमीराती वैज्ञानिक काम कर रहे थे और इससे करीब 450 विशेषज्ञ जुड़े थे। सारा बिंट यूसेफ अल अमीरी ने इस वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास बताया। 

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