शराब-स्वीट ड्रिंक हर साल 1 करोड़ लोगों की ले रही जान, WHO ने कहा- लगाना चाहिए अधिक टैक्स

WHO ने कहा है कि शराब और मीठे पेय पदार्थों पर अधिक टैक्स लगाना चाहिए। इनके चलते हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत होती है। टैक्स बढ़ाने पर ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल कम होगा।

 

नई दिल्ली। WHO (World Health Organization) ने बताया है कि पूरी दुनिया में शराब और मीठे पेय पदार्थ पीने के चलते एक करोड़ लोगों की मौत होती है। इसे कम करने के लिए WHO ने सरकारों से आग्रह किया है कि ऐसे पदार्थों पर अधिक टैक्स लगाए। WHO ने कहा है कि बहुत कम देश अपने नागरिकों के सेहत को ठीक करने के लिए टैक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।

WHO ने दुनिया से शराब और चीनी वाले मीठे पेय पदार्थों पर टैक्स बढ़ाने का आग्रह किया है। WHO इसको लेकर मंगलवार को बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे उत्पादों पर दुनिया में औसत टैक्स कम है। टैक्स बढ़ाने से लोगों का सेहत बेहतर हो सकता है। WHO ने कहा, "WHO सिफारिश करता है कि उत्पाद शुल्क सभी चीनी वाले मीठे पेय पदार्थों और मादक पेय पदार्थों पर लागू होना चाहिए।"

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शराब पीने हर साल मरते हैं 26 लाख लोग
WHO ने बताया कि दुनिया में शराब पीने से हर साल 26 लाख लोग मरते हैं। 80 लाख से अधिक लोग सेहत खराब करने वाले भोजन और पेय पदार्थ लेने से मरते हैं। शराब और मीठे पेय पदार्थों पर टैक्स बढ़ाने से इन मौतों में कमी आएगी। इससे न केवल इन उत्पादों के उपयोग में कटौती होगी, बल्कि कंपनियों को सेहत के लिए अच्छे उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।

सोडा पर लगता है औसतन 6.6 फीसदी टैक्स
WHO ने कहा कि 108 देश शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कुछ टैक्स लगाते हैं। वैश्विक स्तर पर उत्पाद शुल्क औसतन सोडा की कीमत का केवल 6.6 प्रतिशत है। इनमें से आधे देश पानी पर भी टैक्स लगाते हैं। WHO के हेल्थ प्रमोशन डायरेक्टर रुडिगर क्रेच ने कहा, "सेहत के लिए खराब उत्पादों पर टैक्स लगाने से आबादी स्वस्थ बनती है। इसका पूरे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बीमारी और दुर्बलता कम होती है। शराब पर टैक्स लगाने से इसकी खपत कम होती है। इससे हिंसा और सड़क हादसे कम करने में मदद मिलती है।"

WHO ने शराब टैक्स नीति के लिए जारी किया मैनुअल

WHO ने मंगलवार को 194 सदस्य देशों के लिए शराब टैक्स नीति और प्रशासन पर एक मैनुअल जारी किया। इसमें कहा गया है कि टैक्स लगाने के साथ ही न्यूनतम मूल्य तय किए जाने से सस्ती शराब की खपत रोकी जा सकती है। इससे शराब पीने से मरने, हादसे और अपराध में कमी होगी। जो लोग कभी-कभार भारी मात्रा में शराब पीते हैं वे सबसे सस्ता शराब पेय पीते हैं।

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WHO के अनुसार करीब 148 देश शराब पर राष्ट्रीय उत्पाद शुल्क लगाते हैं। शराब को कम से कम 22 देशों में उत्पाद शुल्क से छूट दी गई है। इनमें से अधिकांश यूरोपीय क्षेत्र में हैं। बीयर के सबसे अधिक बिकने वाले ब्रांड की कीमत में उत्पाद शुल्क औसतन 17.2 प्रतिशत है, जबकि सबसे अधिक बिकने वाले स्प्रिट के सबसे अधिक बिकने वाले ब्रांड के लिए यह 26.5 प्रतिशत है।

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