
नई दिल्ली। सिनियर अमेरिकी कांग्रेसी एमी बेरा ने हाल ही में ट्रंप प्रशासन को एक कड़ा चेतावनी संदेश दिया। बेरा का कहना है कि व्हाइट हाउस तक पहुंच रही "बुरी सलाह" भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही नीति को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि ट्रंप एक ही वक्त में इंडिया और पाकिस्तान का ज़िक्र करके भ्रम पैदा कर रहे हैं, और तीन दशकों से चले आ रहे इंडिया-US स्ट्रेटेजिक रिलेशनशिप को नजरअंदाज कर रहे हैं।
बेरा ने Times Now से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, "हमने भारत और पाकिस्तान के बीच डीहाइफनेशन को 30 साल तक बनाए रखा है। अमेरिका के बड़े निवेश, मिलिट्री एक्सरसाइज और सिक्योरिटी कोऑपरेशन केवल भारत के साथ हैं, पाकिस्तान के साथ नहीं।" उनका कहना है कि पाकिस्तान घरेलू आतंकवाद, बॉर्डर पार खतरे और अफ़गानिस्तान के तनाव से जूझ रहा है, जबकि भारत अमेरिका के लिए 21वीं सदी का महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक पार्टनर है।
बेरा ने बताया कि हाल के महीनों में ट्रंप कई बार पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ से मिल चुके हैं। कांग्रेस ने इसको लेकर नया प्रस्ताव पेश किया, जिसमें साफ़ कहा गया कि भारत और पाकिस्तान में कोई बराबरी नहीं है। उन्होंने भारतीय-अमेरिकी डायस्पोरा से अपील की कि वे अपने प्रतिनिधियों के जरिए भारत-US रिश्तों को मजबूत करने में मदद करें।
50% टैरिफ और $100,000 H-1B वीज़ा फ़ीस जैसी नीतियां भारतीय टेक्नोलॉजी और अमेरिकी कंपनियों के लिए खतरे का कारण बन रही हैं। बेरा का कहना है कि ये फैसले राजनीति से प्रेरित और बिना सोच-समझे लिए गए थे, और इससे भारत का टेक टैलेंट अलग-थलग पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "व्हाइट हाउस के कुछ सलाहकारों की बुरी सलाह के कारण यह पॉलिसी बनी। पीटर नवारो जैसे लोग इस पर ठीक से नहीं सोचे।"
बेरा ने चेताया कि H-1B पाइपलाइन को रोकना भारत से ज्यादा अमेरिका को नुकसान पहुंचाएगा। उनका सुझाव है कि अमेरिका को नए वीज़ा रास्ते खोलने चाहिए ताकि AI और अन्य हाई-टेक सेक्टर्स में काम करने वाले भारतीय और अमेरिकी टैलेंट को स्वतंत्र रूप से लाया और भेजा जा सके।
एमी बेरा का साफ संदेश है कि व्हाइट हाउस में पहुँच रही गलत और अधूरी जानकारी भारत-US रिश्तों को कमजोर कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के दबाव और प्रेसिडेंट ट्रंप के पीछे हटने से पता चलता है कि सही पॉलिसी के लिए सलाह और सोच-समझ बहुत जरूरी है।
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