अमेरिका की ओर बढ़ रहा था परमाणु हमला करने वाला रूसी बॉम्बर, F-22 ने रोका रास्ता, यूक्रेन जंग के चलते पैदा हो रहा दो महाशक्तियों के टकराने का खतरा

अमेरिकी वायु सेना ने अलास्का के पास छह रूसी विमानों को इंटरसेप्ट किया है। इन विमानों में परमाणु हमला करने की क्षमता वाला TU-95 बॉम्बर भी शामिल था। इन्हें रोकने के लिए F-22 और F-16 विमानों को भेजा गया था।

वाशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई (Russia Ukraine War) खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन को हथियार और पैसे से मदद कर रहे हैं, जिससे वह रूस जैसी बड़ी ताकत का सामना कर रहा है। इससे अमेरिका और रूस जैसी दो महाशक्तियों के टकराने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

एक ऐसी ही घटना की जानकारी रविवार को अमेरिका के NORAD (North American Aerospace Defense Command) ने दी। इसके अनुसार परमाणु हमला करने की क्षमता रहने वाला रूसी बॉम्बर विमान अमेरिका की ओर बढ़ रहा था। इसे रोकने के लिए अमेरिका ने तुरंत अपने सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-22 को भेजा। F-22 ने रूसी विमानों का रास्ता रोका, जिसके बाद वे लौट गए।

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यह घटना अलास्का वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में हुई। छह रूसी विमानों का एक झुंड अमेरिका की ओर बढ़ रहा था। इसमें TU-95 बॉम्बर, IL-78 टैंकर और SU-35 लड़ाकू विमान शामिल थे। रूसी विमानों को अपनी ओर बढ़ते देख अमेरिकी वायु सेना तुरंत एक्शन में आई। US एयरफोर्स ने F-22 व F-16 लड़ाकू विमानों, KC-135 स्ट्रैटोटैंकर और E-2 AWACS को भेजा। अमेरिकी विमानों को देख रूसी विमान लौट गए।

अकेले हमला करने नहीं जाते हैं बॉम्बर विमान

रूस के विमानों के झुंड को देखें तो इसमें TU-95 बॉम्बर्स, IL-78 टैंकर्स और SU-35 लड़ाकू विमान शामिल थे। TU-95 स्ट्रेटेजिक बॉम्बर विमान है। यह अपने साथ परमाणु हमला करने वाले छह Kh-55 nuclear ALCM मिसाइल, 14 Kh-SD एंटी शिप मिसाइल और 8 Kh-101 ALCM मिसाइल लेकर उड़ान भरता है। यह बहुत बड़ा और भारी विमान है।

बॉम्बर की रक्षा के लिए साथ रहते हैं फाइटर प्लेन
आमतौर पर बॉम्बर विमान को अकेले हमला करने नहीं भेजा जाता। बड़े आकार के चलते इन्हें रडार की मदद से खोज पाना आसान होता है। हमला होने पर इनके पास खुद को बचाने की क्षमता सीमित होती है। इसके लिए बॉम्बर विमान के साथ फाइटर जेट्स भेजे जाते हैं। ये जेट्स हमला होने की स्थिति में बॉम्बर की रक्षा करते हैं। रूसी विमानों के झुंड में इस काम के लिए SU-35 लड़ाकू विमान थे। लड़ाकू विमानों का रेंज सीमित होता है। इसके लिए झुंड में IL-78 टैंकर विमान था। इसका काम हवा में उड़ रहे विमान में इंधन भरना है।

दूसरी ओर रूसी विमानों का सामना करने के लिए भेजे गए अमेरिकी विमानों को देखें तो इसमें F-22 और F-16 लड़ाकू विमान शामिल थे। F-22 छठी पीढ़ी का फाइटर प्लेन है। इन लड़ाकू विमानों की मदद के लिए KC-135 स्ट्रैटो टैंकर्स और E-2 AWACS विमान भेजे गए थे। हवा में होने वाली लड़ाई में AWACS विमान बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इनका काम दुश्मन के विमानों पर नजर रखना और अपने विमान के पायलट को जरूरत के अनुसार गाइड करना है। यह आसमान में उड़ते कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की तरह काम करता है।

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