अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एमी कोनी बैरेट को बनाया देश के सुप्रीम कोर्ट का जज, बाइडेन ने जताई आपत्ति

अमेरिका में रविवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने सुप्रीम कोर्ट के नए जज के रूप में जज एमी कोनी बैरेट (Judge Amy Coney Barrett) का नाम घोषित कर दिया है। ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित सदस्य एमी के नाम का ऐलान व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से किया है। एमी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रुथ बादर गिंसबर्ग (Judge Ruth Bader Ginsberg) के निधन के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए जज के रूप में नियुक्त किया गया है। 

rohan salodkar | Published : Sep 27, 2020 2:51 AM IST / Updated: Sep 27 2020, 08:33 AM IST

वाशिंगटन. अमेरिका में रविवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के नए जज के रूप में जज एमी कोनी बैरेट (Judge Amy Coney Barrett) का नाम घोषित कर दिया है। ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित सदस्य एमी के नाम का ऐलान व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से किया है। एमी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रुथ बादर गिंसबर्ग (Judge Ruth Bader Ginsberg) के निधन के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) द्वारा नए जज के रूप में नियुक्त किया गया है। 

अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के लिए नामांकन काफी लाभकारी होता है क्योंकि यहां जजों की नियुक्ति लाइफटाइम के लिए होती है और अन्य कोर्टों से अलग यहां के जजों का कोई रिटायरमेंट उम्र भी नहीं होता। ट्रंप की ओर से इस नाम के पेशकश पर डेमोक्रेट पार्टी की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई है। डेमोक्रेट के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा है कि इस पद के लिए नामांकन 3 नवंबर के चुनावों के विजेता द्वारा किए जाने की जरूरत है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 9 जज होते हैं। किसी अहम फैसले के वक्त यदि इनकी राय 4-4 में विभाजित हो जाती है तो सरकार द्वारा नियुक्त जज का वोट निर्णायक हो जाता है और जज राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है तो माना ये जाता है कि वो सरकार के पक्ष में ही फैसला देगा।

कौन हैं एमी?

एमी को अच्छा लेखक भी माना जाता है। मानवाधिकारों पर भी उन्होंने दलीलें दी हैं। द हिल न्यूजपेपर के अनुसार, बैरेट यहां के ईसाईयों की भी पसंद हैं। बैरेट के पास रिपब्लिकन सीनेटर का मजबूत समर्थन है। एमी के सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्त होने से अमेरिका में गर्भपात कानून में बदलाव की मांग वाले आंदोलन पर फर्क पड़ सकता है।

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