
न्यूयॉर्क. वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लॉक(Doomsday Clock) को लेकर बड़ा ऐलान किया है। रूस-यूक्रेन के अलावा दुनिया के तमाम देशों में जारी युद्ध के हालात को देखते हुए टॉप परमाणु वैज्ञानिकों(Atomic scientists) ने तीन साल में पहली बार इस घड़ी में 10 सेकेंड समय कम किया है। परमाणु वैज्ञानिकों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच परमाणु युद्ध, बीमारी और जलवायु परिवर्तन के खतरों का हवाला देते हुए आधी रात से सिर्फ 90 सेकंड पहले 'प्रलय का दिन' निर्धारित किया। मतलब कि मंगलवार को दुनिया तबाह होने से 90 सेकेंड और करीब आ गई है। डूम्सडे क्लॉक बताती है कि दुनिया पर परमाणु हमले की आशंका कितनी अधिक है।
परमाणु वैज्ञानिकों के अनुसार, डूम्सडे क्लॉक में आधी रात का का वक्त होने में जितना कम समय रहेगा, दुनिया पर परमाणु युद्ध का खतरा उतना ही करीब बढ़ता जाएगा। यह घड़ी 1947 से काम कर रही है। यह क्लॉक संकेत देती है कि दुनिया कयामत के दिन से कितनी दूर खड़ी है। डूम्सडे क्लॉक की सुई को मंगलवार आधी रात 12 बजे के 90 सेकंड पीछे ला दिया गया है।
'डूम्सडे क्लॉक' शिकागो स्थित बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा बनाई गई है। यह दिखाती है कि मानवता दुनिया के अंत के कितने करीब आ गई है। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में सालाना डूम्सडे क्लॉक की घोषणा करते हुए वैज्ञानिकों ने आशंकाओं के साथ कहा कि पूरी दुनिया तबाही के कगार पर खड़ी है। वैज्ञानिकों ने कहा-इसने अपना टाइम 2023 में 90 सेकंड से मिड नाइट में स्थानांतरित कर दिया, जो पिछले तीन वर्षों की तुलना में 10 सेकंड अधिक है।
इस घड़ी की आधी रात सर्वनाश के सैद्धांतिक बिंदु(theoretical point of annihilation) को चिह्नित करती है। वैज्ञानिकों के आधार पर किसी विशेष समय पर मौजूदा खतरों को को पढ़ते हुए सुइयां आधी रात के करीब या उससे दूर चली जाती हैं। वर्तमान में यूक्रेन में रूसी कार्रवाइयों से बिगड़ी स्थिति ने दुनिया को सैद्धांतिक विनाश( theoretical annihilation) की ओर बढ़ा दिया है। यानी दुनिया का अस्तित्व खत्म होने का समय और करीब आ गया है।
मंगलवार को वाशिंगटन में बुलेटिन के अध्यक्ष और सीईओ राहेल ब्रोंसन ने कहा, “परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए रूस की अनकहीं धमकियां दुनिया को याद दिलाती हैं कि संघर्ष का बढ़ना एक भयानक जोखिम है। संघर्ष किसी के भी नियंत्रण से बाहर हो सकता है।” शिकागो स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन यह बुलेटिन प्लानेट और मानवता के लिए भयावह जोखिमों के बारे में जानकारी के आधार पर घड़ी के समय को सालाना अपडेट करता है।
उधर, वैज्ञानिकों और भूकंप विज्ञानियों ने अपनी रिसर्च में पाया है कि पृथ्वी के कोर की घुमाव दिशा((Earth's Inner Core)) में बदलाव होने वाला है। ऐसा होने के पहले केंद्र कुछ देर के लिए घूमना बंद कर देगा। Nature Geoscience की एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी के केंद्र के घूमने की वजह से ऊपरी सतह को स्थिरता मिलती है। बता दें कि केंद्र के घूमने की दिशा में करीब हर 70 साल बाद बदलाव आता है। करीब 17 साल के अंदर यह बदलाव होगा। यानी पृथ्वी का केंद्र उल्टी दिशा में घूमने लगेगा। केंद्र के एक ही दिशा में घूमने से पृथ्वी पर गुरुत्वाकषर्ण रहता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के उल्टी दिशा में घूमने से कोई प्रलय नहीं आएगी। यह रिसर्च 1936 में हुई थी।
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