
जकार्ता(Jakarta). इंडोनेशिया में एक बार फिर ज्वालामुखी फटने (Volcanic Eruption) की आशंका के चलते लोगों में दहशत फैल गई है। इंडोनेशिया के अधिकारियों ने जावा द्वीप में सर्वाधिक ऊंचे ज्लावामुखी फटने की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया है। बता दें कि इसी महीने के शुरुआत में यहां ज्वालामुखी फटने से भारी तबाही हुई थी। 48 लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों घर बर्बाद गए थे। अधिकारियों ने अलर्ट जारी किया है कि सेमेरु पर्वत में फिर से ज्वालामुखी फट सकता है।
ज्वालामुखी में बढ़ रही गतिविधियां
इंडोनेशिया की भूवैज्ञानिक एजेंसी(geological agency) ने ज्वालामुखी में विस्फोट से पहले होने वालीं गतिविधियां देखी हैं। बता दें कि जावा द्वीप इंडोनेशिया के सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। यहां 4 दिसंबर को सबसे ऊंचा ज्वालामुखी फटा था। इसकी राख से मीलों दूर तक सबकुछ ढंक गया था। यह ज्वालामुखी पूर्वी जावा प्रांत के लुमाजांग जिले में स्थित सेमेरु पर्वत पर है। इंडोनेशिया के ऊर्जा एवं खनिज संसाधन मंत्री अरिफिन तसरीफ के मुताबिक, तब ज्वालामुखी के क्रेटर से निकली लगभग 80 लाख घन मीटर रेत ने बेसुक कोबोकन नदी को अवरुद्ध कर दिया था।
लोगों को दूर रहने की सलाह
इंडोनेशिया ज्वालामुखी एवं भूवैज्ञानिक खतरा शमन केंद्र की प्रमुख एंडियानी ने ने सेमेरु के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को क्रेटर (ज्वालामुखी का मुंह) से 13 किलोमीटर तक दूर रहने को कहा है। यहां पर्यटकों के आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। खनन गतिविधियां भी बंद करा दी गई हैं। इससे पहले इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप के पास समुद्र में 7.3 तीव्रता का भूकंप आया था। हालांकि तक मौसम विज्ञान एजेंसी ने सुनामी का अलर्ट जारी किया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया था।
इंडोनेशिया में 1700 ज्वालामुखी
इंडोनेशिया में करीब 17000 द्वीप हैं। यहां करीब 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। ज्वालामुखियों के फटने के कारण यहां भूकंप आना आम बात है। बता दें कि इंडोनेशिया में हर साल भूकंप और उसके बाद सुनामी आती है। 2004 में भूकंप के बाद इतनी जबर्दस्त सुनामी आई थी कि हिंद महासागर के तटीय इलाके तबाह हो गए थे। इसमें करीब सवा दो लाख लोग मारे गए थे। इनमें सवा लाख लोग सिर्फ इंडोनेशिया के थे। 2008 में भी यहां 7.5 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसमें 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
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