
What Is JN.1 New Covid Variant. कोविड महामारी के बाद अब एक नए कोविड वैरियंट ने हलचल मचा दी है। नए कोविड वैरिएंट वैज्ञानिकों में चिंता पैदा कर दी है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इसे JN.1 ना दिया है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और 11 दूसरे देशों में कोरोनो वायरस का जेएन.1 स्ट्रेन पाया गया है।
सीडीसी ने जारी की चेतावनी
दुनिया भर के वैज्ञानिक नए COVID-19 वैरिएंट को लेकर चिंतित हैं जो अधिक संक्रामक हो सकता है। यह वैक्सीन प्रतिरक्षा से भी बच सकता है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और 11 दूसरे देशों में कोरोनोवायरस का जेएन.1 स्ट्रेन पाया गया है। यह वैरिएंट दुनिया भर में संक्रमण में एक बार फिर वृद्धि का कारण बन रहा है और हेल्थ ऑफिसर्स के बीच खतरे की घंटी बजा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार नया कोविड वैरिएंट BA.2.86 का ही वंशज है। इसे 'पिरोला' भी कहा जाता है, जो कि ओमीक्रॉन से आया है। सीडीसी ने लिखा कि अभी संयुक्त राज्य अमेरिका में न तो JN.1 और न ही BA.2.86 आम बात है। वास्तव में JN.1 का पता इतनी कम बार चला है कि यह SARS-CoV-2 वायरस का 0.1 प्रतिशत से भी कम है।
क्या होता है स्पाइक प्रोटीन
वैज्ञानिकों के अनुसार JN.1 और BA.2.86 के बीच केवल एक ही बदलाव है। वह है स्पाइक प्रोटीन में बदलाव। स्पाइक प्रोटीन जिसे स्पाइक भी कहा जाता है। यह वायरस की सतह पर छोटे स्पाइक्स जैसा दिखाई देता है। इसी वजह से लोगों में वायरस का संक्रमण ज्यादा तेजी से होता है। सीडीसी ने बताया कि इस वजह से स्पाइक प्रोटीन भी है वायरस का वह भाग जो टीके को टारगेट बनाता है। इसका मतलब है कि टीके को JN.1 और BA.2.86 के विरुद्ध समान रूप से काम करना चाहिए। हालांकि इस वैरियंट की संक्रामकता कितनी भयावह हो सकती है, इस पर रिसर्च किया जा रहा है।
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