सऊदी अरब ने मरहम के बिना महिलाओं को हज या उमरा पर जाने की अनुमति देने की घोषणा के समय बताया कि मिस्त्र के अल-अज़हर अल शरीफ में मौजूद फतवा के सुपरवाइज़र अब्बास शोमैन ने मार्च 2022 में यह घोषणा की थी कि महिलाएं बिना किसी महरम के हज या उमरा जा सकती हैं। उनके ऐलान के बाद यह निर्णय लिया गया है।
Women to go for Hajj and Umrah without Mahram: हज का ख्वाब पाले दुनियाभर की मुस्लिम महिलाओं के लिए सऊदी अरब ने बड़ा फैसला किया है। सऊदी अरब ने हज यात्रा पर जाने वाली मुस्लिम महिलाओं के लिए महरम के बिना भी जाने की अनुमति दे दी है। अब महिलाएं हज या उमरा बिना किसी मरहम के कर सकेंगी। पहले मरहम यानी बिना किसी पुरुष अभिभावक के हज पर महिलाओं को मनाही थी। सऊदी अरब विज़न 2030 के तहत हज और उमरा के लिए यह सुविधाएं मुहैया करवाईं गईं हैं। सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री तौफिक बिन फवाज़ान अल राबियाह ने घोषणा की है।
पूरी दुनिया के महिलाओं को राहत
सऊदी अरब के ऐलान के बाद पूरी दुनिया की मुस्लिम महिलाओं को लाभ मिल सकेगा। अब वह बिना किसी मरहम के हज या उमरा कर सकेंगी। नई घोषणा के अनुसार वह किसी विश्वसनीय महिला के साथ यात्रा कर सकती हैं। हज और उमरा सेवा के सलाहकार अहमद सालेह हलाबी ने कहा कि अब महिलाएं बिना मरहम के किसी विश्वसनीय महिला या सुरक्षित साथी के संग हज या उमरा पर जा सकती हैं। यह घोषणा पूरी दुनिया के हाजियों पर लागू होगी। इसके पहले महिलाओं को बिना किसी मरहम के हज या उमरा के लिए जाने की अनुमति नहीं थी।
दशकों पुराना कानून खत्म कर दिया सऊदी अरब ने
महिलाओं को हज या उमरा पर जाने के लिए किसी मरहम की मौजूदगी अनिवार्य होती थी। सऊदी अरब ने हाजियों के लिए यह कानून दशकों के पहले बनाया था। लेकिन महिलाओं के हज या उमरा के लिए मरहम की अनिवार्यता खत्म करके सऊदी अरब ने दशकों पुराने अपने कानून को खत्म करने की पहल की है।
फतवा सुपरवाइजर ने पिछले साल की थी घोषणा
सऊदी अरब ने मरहम के बिना महिलाओं को हज या उमरा पर जाने की अनुमति देने की घोषणा के समय बताया कि मिस्त्र के अल-अज़हर अल शरीफ में मौजूद फतवा के सुपरवाइज़र अब्बास शोमैन ने मार्च 2022 में यह घोषणा की थी कि महिलाएं बिना किसी महरम के हज या उमरा जा सकती हैं। उनके ऐलान के बाद यह निर्णय लिया गया है।
क्या है हज या उमरा?
दरअसल, इस्लाम धर्म में हज का विशेष महत्व है। यह इस्लाम का पांचवां स्तंभ माना जाता है। हर मुस्लिम व्यक्ति को इस वार्षिक धार्मिक यात्रा को अपने जीवन में कम से कम एक बार करने की बात कही गई है। दुनिया भर के मुसलमान अपने जीवन में कम से कम एक बार हज पर जरूर जाते हैं। जबकि उमरा भी हज जैसी ही धार्मिक यात्रा है लेकिन इसकी अहमियत थोड़ी कम है। उमरा साल में कभी भी किया जा सकता है जबकि हज साल में एक बार ही होती है।
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