CAA को लेकर अमेरिका ने जताई चिंता, भारत के लागू करने की प्रक्रिया पर रखेगा कड़ी नजर

बीजेपी शासित केंद्र सरकार ने बीते सोमवार 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू किया था। इस कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दिए जाने का काम किया जाएगा।

अमेरिका। अमेरिका ने भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम (अमेरिका) विवादास्पद कानून के लागू करने की प्रक्रिया पर बारीकी से निगरानी कर रहा है। गुरुवार (14 मार्च)  को जारी एक बयान में मैथ्यू मिलर ने संवाददाताओं से बात करते हुए बताया कि हम 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम  (CAA) की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं।" हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा, क्योंकि धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।

बता दें कि बीजेपी शासित केंद्र सरकार ने बीते सोमवार 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू किया था। इस कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दिए जाने का काम किया जाएगा। इस कानून के लागू किए जाने पर देश भर के विपक्ष दलों ने इसका जमकर विरोध किया। इस पर केंद्र सरकार ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि सीएए उनकी नागरिकता की स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा और आश्वासन दिया कि इसका समुदाय पर कोई असर नहीं होगा।

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CAA का उद्देश्य मुख्य रूप से नागरिकता देना- बीजेपी

बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लगातार कहा है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम  (CAA) का उद्देश्य मुख्य रूप से नागरिकता देना है और आश्वस्त किया है कि इस कानून के परिणामस्वरूप देश का कोई भी नागरिक अपनी नागरिकता नहीं खोएगा। इसके अलावा कल ANI को दिए एक इंटरव्यू में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश को मुसलमानों को CAA से डरने की जरूरत नहीं है। ये नागरिकता देने वाला कानून है, न कि छीनने वाला। गृह मंत्री ने कहा कि विपक्षी दल CAA को लेकर देश भर में भ्रम फैलाने का काम कर रही है। हालांकि, मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि ये बिलकुल संवैधानिक कानून है।

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