अमेरिका ने दी 31 MQ-9B गार्डियन ड्रोन भारत को बेचने की मंजूरी, 4 बिलियन डॉलर में हुआ है सौदा

Published : Feb 02, 2024, 07:18 AM ISTUpdated : Feb 03, 2024, 08:48 AM IST
MQ-9B Sea Guardian drones

सार

अमेरिका ने भारत को 31 MQ-9B गार्डियन ड्रोन बेचने को मंजूरी दे दी है। ये ड्रोन हथियारों से लैस होंगे। इसके लिए करीब 4 बिलियन डॉलर में सौदा होना है। 

वाशिंगटन। अमेरिका ने भारत को 31 MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन बेचने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए करीब 4 बिलियन डॉलर में सौदा होना है। ये ड्रोन हथियार से लैस हैं। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने संभावित बिक्री के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को बताते हुए जरूरी सर्टिफिकेशन दे दिया है।

पिछले साल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे। इस दौरान 31 MQ-9B स्काई गार्डियन ड्रोन खरीदने को लेकर बात हुई थी। ड्रोन खरीद के लिए सरकार-से-सरकार के बीच हुए सौदे को बाइडेन प्रशासन की मंजूरी मिली है। अमेरिका के रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने कहा कि इस सौदे से अमेरिका और भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। इन ड्रोन से भारत की समुद्री मार्गों की निगरानी और गश्ती की क्षमता बढ़ेगी। भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा।

MQ-9B ड्रोन के सौदे पर करीब छह साल से काम चल रहा है। 31 ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना द्वारा किया जाएगा। अमेरिकी एजेंसी द्वारा मंजूरी ऐसे समय में आई है जब मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा था कि अमेरिका ने इस सौदे को रोक दिया है। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून को मारने की कथित असफल साजिश के चलते ऐसा किया गया है।

भारतीय नौसेना को मिलेंगे 15 सी गार्डियन ड्रोन

भारत अमेरिका से 31 MQ-9B ड्रोन खरीद रहा है। इनमें से 15 MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन हैं। ये नौसेना को मिलेंगे। सेना और वायु सेना को 8-8 MQ-9B स्काई गार्डियन ड्रोन मिलेंगे। MQ-9B का निर्माण अमेरिका की निजी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल द्वारा किया गया है।

MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन है। इसका इस्तेमाल हमला करने के साथ ही टोही, निगरानी और खुफिया अभियानों के लिए किया जा सकता है। यह लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है। MQ-9B ड्रोन अपने साथ चार लेजर-गाइडेड हेलफायर मिसाइलें या 450 किलोग्राम का बम भी ले जा सकता है। इन ड्रोनों के आने के बाद चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी की क्षमता बढ़ जाएगी।

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