H-1B वीजा में बड़ा बदलाव: क्या होगा भारतीयों पर असर? क्या ट्रंप इसे मानेंगे?

सार

अमेरिका ने H-1B वीजा नियमों में बड़े बदलाव किए हैं, जो भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए खास मायने रखते हैं। नए नियमों से आवेदन प्रक्रिया आसान होगी और वीजा नवीनीकरण भी देश वापस लौटे बिना संभव होगा।

US H1B Visa programme: अमेरिका ने H-1B वीजा में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। H-1B वीजा को लेकर बदलाव 17 जनवरी 2025 से लागू किए गए हैं। प्रेसिडेंट जो बिडेन प्रशासन की यह आखिरी पॉलिसी चेंज मानी जा रही है। 20 जनवरी को अमेरिका में ट्रंप शासन काम करने लगेगा। वह इसी दिन राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद व्हाइट हाउस में एंट्री करेंगे।

दरअसल, H-1B वीजा प्रोग्राम की वजह से अमेरिका ने ग्लोबल टैलेंट्स को अपने देश में लाने में सफल रहा। अब अमेरिकी शासन ने इस प्रोग्राम को और एडवांस करके इसको आसान करने का निर्णय लिया है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (USCIS) ने अपनी वेबसाइट पर कहा: H-1B फाइनल रूल इस कार्यक्रम को एडवांस बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें अप्रूवल प्रक्रिया को सरल बनाना, एम्प्लायर्स को प्रतिभाशाली कर्मचारियों को बनाए रखने में अधिक आजादी देना और वीजा प्रोग्राम की मॉनिटरिंग को मजबूत करना शामिल है।

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अमेरिका में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं H-1B वीजा होल्डर्स

2023 में H-1B वीजा धारकों में भारतीय प्रोफेशनल्स का हिस्सा 70 प्रतिशत से अधिक था। इस वजह से यह बदलाव उनके लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।

H-1B वीजा नियमों में मुख्य बदलाव

  • स्पेशियलिटी ऑक्युपेशन की परिभाषा: नई परिभाषा में यह स्पष्ट किया गया है कि डिग्री की आवश्यकता सामान्य रूप से होनी चाहिए, हमेशा नहीं। इससे पात्र डिग्री की सीमा व्यापक हो जाएगी, बशर्ते वे नौकरी से संबंधित हों।
  • लॉटरी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाना:संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में आवेदनों को रोकने के लिए सख्त प्रावधान लागू होंगे, जिससे प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी।
  • F-1 वीजा धारकों के लिए आसान बदलाव: छात्रों को F-1 वीजा से H-1B वीजा में परिवर्तन के दौरान कम कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
  • तेज़ प्रोसेसिंग: USCIS अब H-1B एक्सटेंशन आवेदनों को तेज़ी से निस्तारित करेगा। इससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं को देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • एम्प्लायर्स के लिए अधिक लिबरेशन: कंपनियां अब अपनी वर्कफोर्स आवश्यकताओं के अनुसार H-1B कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेंगी।
  • उद्यमियों के लिए अवसर: अपनी कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी रखने वाले उद्यमी अब कठोर शर्तें पूरी करने पर H-1B वीजा के लिए खुद आवेदन कर सकेंगे।
  • सख्ती से लागू: USCIS को साइट निरीक्षण का अधिकार मिलेगा, जिसमें कार्यस्थल, दूरस्थ स्थान और तृतीय-पक्ष स्थल शामिल हैं। निरीक्षण के दौरान जानकारी सत्यापित करने में विफलता होने पर वीजा आवेदन अस्वीकार या रद्द किया जा सकता है।
  • नया आवेदन फॉर्म: 17 जनवरी 2025 से नया फॉर्म I-129 लागू होगा, जिससे आवेदन प्रक्रिया सरल होगी।
  • कैप-एक्सेम्प्ट मानदंड में विस्तार: शोध-केंद्रित आर्गेनाइजेशन्स को अब स्पष्ट परिभाषा के तहत कैप-एक्सेम्प्ट माना जाएगा।
  • H-1B वीजा धारकों को अब अपने देश वापस लौटे बिना वीजा नवीनीकरण का विकल्प मिलेगा, जो अमेरिका में रह रहे भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत होगी।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का H-1B नीतियों पर क्या होगा रूख?

हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के कुछ धड़े आव्रजन नियंत्रण को सख्त करने के पक्षधर रहे हैं लेकिन नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में उच्च कौशल वाले आव्रजन का समर्थन किया है। दिसंबर 2024 में 'न्यूयॉर्क टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा: मेरे कई संपत्तियों पर H-1B वीजा धारक काम करते हैं। मैं हमेशा इस कार्यक्रम का समर्थक रहा हूं। यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है। हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने विदेशी कर्मचारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगाए थे और इस कार्यक्रम की आलोचना भी की थी। अब देखना यह होगा कि उनके नेतृत्व में H-1B वीजा कार्यक्रम की दिशा क्या रूप लेती है।

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