
रियाद। सऊदी अरब में दस साल पहले सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल एक युवक को मौत की सजा दी गई है। किशोरावस्था में युवक के प्रदर्शन में शामिल होने का आरोप है। सुरक्षा बलों ने एक फोटो के आधार पर युवक को गिरफ्तार किया और अब उसे सजा-ए-मौत की सजा दी गई।
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2011-12 में हुआ था प्रदर्शन
सऊदी सरकार के खिलाफ साल 2011-12 में प्रदर्शन दंगे हुए थे। इस दौरान कई जगह दंगे भी भड़क गए थे। बताया जा रहा है कि मुस्तफा हाशेम अल दारविश नाम का युवक भी उस प्रदर्शन और दंगों में शामिल था। उस वक्त युवक की उम्र 17 साल थी। पुलिस ने दारविश को प्रदर्शन के कई साल बाद 2015 में गिरफ्तार किया था।
सऊदी पुलिस ने कैसे किया अरेस्ट
दरअसल, सऊदी पुलिस के अनुसार दारविश के फोन में उसे एक फोटो मिली। इस फोटो से उसके प्रदर्शन में शामिल होने की पुष्टि हो गई। फोटो में वह प्रदर्शनकारियों के साथ नजर आ रहा है। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। दारविश को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसका एक कबूलनामा भी पेश किया था।
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया दारविश का बचाव
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पुलिस के पेश किए गए दारविश के कबूलनामा को दबाव में लिखवाया गया बताया गया। दारविश के परिजन ने भी यह कहा कि पुलिस ने उससे क्रूर तरीके से पूछताछ की थी। कबूलनामा के लिए उसे शारीरिक व मानसिक तरीके से टार्चर किया गया था। परिवार के लोगों ने यह भी कहा कि उनके बेटे को सजा दे दी गई और बताया तक नहीं गया। एक वेबसाइट के जरिए उनको यह जानकारी मिली।
सऊदी में नाबालिगों को मौत की सजा नहीं देने की बात झूठ
सऊदी अरब सरकार लगातार यह कह रही है कि बचपन में किए गए अपराधों के लिए मौत की सजा नहीं दी जाएगी। ऐसे अपराधियों को बाल सुधार गृह में भेजा जाएगा। वहां दस साल तक रखा जाएगा। हालांकि, मानवाधिकार संगठन रेप्रीव ने कहा कि सऊदी में दारविश को सजा देना यह साबित करता है कि सरकार का बयान झूठ है। यहां नाबालिगों को मौत की सजा दी जा रही है। क्योंकि दारविश अगर प्रदर्शन में शामिल भी हुआ तो उसकी उम्र महज 17 साल थी। ऐसे में उसे बचपन के किए अपराध के लिए मौत की सजा कैसे दी जा सकती है।
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