चीन को लेकर अमेरिका के सुर लगातार ऊपर-नीचे हो रहे हैं। पहले जासूसी हवाई वस्तुएं यानी बलून को लेकर क्लीन चिट देने और अब रूस-यूक्रेन युद्ध में उसकी भूमिका पर अमेरिका ने चीन के फेवर में बात कही है।
वाशिंगटन(Washington). चीन को लेकर अमेरिका के सुर लगातार ऊपर-नीचे हो रहे हैं। पहले जासूसी हवाई वस्तुएं यानी बलून (unidentified airborne object) को लेकर क्लीन चिट देने और अब रूस-यूक्रेन युद्ध में उसकी भूमिका पर अमेरिका ने चीन के फेवर में बात कही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि इस मामले में चीन तटस्थ बना रहेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में चीन रूस का साथ देगा। बाइडेन ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, "अब तक इसका कोई सबूत नहीं है।" बाइडेन ने कहा कि उन्होंने गर्मियों में इस बारे में अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से लंबी बातचीत की थी।
उधर, पेंटागन(अमेरिकी रक्षा विभाग) ने संवाददाताओं से कहा कि उसने चीन को रूस को घातक सहायता(lethal aid to Russia) की आपूर्ति करते नहीं देखा है। पेंटागन के प्रेस सेक्रेट्री एयर फोर्स ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा कि चीन, जिसके पास स्पष्ट रूप से एडवांस्ड कैपेबिलिटीज, गोला-बारूद हैं, ने सार्वजनिक रूप से अपनी तटस्थता की घोषणा की है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने MSNBC को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि बाइडेन प्रशासन ने चीनियों को स्पष्ट कर दिया है कि उसे रूसियों को घातक हथियार मुहैया कराने के लिहाज से इस युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्हें बताया गया है कि यह एक गेम चेंजर होगा और यह कुछ ऐसा होगा, जिसके बारे में अमेरिका को गंभीर चिंता होगी। हालांकि लिंडा ने कहा कि उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है,और हम आशा करते हैं कि उन तक संदेश पहुंचेगा।"
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने शुक्रवार को कहा कि वह यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए बीजिंग द्वारा तत्काल शांति वार्ता के आह्वान के बाद चीन के शी जिनपिंग से मिलने की योजना बना रहे है। हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह "वल्ड वॉर-3" के किसी भी जोखिम से बचने के लिए रूस को चीनी हथियारों की आपूर्ति को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
ज़ेलेंस्की ने कहा-"मैं वास्तव में विश्वास करना चाहता हूं कि चीन रूस को हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा। यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।" इससे पहले शुक्रवार को, चीन ने तत्काल शांति वार्ता का आह्वान किया। हालांकि कई पश्चिमी शक्तियों ने चीन के प्रस्तावों को खारिज कर दिया और मास्को के साथ बीजिंग के घनिष्ठ संबंधों के खिलाफ भी चेतावनी दी।
यह अलग बात है कि ठीक इसी बयान के साथ अमेरिका ने श्रीलंका और पाकिस्तान को दिए जा रहे कर्जे को लेकर चिंता जाहिर की है। दिवालिया होने के मुहाने पर पहुंचे पाकिस्तान को चीन ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है। इसके बाद अमेरिका का बयान सामने आया है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि चीन द्वारा भारत के निकटवर्ती पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका को दिए जा रहे कर्ज का इस्तेमाल दबाव बनाने के लिए किया जा सकता है। यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन 1-3 मार्च तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर आने वाले हैं।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के विदेशी मुद्रा भंडार में शुक्रवार को बड़ी वृद्धि दर्ज की गई, क्योंकि देश को चीन विकास बैंक से 700 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए। वित्त मंत्री इशाक डार ने ट्विटर पर घोषणा की, "अलहम्दो लिल्लाह! स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को चीन विकास बैंक से आज 70 करोड़ डॉलर की धनराशि मिली।"
बता दें कि पाकिस्तान अपने असाधारण उच्च स्तर के बाहरी ऋण का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है और मुश्किल से उसके पास तीन सप्ताह से कम के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त डॉलर है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में नकदी से जूझते पाकिस्तान को चीन से $700 मिलियन की जमा राशि उसके लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य करेगी।
गठबंधन सरकार एसबीपी-आयोजित विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष कर रही है, जो वर्तमान में 17 फरवरी तक 3.25 बिलियन डॉलर है। इस सप्ताह की शुरुआत में, डार ने घोषणा की कि चीन विकास बैंक के बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए 700 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा को मंजूरी दे दी है और इस संबंध में औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।
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