
वर्ल्ड डेस्क। पाकिस्तान परमाणु हमला करने में सक्षम अपने बैलिस्टिक मिसाइलों का रेंज बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। इसे रोकने के लिए अमेरिका ने इस्लामाबाद के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज जैसे समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पाकिस्तान बौखला गया है। उसने अमेरिका को सफाई दी है। इसके लिए भारत का भी हवाला दिया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की अमेरिका की आलोचना को खारिज किया। कहा कि उसे भारत से पैदा हो रहे खतरों को देखते हुए इसकी जरूरत है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, "अमेरिकी अधिकारी द्वारा पाकिस्तान की मिसाइल क्षमताओं और मिसाइलों से कथित खतरे की आशंका दुर्भाग्यपूर्ण है। ये आरोप निराधार और तर्कहीन हैं।"
दरअसल, अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने पाकिस्तान पर दक्षिण एशिया से परे अमेरिका सहित लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने का आरोप लगाया था।
इसपर जहरा बलूच ने कहा कि पाकिस्तान का रणनीतिक कार्यक्रम पूरी तरह से दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए है। हमारा रणनीतिक कार्यक्रम और क्षमताएं केवल पड़ोस से पैदा हो रहे खतरे को रोकने के लिए हैं। इसे किसी अन्य देश के लिए खतरा नहीं माना जाना चाहिए।
पाकिस्तान को चीन और उत्तर कोरिया की तरह अमेरिका के लिए खतरा बताए जाने पर बलोच ने कहा, "यह खेदजनक है कि अमेरिकी अधिकारी ने पाकिस्तान को उन देशों की श्रेणी में रखने का संकेत दिया, जिनके बारे में माना जाता है कि वे अमेरिका के विरोधी हैं। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच लंबे समय से सहयोगात्मक संबंध हैं। 1954 से ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। पाकिस्तान का अमेरिका के प्रति किसी भी रूप या तरीके से कभी कोई बुरा इरादा नहीं रहा है।"
बलोच ने कहा कि भारत के कहने पर अमेरिका द्वारा पाकिस्तान की आलोचना की जा रही है। इससे क्षेत्रीय सुरक्षा और अस्थिर होगी। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वी पड़ोस (भारत) में कहीं अधिक शक्तिशाली मिसाइल क्षमता है। इसे अनदेखा करते हुए पाकिस्तानी क्षमताओं पर चिंताएं जाहिर तौर पर दूसरों के इशारे पर उठाई जा रही हैं ताकि क्षेत्र में पहले से ही कमजोर रणनीतिक स्थिरता को और बढ़ाया जा सके।”
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