
वाशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से अनुरोध कर भारत में सभी लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी को जल्द वापस लेने के लिए दबाव बनाने को कहा है।
पोम्पिओ को मंगलवार को लिखे गए एक पत्र में सीनेट की विदेश नीति समिति के महत्वपूर्ण सदस्य सांसद बॉब मेनेन्डीज ने भारत में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और एनआरसी लागू कराने को लेकर चिंता प्रकट की।
सीएए की मंशा मुस्लिम विरोधी
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में अमेरिका की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''मैं प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि इन चिंताओं के लिए उच्च स्तर पर भारत सरकार से बातचीत करें और इन नीतियों और नियमों की जल्द वापसी को लेकर जोर दें और सभी धर्म के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहें।''
मेनेन्डीज ने कहा, ''धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करना भारत की अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धताओं और अपने संविधान का उल्लंघन है, जो कि सबको समानता का अधिकार प्रदान करता है।''
सांसद ने कहा कि भारत सरकार भले दावा कर रही है कि नागरिकता कानून धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करता है लेकिन इसमें पड़ोसी देशों में दमन का सामना करने वाले मुस्लिमों - जैसे कि पाकिस्तान के अहमदिया समुदाय और म्यामां के रोहिंग्या को शामिल नहीं किया गया है। यह दिखाता है कि इसकी मंशा मुस्लिम विरोधी है।
मौतों और घायलों को लेकर चिंता प्रकट की
मेनेन्डीज ने सीएए और देश में प्रस्तावित एनआरसी को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान मौतों और घायलों की रिपोर्ट को लेकर भी चिंता प्रकट की। एनआरसी का हवाला देते हुए सांसद ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने नागरिक संस्था के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और उन लोगों ने इन नीतियों और भारत में लोकतंत्र के भविष्य पर इसके नकारात्मक असर को लेकर चिंता प्रकट की थी।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)
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