Afghanistan में US Drone Attack में नागरिकों को मारने वाला फुटेज जारी, पेंटागन सीक्रेट लिस्ट से हटाया वीडियो

29 अगस्त को यह ड्रोन हमला किया गया था। इस वीडियो फुटेज को पेंटागन ने तत्काल सीक्रेट लिस्ट में डाल दिया था ताकि यह सार्वजनिक न हो सके। इस हमले को पहले पेंटागन नकारता रहा लेकिन बाद में चौतरफा घिरने के बाद इसे भारी भूल बता दिया गया।

वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) में हुए ड्रोन हमले (US Drone Attack) का वीडियो जारी किया गया है। अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defence) के मुख्यालय पेंटागन (Pentagon) ने काबुल में हुए ड्रोन हमले के वीडियो फुटेज को गोपनीय सूची से हटा दिया है। सीक्रेट लिस्ट से फुटेज को हटाने के बाद इसे सार्वजनिक कर दिया गया है। यह हमला तब हुआ था जब अमेरिकी सैनिक (US Troops) करीब 20 साल बाद अफगानिस्तान से वापसी कर रहे थे। इस अमेरिकी ड्रोन हमले में 10 आम नागरिक मारे गए थे। हालांकि, इस हमले के बाद अमेरिका (America) की चौतरफा आलोचना हुई थी। 

न्यूयार्क टाइम्स ने पोस्ट किया फुटेज

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‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने यह फुटेज अपनी वेबसाइट पर पोस्ट की है। यूएस सेंट्रल कमान के खिलाफ सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम वाद के जरिए उसने फुटेज प्राप्त की है। 

पेंटागन पहले छिपाया लेकिन बाद में इसे भूल बताया

29 अगस्त को यह ड्रोन हमला किया गया था। इस वीडियो फुटेज को पेंटागन ने तत्काल सीक्रेट लिस्ट में डाल दिया था ताकि यह सार्वजनिक न हो सके। इस हमले को पहले पेंटागन नकारता रहा लेकिन बाद में चौतरफा घिरने के बाद इसे भारी भूल बता दिया गया।

क्या है 25 मिनट के वीडियो में?

पेंटागन ने जो वीडियो फुटेज दिया है वह करीब 25 मिनट का है। हमले में शामिल दोनों ड्रोन को ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एमक्यू-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper drones) बताया है। फुटेज में हमले से पहले, हमले के दौरान और बाद में एक गली में एक कार पर हुए हमले के दृश्य नजर आ रहे हैं।

अमेरिका ने मानी थी अपनी गलती

सेना ने कहा था कि उसे लगा कि उसने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (Islamic State) समूह के सहयोगी संगठन के एक आतंकवादी को मार गिराया, जो काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) के पास उस जगह पर बम विस्फोट कर सकता था जहां से लोगों का निकलना जारी था। इसके तीन दिन पहले एयरपोर्ट पर एक आत्मघाती बम विस्फोट में 13 अमेरिकी सैनिकों और 160 से अधिक अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी। सेना ने जब बाद में 29 अगस्त के ड्रोन हमले में अपनी भूल स्वीकार की, तो सेंट्रल कमान ने स्पष्ट किया कि कार चलाने वाले का आईएस समूह से कोई लेना-देना नहीं था।

तालिबान की वापसी के बाद देश छोड़कर भाग रहे थे लोग

हमले में मारा गया व्यक्ति जमारी अहमदी (Zemari Ahmadi) था, जो अमेरिका स्थित सहायता संगठन, न्यूट्रिशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल के लिए काम करता था। दरअसल, तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्तान से लोग भागने लगे. इसके लिए लोगों ने जमीनी रास्तों को जरिया बनाया। हालांकि, तालिबान ने इन बॉर्डर क्रॉसिंग पर कब्जा जमाया हुआ था, जिसके बाद लोगों ने काबुल एयरपोर्ट के जरिए बाहर निकलने का प्रयास शुरू किया। इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी जारी कर दी थी काबुल एयरपोर्ट पर हमला हो सकता था। इसके बाद 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर धमाका हुआ।

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