सुहास सुब्रमण्यम: इमिग्रेशन से लेकर टैरिफ तक, जानें क्या है इनका नज़रिया?

अमेरिकी कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने इमिग्रेशन सिस्टम में बदलाव और ट्रंप प्रशासन के टैरिफ के खिलाफ आवाज उठाई है। ईस्ट कोस्ट से चुने गए पहले भारतीय-अमेरिकी सांसद होने के नाते, वे संघीय नौकरियों में कटौती का भी विरोध कर रहे हैं।

वाशिंगटन: अमेरिकी कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने अमेरिकी इमीग्रेशन सिस्टम में बदलाव की वकालत की है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय ट्रेड पर टैरिफ लगाए जाने का विरोध किया है। सुहास सुब्रमण्यम, वर्जीनिया के 10वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से निर्वाचित घोषित किए गए है और वे ईस्ट कोस्ट से निर्वाचित होने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी हैं।

इमीग्रेशन सिस्टम में बदलाव की वकालत

सुहास सुब्रमण्यम ने अमेरिकी आव्रजन प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की भी वकालत करते हुए कहा कि मैं आव्रजन के बारे में बहुत कुछ सुन रहा हूं, खासकर एच-1बी वीजा पर रहने वाले लोग जो नागरिकता और ग्रीन कार्ड पाने का रास्ता तलाश रहे हैं। कम से कम स्थिति में तो बदलाव होना चाहिए। हमें यूएसए में इमीग्रेशन सिस्टम में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। हमें लीगल इमीग्रेशन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। सुब्रमण्यम ने कहा कि बिना दस्तावेज के गलत तरीके से हमारी सीमाओं में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों की सबसे अधिक चर्चा है। हमें अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने की आवश्यकता है।

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फेडरल जॉब्स में कटौती का विरोध

सुहास सुब्रमण्यम ने कहा कि वे आने वाले ट्रम्प प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर संघीय नौकरियों में कटौती करने के किसी भी कदम का विरोध करेंगे और संघीय कार्यबल के हिमायती बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में अगर सरकारी बदलाव हो तो इसका मतलब यह न हो कि कर्मचारियों की नौकरी में कटौती हो या उनके कांट्रैक्ट रद्द हो।

भारत पर टैरिफ लगाने के खिलाफ

सुहास सुब्रमण्यम ने कहा कि वह भारत पर टैरिफ लगाने के खिलाफ हैं। अगर ऐसा हुआ तो दोनों देशों के बीच ट्रेड वार छिड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मैं भारत पर टैरिफ लगाने का समर्थन नहीं करता। मुझे लगता है कि यह वास्तव में बुरा होगा। इससे व्यापार युद्ध छिड़ जाएगा। और मुझे नहीं लगता कि यह किसी भी देश के लिए अच्छा है। बहुत सारे व्यवसाय हैं जो भारत में वास्तव में बहुत अच्छा काम करते हैं और बहुत सारी भारतीय कंपनियां अमेरिका में विस्तार कर रही हैं। इसलिए जितना अधिक दोनो देश आर्थिक रूप से एक साथ काम करेंगे, हम उतने ही मजबूत होंगे।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के टैरिफ ढांचे पर निशाना साधा था। उन्होंने और चीन और भारत जैसे देशों पर टैरिफ टैक्स लगाने की बात कही थी। ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद भारतीय एक्सपोर्ट पर हाई टैरिफ की आशंका जताई जा रही है।

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