डंकी रूट से गए और डिपोर्ट किए गए भारतीयों की दर्दनाक कहानी

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों ने डंकी रूट के जरिए अपनी  यात्रा का दर्दनाक अनुभव साझा किया। 45 किमी पैदल चलने के दौरान उन्होंने कई शव देखे, जो उनके लिए एक भयावह अनुभव था।। 

हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए कुछ भारतीयों ने अपनी दर्दनाक और चौंकाने वाली कहानी साझा की है। डंकी रूट से उन्हें अमेरिका भेजने वाले लोगों ने उन्हें मैक्सिको की सीमा पर छोड़ दिया गया, जहां से उन्हें 45 किलोमीटर पैदल चलकर वापस आना पड़ा। इस कठिन यात्रा के दौरान उन्होंने रास्ते में कई मृत शव देखे, जो उनके लिए एक भयावह और दिल दहला देने वाला अनुभव था।

104 भारतीयों को वापस भारत भेजा गया

बुधवार को अमेरिकी सेना के विशेष विमान से अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करने वाले 104 भारतीयों को वापस भारत भेजा गया। इन लोगों का अमेरिका में बसकर एक अच्छा जीवन जीने का सपना टूट गया है। वापस आने वालों में तैंतीस युवा हरियाणा के हैं, तैंतीस गुजरात के और तीस पंजाब के। इसके अलावा यूपी और महाराष्ट्र के भी लोग हैं।

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उड़ान के दौरान भारतीयों के हाथ और पैर बांधकर रखे गए

वापस आए एक भारतीय युवा ने बताया है कि इस लंबी उड़ान के दौरान भारतीयों के हाथ और पैर बांधकर रखे गए थे और अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने पर ही उनकी बेड़ियों को खोला गया। अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीय प्रवासियों के परिजनों ने बताया है कि उन्होंने अपने बच्चों को अमेरिका भेजने के लिए भारी कर्ज लिया है। ये युवा कमाने के लिए अमेरिका गए थे। अब भारत लौटकर उनके सामने कर्ज उतारने की चुनौती भी है।

रोजगार की तलाश में आए थे अमेरिका

ये भारतीय नागरिक अमेरिका में बेहतर जीवन और रोजगार की तलाश में गए थे। उनमें से कई ने अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अमेरिकी सीमा सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तारी के बाद उन्हें मैक्सिको की सीमा पर छोड़ दिया गया, जहां से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। उन्हें पैदल चलकर वापस आना पड़ा, और इस दौरान उन्होंने रास्ते में कई लोगों के शव देखे, जो शायद उसी तरह की यात्रा कर रहे थे और जंगल, गर्मी या भूख-प्यास के कारण मारे गए।

पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले हरविंदर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने अमेरिका जाने के लिए एक एजेंट को 42 लाख रुपए दिए थे। लेकिन अंत समय तक उन्हें वर्क वीजा नहीं मिल सका था। इसके बाद उन्हें क़तर और ब्राजील होते हुए डंकी रूट तक पहुंचाया गया। उन्हें कोलंबिया होते हुए पनामा भेजा गया जहां से उन जैसे प्रवासियों को छोटी नावों से मैक्सिको की तरफ भेजा गया।

इस यात्रा के दौारन उनकी नाव डूबने से साथ सफर कर रहे एक व्यक्ति की मौत हो गई। एक की जान पनामा के जंगलों में पैदल चलने के दौरान हो गए। इस पूरी यात्रा के दौरान उन्हें खाने के लिए बहुत थोड़े चावल ही दिए गए थे।

डिपोर्ट किए गए पंजाब के ही एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि डंकी रूट पर तस्करों ने उन्हें चौदह दिनों तक एक अंधेरे जेलनुमा कमरे में बंद किया था और इस दौरान वो सूरज की रोशनी तक नहीं देख पाए थे।

रास्ते में दिखे लोगों के शव

इस व्यक्ति ने बताया कि हजारों पंजाबी युवाओं को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इतना पैसा खर्च करके डंकी रूट से अमेरिका जाने का कोई मतलब नहीं है। एक डिपोर्ट किए गए व्यक्ति ने बताया, "हमें मैक्सिको की सीमा पर छोड़ दिया गया। वहां से हमें पैदल चलकर अमेरिका जाना पड़ा। रास्ते में हमने कई लोगों के शव देखे। यह एक भयानक अनुभव था। हमें लगा कि हम भी उनकी तरह मर सकते हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें पानी और भोजन की कमी का सामना करना पड़ा, और कई बार उन्हें लगा कि वे इस यात्रा में जिंदा नहीं बच पाएंगे।

अमेरिकी सरकार ने हाल के वर्षों में अवैध आव्रजन के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान "जीरो टॉलरेंस" पॉलिसी लागू की गई थी, जिसके तहत अवैध रूप से सीमा पार करने वालों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन्हें डिपोर्ट कर दिया जाता है। जो बाइडन प्रशासन ने भी इस नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है, और अवैध आव्रजन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा फैसला, खेलों में इनकी एंट्री पर बैन

अवैध रूप से प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या में तेजी से वृद्धि

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अमेरिकी सीमा और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर गिरफ्तार किए गए भारतीयों की संख्या में 70% की वृद्धि हुई है। इनमें से अधिकांश लोग पंजाब, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों से हैं, जो अमेरिका में बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में अवैध रास्तों से वहां पहुंचने की कोशिश करते हैं।

इन यात्राओं के पीछे अक्सर मानव तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क होता है। तस्कर लोगों से लाखों रुपये लेकर उन्हें अमेरिका ले जाने का वादा करते हैं, लेकिन यह यात्रा जोखिम भरी और जानलेवा होती है। कई बार लोग रास्ते में ही मर जाते हैं, या फिर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। तस्करों द्वारा लोगों को झूठे वादे करके फंसाया जाता है, और उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होता कि उन्हें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

इन भारतीयों ने अपने अनुभव साझा करके दूसरों को चेतावनी दी है कि अवैध रूप से अमेरिका जाने की कोशिश न करें। उन्होंने कहा कि यह यात्रा न केवल खतरनाक है, बल्कि इसके परिणाम भी बहुत भयानक हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें पहले से पता होता कि उन्हें ऐसी यातनाएं झेलनी पड़ेंगी, तो वे कभी भी यह कदम नहीं उठाते।

 

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