जहां से फैला कोरोना वायरस, वहां से 80 दिन बाद आई राहत भरी खबर

जहां बीजिंग जैसे बड़े शहर में लॉकडाउन जैसे बड़े कदमों से वायरस को फैलने में रोकने में मदद मिली है वहीं इससे लोगों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग चाइना की रूलिंग पार्टी (कम्यूनिस्ट पार्टी) पर डाटा के हेरफेर का भी अंदेशा लगा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 1:37 PM IST


वीजिंग. चीन के जिस शहर से सबसे पहले कोरोना वायरस फैला था वहां से एक राहत की खबर सामने आ रही है। वुहान में गुरुवार को पहली बार ऐसा हुआ कि कोई नया संक्रमण नहीं मिला है। जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।

चीन में अब भी खतरा बरकरार

हालांकि खतरा अभी टला नहीं है। नया संक्रमण का मतलब यह नहीं है कि कोई नया केस नहीं मिला। वहीं गुरुवार को ही 34 नए केस मिले हैं जो लोग बाहर से आए थे। नया संक्रमण नहीं मिलने का मतलब है कि गुरुवार के दिन कोई नया व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ। बल्कि जो लोग पहले से संक्रमित हैं वे गुरुवार को सामने आए हैं। यह खबर इस बात की ओर भी इशारा करती है कि चीन सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कदमों से इस महामारी से निपटने में मिलने लगी है।

रूलिंग पार्टी पर डाटा में हेरफेर का आरोप

जहां बीजिंग जैसे बड़े शहर में लॉकडाउन जैसे बड़े कदमों से वायरस को फैलने में रोकने में मदद मिली है वहीं इससे लोगों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग चाइना की रूलिंग पार्टी (कम्यूनिस्ट पार्टी) पर डाटा के हेरफेर का भी अंदेशा लगा रहे हैं।

चीन में कई शहरों को किया गया लॉकडाउन

चीन सरकार ने कई शहरों को लॉकडाउन कर दिया था। सारा यातायात भी रोक दिया था। जिसके बाद इसमें तेजी से सुधार देखने को मिला है। हॉंगकॉंग यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ एपीडॉमॉलॉजी एंड बायोस्टिक्स विभाग के प्रमुख बेन काउलिंग ने इस पर बताया कि देश में जो पहली तरंग उठी थी उसके बाद पहली बार कोई अच्छी खबर आई है। लेकिन हम यह भी नहीं कह सकते कि सरकार ने जो फैसले लिये हैं उनसे लगातार अच्छी खबर आती रहेगी। क्योंकि लॉकडाउन जैसे उपाय लंबे समय तक कारगर साबित नहीं हो सकते।

कोरोना ने चीन को आर्थिक रूप से कमजोर किया 

चीन के प्रधानमंत्री ने इसे महामरी के खिलाफ आम आदमी की लड़ाई (peoples war against the epidemic) नाम दिया। उनकी पार्टी इस पर लगातार काम कर रही है और वह इसे दूसरे देशों को सफल मॉडल के रूप में दिखाना चाहते हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि इसके लिए नागरिकों ने स्वतंत्रता की बड़ी कीमत चुकाई है। लोगों को आर्थिक रूप से भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। सरकार की योजनाओं के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। वुहान और हुबाई में लॉकडाउन के कारण वहां मरीजों की संख्या बढ़ गई थी। जिसके बाद अस्पताल में लोगों की भीड़ लगने लगी। स्थानीय लोगों ने फूड सप्लाई के ऊपर हड़ताल भी की थी। वहीं लोगों को इलाज समय पर न मिलने के कारण जान गंवानी पड़ी।

सरकार ने पत्रकारों पर भी दबाव बनाए

वायरस फैलने के शुरुआती दिनों में टेस्ट किट की कमी के कारण बहुत लोगों का टेस्ट नहीं हो पाया था, जबकि उनमें से कई लोग पॉजिटिव थे। जिन्हें अब ढ़ूंढ़ना थोड़ा मुश्किल है। जिनपिंग की पार्टी पर आरोप है कि उन्होंने वायरस फैलने की खबर के बाद उसके प्रोटेक्शन लोगों पर जबरन थोप दिए। वहीं रिपोर्टस को गुमराह किया और पत्रकारों पर भी दबाव बनाया। पार्टी की नीतियों के खिलाफ एक आर्टिकल लिखने वाले व्यापारी रेन झिंगेंग भी कुछ दिनों से लापता हैं। वहीं इन सब के बीच चीन की इंडस्ट्रीज में काम पर भी असर पड़ रहा है जिसके कारण साल के शुरू के दो महीने में मेन्यूफेक्चरिंग और सेल्स एक्टिविटीज पर गहरा असर पड़ा है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पूरी दुनिया की इकॉनमी पर गहरा असर पड़ेगा। वहीं इन सब के बीच इकॉनमी रिसेसन में भी जा सकती है। 

Share this article
click me!