जानिए क्या है पैगंबर कार्टून विवाद, जिसके चलते पूरी दुनिया के मुसलमानों में फ्रांस के खिलाफ है भारी गुस्सा

पैगंबर मोहम्मद पर छपे कार्टून को लेकर विवाद जारी है। इस्लामिक देश राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक की दुनियाभर के मुसलमान फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। फ्रांस तुर्की से शुरू हुआ ये प्रदर्शन बांग्लादेश तक पहुंच गया।

Asianet News Hindi | Published : Oct 29, 2020 11:11 AM IST / Updated: Oct 29 2020, 05:17 PM IST

पेरिस. पैगंबर मोहम्मद पर छपे कार्टून को लेकर विवाद जारी है। इस्लामिक देश राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक की दुनियाभर के मुसलमान फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। फ्रांस तुर्की से शुरू हुआ ये प्रदर्शन बांग्लादेश तक पहुंच गया। लेकिन इसी बीच फ्रांस की सरकार ने इस्लामिक अतिवाद के खिलाफ कार्रवाई जारी रखी है। फ्रांस सरकार ने बुधवार को यहां बाराकासिटी नाम के एक इस्लामिक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन को बंद कर दिया। यह संस्था 26 देशों में करीब 20 लाख लोगों के लिए काम करती थी। राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों पहले ही साफ शब्दों में कह चुके हैं कि वे इस्लामिक कट्टरपंथ पर सख्ती से प्रहार करेंगे। अब ऐसे में जानते हैं कि आखिर पैगंबर कार्टून विवाद क्या है और दुनिया भर के मुसलमान फ्रांस का विरोध क्यों कर रहे हैं?

क्या है विवाद?
इस विवाद को समझने के लिए हमें 15 दिन पहले जाना होगा। दरअसल, 18 साल के अब्दुल्लाख अंजोरोव इस्लामिक कट्टरवादी ने 16 अक्टूबर को फ्रांस के एक शिक्षक की सिरकलम कर सिर्फ इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि शिक्षक ने पैगंबर मोहम्मद वाला कार्टून दिखाया था। शिक्षक सैमुएल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर यह कार्टून दिखा रहे थे। 


सैमुअल को फ्रांस में लोगों ने श्रद्धांजलि दी। 

सैमुअल की मौत के बाद फ्रांस में लोग सड़कों पर उतर आए। यहां तक की शहरों में सैमुअल को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी तस्वीर के साथ पैगंबर मोहम्मद के कार्टून भी लगाए। 

क्या कहा फ्रांस के राष्ट्रपति ने?
इनमें से एक कार्यक्रम में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने सैमुअल की तारीफ करते हुए संकल्प लिया कि अभिव्यक्ति को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी। मैंक्रों ने सैमुएल को इस लड़ाई का चेहरा बताया था।

इसके बाद सोमवार को भी मैक्रों ने कहा, वे झुकेंगे नहीं, लेकिन शांतिप्रिय मतभेदों का आदर भी करते हैं। हम नफरत भरे भाषण स्वीकार नहीं करेंगे और तार्किक बहस का बचाव करेंगे। हम हमेशा मानवीय मर्यादा के पक्षधर रहे हैं। 

फ्रांस राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों।

नाराज हुए मुस्लिम देश

कार्टून विवाद को लेकर कई मुस्लिम देशों ने फ्रांस और मैक्रों के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। यहां तक की सिर्फ अरब ही नहीं, बल्कि तुर्की, पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने खुलकर राष्ट्रपति मैक्रों का विरोध किया। उन्होंने मंगलवार को मैक्रों के बयान को खुला उकसावा बताया। एर्दोगान ने कहा, इस्लाम की सरंचना के बारे में बात करने वाले आप कौन होते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने मैक्रों पर अभद्र होने का आरोप लगाया। 

दरअसल, तुर्की और फ्रांस के बीच रिश्ते पहले से ठीक नहीं हैं। फ्रांस ने लीग ऑफ नेशंस के जरिए तुर्की के इलाके इदलिब और अलेप्पो को सीरिया में मिलाया था। इसके अलावा पहले विश्व युद्ध में फ्रांस ने ग्रीस का साथ दिया था। ऐसे में दोनों के बीच विवाद एक बार फिर बढ़ने लगा है। 


तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने खुलकर राष्ट्रपति मैक्रों का विरोध किया


आमने सामने आए तुर्की-फ्रांस
तुर्की और फ्रांस के बीच यह विवाद कम होता नहीं दिख रहा है। दरअसल, फ्रांसीसी त्रिका शार्ली एब्दो ने तुर्की के राष्ट्रपति का एक कार्टून छापा है। इसमें रजब तैयब एर्दोगान का मजाक बनाया गया है। इस कार्टून के प्रकाशित होने के बाद तुर्की ने फ्रांस के खिलाफ कानूनी और कूटनीतिक कार्रवाई की धमकी तक दे डाली है।

पाकिस्तान ने भी फ्रांस पर साधा निशाना
उधर, इस मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा, फ्रांस में मुस्लिमों के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, वो दुनिया में इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश है। इसके खिलाफ सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होने की जरूरत है। खासतौर पर यूरोप में। 

Pakistani PM Imran Khan wrote to Facebook CEO Zuckerberg, said - Ban on content of growing Islamophobia
इमरान ने कहा- यह इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश है

ये देश उतरे विरोध में
तुर्की, ईरान, पाकिस्तान के अलावा जॉर्डन, कतर और कुवैत में भी फ्रांसीसी उत्पादों की दुकानों को हटाया जा रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश, इराक, लीबिया और सीरिया में भी फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन हुए।  
पाकिस्तान के कराची में भी फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन हुए। 

फ्रांस को किसका मिला समर्थन?
इस पूरे मामले में फ्रांस को यूरोप के देशों का समर्थन मिला है। जर्मनी ने मैक्रों के साथ एकजुटता जाहिर की। जर्मनी ने तुर्की के राष्ट्रपति के बयान की आलोचना की। इसके अलावा नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूटे ने कहा है कि उनका देश मजबूती से फ्रांस के साथ खड़ा है। इसके अलावा इटली के प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर खुलकर फ्रांस का समर्थन किया। 


भारत ने फ्रांस का खुलकर समर्थन किया। 

भारत का क्या है पक्ष? 
भारत ने इस पूरे मामले में फ्रांस का खुलकर समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों पर हो रहे व्यक्तिगत हमलों की आलोचना की। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, हम राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ किए गए व्यक्तिगत हमलों की निंदा करते हैं। ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली बातचीत के बेसिक कायदों का उल्लंघन है। हम उस आतंकवादी हमले की भी निंदा करते हैं, जिसमें फ्रांस के शिक्षक की खतरनाक तरीके से जान ली गई। शिक्षक के परिवार और फ्रांस के लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

भारत के इस बयान को लेकर फ्रांस ने धन्यवाद कहा। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत-फ्रांस की एकजुटता की बात कही। 

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