Srilanka Crisis: कौन है ओमालपे सोबिथा थेरा जिन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति को देश छोड़ भागने पर किया मजबूर

श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से बाहर भगाने में बौद्ध भिक्षु ओमालपे सोबिथा थेरा का बहुत बड़ा योगदान है। सोबिथा थोरा ने ही श्रीलंका में चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन को हवा दी। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं डॉक्टर ओमालपे सोबिथा थेरा। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 13, 2022 9:26 AM IST

Srilanka Crisis: श्रीलंका में उपजे आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव भाग गए हैं। देश को बुरे हालात पर छोड़ मालदीव भागे राजपक्षे को लेकर श्रीलंका की जनता का गुस्सा और भड़क गया है। लोग पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच जनता के गुस्से को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका में इमरजेंसी लागू कर दी है। बता दें कि श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश से बाहर भगाने में बौद्ध भिक्षु ओमालपे सोबिथा थेरा का बहुत बड़ा योगदान है। सोबिथा थोरा ने ही श्रीलंका में चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन को हवा दी। हालांकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफा देते ही राष्ट्रपति भवन को खाली करने के लिए कहा था। लेकिन वो इस्तीफा देने से पहले ही देश छोड़कर भाग गए। 

कौन हैं ओमालपे सोबिथा थेरा?
ओमालपे सोबिथा थेरा (Omalpe Sobitha Thera) श्रीलंका के एक बौद्ध पुजारी हैं। उनका जन्म 26 मई, 1950 को एम्बिलिपिटिया शहर में जे. जुवानिस अपुहामी और डब्ल्यू. के. पोडिमानिके के घर हुआ था। थेरा सात भाई-बहनों में पांचवे नंबर के हैं। थेरा महज 11 साल की उम्र में ही बौद्ध भिक्षु बन गए थे। थेरा की शुरुआती मठ शिक्षा वेन लालपे सिरिवंसा थेरा के मार्गदर्शन में हुई। थेरा ने श्री जयवर्धनेपुरा यूनिवर्सिटी से आर्ट में ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री ली। थेरा ने 1988 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बौद्ध धर्म में पीएचडी भी की है। 

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भारत और थाइलैंड से मिल चुकी स्कॉलरशिप : 
ओमालपे सोबिथा थेरा ने श्रीलंका के विभिन्न धार्मिक और भाषाई समूहों के बीच आपसी सम्मान और दोस्ती को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा वो बच्चों और युवाओं के बीच सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा को बढ़ावा देने की वकालत भी करते हैं। 1981 में थेरा को थाईलैंड सरकार ने रॉयल थाई फैलोशिप से सम्मानित किया था। 1983 में उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा हिस्टोरिकल रिसर्च स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया।

16 से ज्यादा देशों में पेश किए रिसर्च पेपर : 
ओमालपे सोबिथा थेरा ने जापान, ताइवान, थाईलैंड, भारत, चीन, स्पेन, अमेरिका और कई अन्य देशों में 16 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है। इन सम्मेलनों में वे बौद्ध धर्म पर किए गए अपने रिसर्च पेपर पेश कर चुके हैं। इनमें धर्म और आगे की चुनौतियां, वर्तमान समय की समस्याओं के समाधान के रूप में बौद्ध धर्म, एक सार्वभौमिक सत्य के रूप में धम्म, बौद्ध जप का महत्व, बौद्ध भिक्षु और सामाजिक उत्तरदायित्व उनके द्वारा दिए गए कुछ प्रमुख शोध कार्य हैं। 

सुनामी के दौरान लोगों को बनवा कर दिए 700 घर : 
2003 में ओमालपे सोबिथा थेरा ने एम्बिलीपिटिया बोधिराज इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की। इस स्कूल में उस क्षेत्र के सभी बच्चों के लिए इंटरनेशनल लेवल की एजुकेशन दी गई। 2004 में श्रीलंका में आई भीषण सुनामी में मची तबाही के बाद उन्होंने लोगों को घर दिलाने के लिए आवास परियोजना शुरू की। इसके तहत लोगों को 700 घर बनाकर दिए गए। 

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