World War II के चार नाजी कैंपों से जीवित बचे 96 साल के बुजुर्ग की रूसी हमले में मौत, फ्लैट में मारे गए बोरिस

बोरिस रोमेंटशेंको नाजी युग की भयावहता के बारे में दूसरों को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध थे। सहायता नेटवर्क के अनुसार, यूक्रेन में रहने वाले नाजी अपराधों के करीब 42,000 अभी भी जीवित हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 21, 2022 7:04 PM IST

बर्लिन। द्वतीय विश्व युद्ध (World War II) में चार नाजी कंसेन्ट्रेशन कैम्प्स से जीवित बचे बुजुर्ग की रूस ने जान ले ली है। यूक्रेन में रूस की बम और गोलीबारी में द्वतीय विश्व युद्ध की बर्बरता के गवाह 96 वर्षीय बोरिस रोमेंटशेंको (Boris Romantschenko) खार्किव शहर (Kharkiv) में अपने फ्लैट में हमले के दौरान मारे गए हैं। बुचेनवाल्ड मेमोरियल फाउंडेशन (Buchenwald Memorial foundation) ने सोमवार को बुजुर्ग के मारे जाने की जानकारी दी है। बुचेनवाल्ड और मित्तलबाउ-डोरा मेमोरियल फाउंडेशन (Mittelbau-Dora Memorials foundation) ने एक बयान में कहा, "यह निराशाजनक है कि हमें यूक्रेन में युद्ध में बोरिस रोमेंटशेंको की हिंसक मौत की सूचना देनी पड़ रही है।"

18 मार्च के रूस की गोलीबारी में मारे गए थे बोरिस

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द्वतीय विश्व युद्ध के सरवाईवर बोरिस रोमेंटशेंको (Boris Romantschenko) के बेटे और पोती ने फाउंडेशन को उनके निधन की सूचना दी। परिजन के अनुसार रोमंत्सचेंको की 18 मार्च को घर पर मौत हो गई थी, जब उनकी इमारत पर भारी गोलाबारी की गई थी। बताया जा रहा है कि बोरिस रोमेंटशेंको नाजी युग की भयावहता के बारे में दूसरों को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध थे और बुचेनवाल्ड-डोरा इंटरनेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष थे।

एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे बोरिस रोमेंटशेंको

रोमेंटशेंको का जन्म 20 जनवरी, 1926 को यूक्रेन के सूमी शहर के पास बोंडारी में एक किसान परिवार में हुआ था। हालांकि, वह यहूदी नहीं थे लेकिन जब वह 16 साल के थे, तब उनको जर्मन सैनिकों ने ले लिया था। 1942 में जर्मन शहर डॉर्टमुंड में एक मजबूर मजदूर के रूप में काम करने के लिए निर्वासित कर दिया गया था, जो उस समय यूक्रेनी आबादी के खिलाफ नाजी डराने-धमकाने की रणनीति के हिस्से के रूप में था।

चार-चार नाजी शिविरों में भयावहता देखी...

एक असफल भागने के प्रयास ने उन्हें 1943 में कुख्यात बुचेनवाल्ड एकाग्रता शिविर (Nazi concentration camps) में उतारा। उन्होंने पीनम्यूएन्डे के शिविरों में भी समय बिताया, जहां उन्हें वी 2 रॉकेट बनाने में मदद करने के लिए मजबूर किया गया था, और मित्तलबाउ-डोरा और बर्गन-बेल्सन में रखा गया।

नाजी कैंपों से जीवित अभी भी हजारों जीवित

यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख एंड्री यरमक इसे 'डिनाज़िफिकेशन ऑपरेशन' कहते हैं। पूरी दुनिया रूस की क्रूरता को देख रही है। बुचेनवाल्ड मेमोरियल ने कहा कि रोमैंट्सचेंको की मौत दिखाती है कि यूक्रेन में युद्ध कितना खतरनाक है। नाजी कैंपों से बचे लोगों के लिए भी यह युद्ध बेहद खतरनाक है। फाउंडेशन ने कहा कि यूक्रेन में पूर्व नाजी उत्पीड़ितों का समर्थन करने के लिए भोजन और दवा के दान सहित 30 अन्य स्मरण समूहों और संघों के साथ सहायता नेटवर्क स्थापित करने के लिए भागीदारी की थी।
सहायता नेटवर्क के अनुसार, यूक्रेन में रहने वाले नाजी अपराधों के करीब 42,000 अभी भी जीवित हैं।

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