International Labour Day 2023: क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस? जानिए भारत में कब हुई थी इसकी शुरुआत?

मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को हुई थी।

Danish Musheer | Published : May 1, 2023 3:41 AM IST

International Labour Day 2023: आज दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। मजदूर दिवस (International Labour Day) हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश् यमजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके द्वारा किए गए योगदान को याद करना है। इसके अलावा मजदूरों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और उनका शोषण रोकने के लिए भी मजदूर दिवस मनाया जाता है।

मजदूर दिवस को कुछ देशों में श्रमिक दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन मजदूरों को समर्पित है और उनके बीच उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देता है। मजदूरों के इस आंदोलन की शुरुआत 1 मई 1886 को (1st may labour day) अमेरिका में हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ गए थे।

दरअसल, उस समय मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता थ। इस आंदोलन के बीच मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें मजदूरों की जान चली गई, वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए।मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य श्रमिक वर्ग द्वारा किए गए भारी मात्रा में किए गए प्रयासों का सम्मान करना, उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताना और उन्हें शोषण से बचाना है।

1 मई को क्यों मनाया जाता मजदूर दिवस

इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई, जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा। इस सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया, साथ ही हर साल 1 मई को छुट्टी देने का भी फैसला लिया गया। अमेरिका में मजदूरो के आठ घंटे काम करने के निमय के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया।

भारत में लेबर डे की शुरुआत कब हुई?

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को हुई। इसे सबसे पहले मद्रास (चेन्नई) शुरू किया गया। बता दें कि 1 मई 1923 में लेबर किसान पार्टी ऑफ इंडिया की अध्यक्षता में लेबर डे मनाने का फैसला किया गया था। इस बैठक को कई सारे संगंठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला, जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।

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