तालिबान को अफगानिस्तान सौंपने के लिए अमेरिका ने किया था समझौता, जानिए क्यों टूट गया अफगानी सेना का अचानक मनोबल

Taliban ने बीते अगस्त महीना में अफगानिस्तान पर पूर्ण कब्जा जमा लिया था। काफी दिनों तक चले गृह युद्ध में तालिबान, उस वक्त अचानक भारी पड़ने लगा जब यूएस सेना के वापसी का ऐलान कर दिया गया। एक संस्था ने खुलासा किया है कि अमेरिका और तालिबान में समझौता हुआ था जिसके तहत अफगानिस्तान की सत्ता उसे मिली। 

Dheerendra Gopal | Published : May 19, 2022 2:30 PM IST

वाशिंगटन। अफगानिस्तान को लेकर एक चौकाने वाली रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन व बिडेन प्रशासन को तालिबान के साथ समझौता को घातक बताया गया है। बताया गया है कि पिछले साल अगस्त में अफगान सेना के पतन का सबसे बड़ा कारक ट्रम्प प्रशासन द्वारा हस्ताक्षरित तालिबान के साथ एक समझौते के माध्यम से अफगानिस्तान से बलों और ठेकेदारों को वापस लेने का अमेरिकी निर्णय था और बिडेन प्रशासन ने उसे क्रियान्वयित किया। रिपोर्ट अमेरिकन वॉचडाग ने दी है। 

अमेरिकी सेना की वापसी ने अफगान सेना के मनोबल को तोड़ दिया

अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए विशेष महानिरीक्षक, या SIGAR के आकलन के अनुसार अमेरिकी प्रशासन ने यूएस सेना की वापसी का ऐलान कर तालिबान का मनोबल बढ़ा दिया। अमेरिकी सेना की वापसी ने अफगान सेना के मनोबल को नष्ट कर दिया क्योंकि यह अमेरिकी सैन्य समर्थन पर निर्भर था।

SIGAR ने पाया कि अगस्त 2021 में ANDSF (अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बल) के पतन में सबसे महत्वपूर्ण कारक अमेरिका था। डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी 2020 में यूएस-तालिबान समझौते पर हस्ताक्षर करके अफगानिस्तान से सैन्य बलों और ठेकेदारों को वापस लेने का निर्णय लिया था। प्रेसिडेंट बिडेन ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद अप्रैल 2021 में सेना के वापसी का ऐलान कर दिया। रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णयों और उसके क्रियान्वयन को दोषी ठहराते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने सभी अमेरिकी बलों को वापस लेने के लिए इस्लामी तालिबान के साथ एक समझौता किया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, अफगान बलों को अमेरिकी सैन्य समर्थन कम हो गया, जिसमें पिछले वर्ष के रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद 2020 में हवाई हमलों में गिरावट भी शामिल है। अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के विशेष महानिरीक्षक जॉन सोपको ने कहा कि अगले वर्ष यूएस-तालिबान समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हवाई हमलों को सीमित करने से तालिबान को दूर रखने में ANDSF को कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं हुआ।

अगस्त में तालिबान ने किया था अफगानिस्तान पर कब्जा

अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया। अफगानिस्तान सरकार के जिम्मेदार रातों रात देश छोड़कर फरार हो गए। अमेरिका ने भी अपने बचे खुचे सैनिकों को कुछ महीनों में हटा लिया। अमेरिकी सेना को हटाने के पीछे प्रेसिडेंट बिडेन ने तर्क दिया था कि अफगानिस्तान में युद्ध को 20 साल की लड़ाई के बाद बंद करने की जरूरत है, जिसमें अमेरिकी लोगों की जान चली गई थी। काफी संसाधनों का ह्रास हुआ है। 

यह भी पढ़ें:

रुपया अबतक के सबसे निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले दस दिनों में पांचवां रिकार्ड गिरावट

ज्ञानवापी केस: सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देने में छूटा पसीना, SG ने कहा- मी लार्ड,रिपोर्ट नहीं पढ़ी...

Share this article
click me!