
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission of Pakistan ) ने इस सप्ताह की शुरुआत में स्टेट ऑफ ह्यूमन राइट्स की सालाना रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में देश की राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल पर चिंता व्यक्त की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा समेत मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान और पिछली दोनों सरकारें संसद की सर्वोच्चता (supremacy of Parliament) का सम्मान करने में विफल रहीं हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ-साथ आतंकी हमलों में भी काफी इजाफा हुआ। केवल साल 2022 में ही पाकिस्तान में हुए आतंकी हमलों में 533 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 2,210 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
पाकिस्तान में Sedition Law का गलत इस्तेमाल
HRCP ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार असंतोष को दबाने के लिए देश द्रोह कानून (sedition law) को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर राजनीतिक उत्पीड़न कर रही है। इसके अलावा हिरासत में यातना के दावों के साथ दर्जनों पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है और उनको टॉर्चर किया जा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि बीते साल पाकिस्तानी संसद ने टॉर्चर को आपराधिक बनाने वाला एक विधेयक पारित किया था.
पाकिस्तान में बाढ़ प्रभावित लोगों का बुरा हाल
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण आई बाढ़ ने देश के अधिकांश हिस्सों को तबाह कर दिया है और 33 मिलियन से अधिक प्रभावित लोगों के लिए राहत और पुनर्वास के लिए कोई काम नहीं किया गया है।
पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर खतरा
इतना ही नहीं पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों पर भी खतरा कम नहीं हुआ है। HRCP के मुताबिक अहमदिया समुदाय के कई पूजा स्थलों समेत करीब 90 कब्रों को बर्बाद कर दिया गया है। वहीं, 4,226 औरतों के साथ रेप के भी मामले सामने आए हैं। इनमें से ज्यादातर मामले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हैं।
पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर के साथ हिंसा
HRCP की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर के साथ भी हिंसा के मामले सामने आए हैं। देश में बंधुआ मजदूरों की भी स्थिति भी दयनीय बताई गई है। पाकिस्तान (Pakistan) के मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट में मारे गए खदान मजदूरों का भी जिक्र है। पिछले साल 2022 में लगभग 90 खदान मजदूरों की जान जा चुकी है।
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