MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • World News
  • श्रीलंका की तरह तबाही की कगार पर पहुंच गए थे 8 देश, कोई हुआ कंगाल-कहीं फैल गई थी भुखमरी

श्रीलंका की तरह तबाही की कगार पर पहुंच गए थे 8 देश, कोई हुआ कंगाल-कहीं फैल गई थी भुखमरी

Sri Lanka Crisis: लंबे समय से आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए हैं। खबरों की मानें तो राजपक्षे मालदीव पहुंच गए हैं। संकट की घड़ी में देश को अकेला छोड़कर भागने की वजह से जनता राजपक्षे पर बुरी तरह भड़की हुई है। पूरे श्रीलंका में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और सरकारी संपत्ति को आग लगा रहे हैं। लोगों के हिंसक विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश में इमरजेंसी लगा दी है। बता दें कि गलत आर्थिक फैसलों, सस्ते ब्याज, मुफ्त की स्कीमों और 50 बिलियन डॉलर के विदेशी कर्ज में फंसा श्रीलंका अब दिवालिया होने की कगार पर है। वैसे, श्रीलंका जैसे हालात पहले भी कई देशों में बन चुके हैं।  

4 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jul 13 2022, 01:42 PM IST| Updated : Jul 18 2022, 02:42 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
18

वेनेजुएला : 
2017 में वेनेजुएला में आए आर्थिक संकट ने देश को दिवालिया घोषित करवा दिया था। गलत आर्थिक नीतियों और जरूरत से ज्यादा विदेशी कर्ज लेने की वजह से वेनेजुएला की मुद्रा बेहद नीचे गिर गई थी। वेनेजुएला में करेंसी की वैल्यू इतनी ज्यादा गिर गई थी कि एक कप चाय या कॉफी की कीमत भी 25 लाख बोलिवर हो गई थी। वेनेजुएला की करंसी में आई गिरावट की वजह से लोगों को दूध-आटा जैसे खाने-पीने की चीजों के लिए भी बोरे में भर भरकर नोट देने पड़ते थे। वेनेजुएला के कुल निर्यात में 96% हिस्सेदारी अकेले तेल की है। अमेरिका-यूरोप के प्रतिबंधों के चलते जब तमाम देशों ने उससे तेल लेना बंद कर दिया तो उसकी इकोनॉमी एकदम बैठ गई। 

28

जिम्बाब्बे : 
जिम्बाब्वे उन देशों में शामिल है, जहां हाइपर इन्फ्लेशन (Hyper Inflation) का सामना करना पड़ा था। 2008 में जब दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही थी तो जिम्बाब्वे में हालात बेहद ज्यादा खराब हो गए थे। वहां महंगाई इस कदर बढ़ गई थी कि रिजर्व बैंक ऑफ जिम्बाब्वे को 100 लाख करोड़ डॉलर का नोट जारी करना पड़ा था। जिम्बाब्वे का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया था और उसकी करेंसी जिम्बाब्वीयन डॉलर की वैल्यू रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी। जिम्बाब्बे की मुद्रा  इतनी कमजोर हो गई थी कि ब्लैक मार्केट में ब्रेड का एक टुकड़ा भी 1000 करोड़ जिम्बाब्वीयन डॉलर में मिलने लगा था। 

38

ग्रीस : 
2001 में अपनी करेंसी को हटाकर यूरो को अपनाने के बाद से ग्रीस में आर्थिक संकट गहरा गया था। 2004 के एथेंस ओलंपिक के आयोजन के लिए किए गए 9 बिलियन यूरो के खर्च ने सरकार को दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा दिया था। इसके साथ ही कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने और लगातार बढ़ते खर्चों के चलते सरकारी खजाना खाली हो गया था। ग्रीस अभी आर्थिक संकट झेल ही रहा था कि 2008 से दुनिया मंदी की चपेट में आ गई। इसकी वजह से शेयर बाजार नीचे आ गया। टूरिस्ट प्लेस बंद हो गए और विदेशी निवेशक भी ग्रीस से दूर होते गए। यहां तक कि ग्रीस भुखमरी की कगार पर पहुंच गया था। बाद में वहां हालात सामान्य होने में कई साल लग गए। 

48

आइसलैंड : 
आइसलैंड में भी कभी श्रीलंका जैसे हालात बन गए थे। आइसलैंड के तीन बैंकों ने 85 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज लिया था, लेकिन वो इसे चुका नहीं पाए। बैंकों ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया, जिसका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ा। लोगों की नौकरियां चली गई, लोग अपना कर्ज नहीं चुका पा रहे थे। दूसरी ओर बाजार में महंगाई बढ़ने से लोगों की जमा पूंजी भी खत्म होने लगी। इस आर्थिक संकट की प्रमुख वजह आइसलैंड में प्राइवेट बैंकों द्वारा बिना गारंटी और आसान शर्तों पर अंधाधुंध कर्ज देना था।  

58

अर्जेंटीना : 
जुलाई, 2020 में अर्जेंटीना में भी आर्थिक संकट आ गया था। यहां तक कि यह देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया था। दरअसल, अर्जेंटीना की इकोनॉमी में इन्वेस्ट करने वाले विदेशी निवेशको ने बॉन्ड के 1.3 बिलियन डॉलर सरकार से वापस मांग लिए थे। बैंकों और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस ने इस कर्ज को लौटाने से साफ मना कर दिया। अर्जेंटीना में बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया था। 

68

मैक्सिको : 
मैक्सिको की सरकार ने 28 साल पहले यानी 1994 में डॉलर के मुकाबले अपनी करेंसी का 15% अवमूल्यन कर दिया। इसका असर वहां की इकोनॉमी पर निगेटिव पड़ा। विदेशी निवेशकों ने मुद्रा के अवमूल्यन के डर से अपना मैक्सिको के मार्केट में लगा अपना पैसा खींच लिया। इससे वहां का शेयर बाजार और जीडीपी दोनों गिर गए। खुद को आर्थिक संकट से बचाने के लिए मेक्सिको को 80 बिलियन डॉलर का लोन लेना पड़ा। 

78

रूस : 
1991 में सोवियत संघ के अलग होने के बाद रूस पर काफी कर्ज बढ़ गया था। यहां तक कि 1998 आते-आते रूस दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया था। डिफॉल्ट के हालात बनते ही विदेशी मुद्रा भंडार को भारी नुकसान हुआ। शेयर बाजार धराशायी हो गया। महंगाई तेजी से बढ़ी, जिसकी वजह से जनता के लिए खाने-पीने की चीजें खरीदना मुश्किल हो गया था। इसका असर सिर्फ रूस पर ही नहीं बल्कि एशिया समेत अमेरिका, यूरोप और बाल्टिक देशों पर भी पड़ा था। 

88

अमेरिका : 
अमेरिका ने अपने देश में नई नहरें बनाने के लिए 1840 में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स शुरू किए। इसके लिए 80 मिलियन डॉलर का लोन लिया। इतना लोन लेने की वजह से वहां की इकोनॉमी कमजोर पड़ने लगी। इसका असर वहां के बड़े राज्यों इलिनॉइस, पेंसिल्वेनिया और फ्लोरिडा पर भी पड़ा। देश पर बढ़ते कर्ज की वसूली के लिए सरकार ने अमेरिकी जनता पर कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लागू कर दिए। इसका असर वहां महंगाई के रूप में सामने आया।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।
Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved