युद्ध के बावजूद भारत को रूस से मिले मिलिट्री इक्विपमेंट और स्पेयर पार्ट्स की सर्विसिंग में कोई दिक्कत नहीं

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा( UN General Assembly) की बैठक में शामिल होने इस समय अमेरिका में हैं। इस बीच उन्होंने इस मीटिंग और बाहर मीडिया के सामने कइ अहम मुद्दे उठाए। इनमें रूस से मिलिट्री इक्विपमेंट और स्पेयर पार्ट्स का मुद्दा भी शामिल है।

वाशिंगटन. यूक्रेन-रूस युद्ध के बावजूद भारत ने अपने मित्र देश रूस को लेकर सारी शंकाओं को खारिज कर दिया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) संयुक्त राष्ट्र महासभा( UN General Assembly) की बैठक में शामिल होने इस समय अमेरिका में हैं। इस बीच उन्होंने इस मीटिंग और बाहर मीडिया के सामने कई अहम मुद्दे उठाए। इनमें रूस से मिलिट्री इक्विपमेंट और स्पेयर पार्ट्स का मुद्दा भी शामिल है।

मिलिट्री इक्विपमेंट, स्पेयर पार्ट्स की सर्विसिंग में रूस के साथ कोई कठिनाई नहीं
भारत ने मंगलवार(27 सितंबर) को कहा कि वह एक विकल्प चुनता है, जिसे वह अपने राष्ट्रीय हित में मानता है। उसे यूक्रेन में युद्ध के बाद सैन्य उपकरणों और कल-पुर्जों की सर्विसिंग में रूस के साथ कोई कठिनाई नहीं है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा-"सैन्य उपकरणों पर (रूस से), मेरी जानकारी के अनुसार मुझे नहीं लगता कि हाल के महीनों में हमें सर्विसिंग और उपकरणों की स्पेयर पार्ट्स सप्लाई के मामले में किसी विशेष समस्या का सामना करना पड़ा है। जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ ज्वाइंट न्यूज कॉन्फ्रेंस में मीडिया से यह बात कही। उन्होंने कहा, "हमें अपने सैन्य उपकरण और प्लेटफॉर्म कहां से मिलते हैं, यह कोई मुद्दा नहीं है। ईमानदारी से, एक एक नया मुद्दा यह है कि विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनाव(geopolitical tensions) के कारण बदल गया है।"

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विदेश मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया भर में संभावनाओं को देखता है। "हम टेक्नोलॉजी की क्वालिटी, क्वालिटी की कैपिसिटी और उन शर्तों को देखते हैं, जिन पर वह स्पेशली इक्विपमेंट् ऑफर(बेचना) किया जाता है। हम एक विकल्प का प्रयोग करते हैं, जो हमें लगता है कि हमारे राष्ट्रीय हित में है। उदाहरण के लिए, पिछले 15 वर्षों में भारत ने वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका से बहुत कुछ खरीदा है। एयरक्रॉफ्ट सी-17, सी-130, पी-8, अपाचे हेलीकॉप्टर या चिनूक या हॉवित्जर, एम777 हॉवित्जर। हमने हाल में ही में फ्रांस से राफेल एयरक्रॉफ्ट खरीदा। हमने ऐसा ही इज़राइल से किया है।"  जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, "इसलिए, हमारे पास मल्टी-सोर्सिंग की परंपरा है और प्रतिस्पर्धी स्थिति में अधिकतम सौदा(optimal deal) कैसे प्राप्त किया जाए।"

क्लाइमेट चेंज को लेकर चिंता
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत और अमेरिका को मौजूदा वैश्विक घटनाक्रम से निरंतर विकास के 2030 एजेंडा को खतरे में नहीं डालने देना चाहिए। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के साथ ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान ग्लोबल साउथ में ईंधन, भोजन और उर्वरकों पर गहरी चिंताओं के बारे में बातचीत के अपने अनुभव को शेयर किया।

उन्होंने कहा, "ग्रीन ग्रोथ, डिजिटल डेवलपमेंट और अफोर्डेबल हेल्थ का बढ़ता महत्व आज बहुत क्लियर है। हमें मौजूदा घटनाक्रमों को एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य-Sustainable Development Goals) पर एजेंडा 2030 को खतरे में डालने या क्लाइमेट एक्शन और क्लाइमेट जस्टिस को लेकर कमिटमेंट्स पर विचलित नहीं होने देना चाहिए।" ब्लिंकेन ने कहा कि दोनों देश जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन( non-fossil fuel) क्षमता स्थापित करने का भारत का लक्ष्य शामिल है। इसका मतलब यह होगा कि भारत की 60 प्रतिशत से अधिक बिजली गैर-प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों से आती है।"

अमेरिका चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को और अधिक समावेशी बनाया जाए
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन(US Secretary of State Antony Blinken) ने मंगलवार(27 सितंबर) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(United Nations Security Council ) को और अधिक समावेशी(inclusive) बनाने की जरूरत पर बल दिया। ब्लिंकेन ने विदेश दौरे पर आए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक ज्वाइंट न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम मानते हैं कि जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं, उनका सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को न केवल चार्टर का पालन करना चाहिए, बल्कि सुरक्षा परिषद को और अधिक समावेशी बनाने सहित संस्थान को मार्डनाइज भी करना चाहिए। इसीलिए, काउंसिल को अपने संबोधन में राष्ट्रपति (जो) बिडेन ने सिक्योरिटी काउंसिल के परमानेंट और नन-परमानेंट दोनों प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने के लिए अपना समर्थन जताया है, जो भारत का एक दीर्घकालिक लक्ष्य है।" टॉप अमेरिकन डिप्लोमेट ने कहा, "इसमें उन देशों के लिए स्थायी सीटें शामिल हैं, जिनका हमने लंबे समय से समर्थन किया है। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन के देशों के लिए स्थायी सीटें हैं।"

न्यूयॉर्क से वाशिंगटन सिटी पहुंचे जयशंकर ने इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा सेशन में भाग लेते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार एक विशेष रूप से सामयिक विषय है। उन्होंने इस न्यूज कॉन्फ्रेंस में अमेरिका की पहल को सराहा। जयशंकर ने कहा- "हम इस मुद्दे पर अमेरिका के सकारात्मक दृष्टिकोण की सराहना करते हैं, जो खुद राष्ट्रपति बिडेन द्वारा व्यक्त की गई स्थिति में नजर आता है। हम इसे और आगे ले जाने के लिए अमेरिका के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।" जयशंकर ने कहा-"मैंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने के सवाल पर अमेरिका से मिले मजबूत सहयोग की भी सराहना की। विशेष रूप से, मैं संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध प्रक्रिया द्वारा कुख्यात और वांटेड आतंकवादियों की सूची का उल्लेख करता हूं।" 

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