Nobel Peace Prize 2025: क्यों डोनाल्ड ट्रंप जीत नहीं सके नोबेल शांति पुरस्कार?

Published : Oct 10, 2025, 04:53 PM IST
President Donald Trump

सार

नोबेल शांति पुरस्कार 2025 वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे पाने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है। नोबेल समिति ने बताया है कि उनके फैसले की वजह क्या है।

Nobel Peace Prize: नॉर्वे की नोबेल समिति ने शुक्रवार को वेनेजुएला की विपक्षी नेता और लोकतंत्र कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की। इसके साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वह नोबेल शांति सम्मान जीतने के लिए बड़ी कोशिश कर रहे थे। भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष समेत कई लड़ाइयां रुकवाने का दावा किया था।

नोबेल समिति ने शांति सम्मान दिए जाने की ट्रंप की मांग पर कहा है कि यह पुरस्कार लॉबिंग या राजनीतिक अभियान के आधार पर नहीं दिया जाता है। समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा,

यह समिति सभी पुरस्कार विजेताओं के चित्रों से भरे एक कमरे में बैठती है। यह कमरा साहस और निष्ठा से भरा है। हम अपना निर्णय पूरी तरह से अल्फ्रेड नोबेल के कार्य और इच्छाशक्ति के आधार पर लेते हैं।

नोबेल समिति ने खारिज किया डोनाल्ड ट्रंप का नामांकन

नोबेल समिति ने शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप का नामांकित खारिज कर दिया है। ऐसा उनके साथ कई बार हो चुका है। कथित तौर पर ट्रंप के नामांकन को रूस, रवांडा, गैबॉन, अजरबैजान और कंबोडिया जैसे देशों से समर्थन प्राप्त हुआ। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ जैसे नेताओं ने भी उनका नाम आगे बढ़ाया। इसके बाद भी समिति ने ट्रंप के नामांकन को खारिज कर दिया। समिति ने कहा कि प्रचार अभियान उसके चुनाव को प्रभावित नहीं करते। फ्राइडनेस ने कहा,

हमें हर साल लोगों से हजारों पत्र मिलते हैं, जिनमें बताया जाता है कि उनके लिए शांति का मार्ग क्या है। लेकिन जो मूल्य हमारा मार्गदर्शन करते हैं वे हैं साहस और ईमानदारी।

 

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वेनेजुएला में लोकतंत्र के लिए मारिया कोरिना मचाडो ने किया संघर्ष

नोबेल समिति ने मारिया कोरिना मचाडो को वेनेजुएला में लोकतंत्र बहाल करने के उनके अथक संघर्ष के लिए सम्मानित किया। यह पुरस्कार "लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के उनके अथक प्रयास" और निकोलस मादुरो के शासन में "तानाशाही से लोकतंत्र में शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए उनके संघर्ष" को दर्शाता है।

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