
पेंटागन। अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों पर एक बार फिर बड़ा राजनीतिक भूचाल आया है। पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने वह बात कह दी, जो अक्सर पर्दे के पीछे कही जाती है, लेकिन सामने कोई नहीं कहता। रुबिन ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को अब भी अमेरिका का खास साथी मानना “बिना किसी स्ट्रेटेजिक लॉजिक” का फैसला है। इतना ही नहीं, उन्होंने पाकिस्तान आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर पर भी कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर वह अमेरिका में कदम रखें, तो उन्हें “सम्मान देने के बजाय गिरफ्तार कर लेना चाहिए”। इस बयान के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई US को भारत से माफी मांगनी चाहिए? क्या पाकिस्तान के साथ अमेरिका का रिश्ता अब भारी पड़ रहा है? क्या US-Pakistan और US-India समीकरण अब बदलने वाले हैं?
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, रुबिन का कहना है कि पाकिस्तान सालों से चरमपंथी संगठनों को सपोर्ट करता रहा है, फिर भी अमेरिका उसे बड़ा नॉन-NATO अलाय मानता है। रुबिन ने कहा कि यह रिश्ता न सिर्फ बेफायदेमंद है बल्कि US के हितों के खिलाफ है। उनके मुताबिक पाकिस्तान को “टेररिज्म स्पॉन्सर करने वाला देश” घोषित कर देना चाहिए। अगर असीम मुनीर अमेरिका में घुसते हैं, तो उन्हें सम्मान देने का कोई कारण नहीं है। अमेरिकी नीति पाकिस्तान के लिए नरम और भारत के लिए कड़ी क्यों है? यह सवाल अब इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में भी चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया है।
रुबिन ने एक और बड़ा दावा किया कि अमेरिका को भारत से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीदा, इसके जवाब में अमेरिका ने भारतीय एक्सपोर्ट पर 50 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया, जबकि पाकिस्तान के सामान पर सिर्फ 19 प्रतिशत शुल्क लगाया गया। रुबिन का कहना है कि यह कदम भारत के साथ गलत था, और अमेरिकी स्ट्रेटेजी के खिलाफ भी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भले ही माफी मांगने में हिचकिचाते हों, लेकिन “स्ट्रेटेजिक हित एक आदमी के ईगो से ज्यादा जरूरी हैं।”
रिपोर्ट्स बताती हैं कि US ने पाकिस्तान को मिनरल माइनिंग और तेल की खोज के लिए कई नए एग्रीमेंट दिए हैं। पाकिस्तान ने इस दोस्ती का लाभ उठाते हुए ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए भी नॉमिनेट कर दिया। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान सच में US का भरोसेमंद पार्टनर है, या सिर्फ रणनीतिक ढाल?
इस बीच पाकिस्तान में भी बड़ा बदलाव हुआ है। राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने असीम मुनीर को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बना दिया है। अब मुनीर के पास दो पावरफुल पद हैं पहला- चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) और दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का। 5 साल के टर्म के साथ मुनीर अब पाकिस्तान की सेना में सबसे शक्तिशाली आदमी बन चुके हैं। CDF की पोस्ट को हाल ही में संविधान के 27वें अमेंडमेंट के जरिए बनाया गया, जिससे सारी सैन्य कमांड एक जगह केंद्रीकृत हो गई। यही वजह है कि इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स मुनीर की बढ़ती ताकत और उनके US संबंधों पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं।
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