सार
बिहार में पहले चरण के लिए बुधवार को मतदान है। जहां एक ओर भाजपा और जनता दल (यू) चुनाव मैदान में है तो वहीं विपक्ष के तौर पर महागठबंधन ताल ठोक रहा है। लेकिन इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने एक और चुनौती है। यह चुनौती चिराग पासवान और उनकी पार्टी एलजेपी है, जो इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही है।
बेंगलुरु. बिहार में पहले चरण के लिए बुधवार को मतदान है। जहां एक ओर भाजपा और जनता दल (यू) चुनाव मैदान में है तो वहीं विपक्ष के तौर पर महागठबंधन ताल ठोक रहा है। लेकिन इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने एक और चुनौती है। यह चुनौती चिराग पासवान और उनकी पार्टी एलजेपी है, जो इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही है।
एलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सराफ ने Asianet Newsable से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि एलजेपी क्यों एनडीए से बाहर आई। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि एलजेपी इस बार राज्य में भाजपा का सीएम बनाने के लिए एक जरिया होगी।
सवाल: बिहार इसका फैसला करने जा रहा है कि अगले 5 सालों तक सत्ता में कौन रहेगा, ऐसे में आप एलजेपी को कहां पाते हैं?
संजय सराफ ने कहा, हम अच्छा कर रहे हैं। चिराग का विजन 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' जमीनी स्तर पर लोगों के बीच तेजी से फैल रहा है। खासकर बिहार के युवाओं के बीच। बिहार में करीब 60% युवा है, जिन्होंने नीतीश कुमार को नकार दिया है। इसलिए हमें जमीनी स्तर पर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
सवाल: एलजेपी का भाजपा के साथ समीकरण अच्छा है, लेकिन जनता दल के साथ संबंध खराब क्यों हुए?
संजय सराफ: चिराग का विजन 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' है। वे इसे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत पेश करना चाहते थे। लेकिन जदयू को यह कभी पसंद नहीं आया। यह विजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय को भी दिखाया गया। वे यह देखकर काफी खुश हुए। लेकिन जब यही विजन नीतीश कुमार को दिखाया गया, वे इससे काफी नाराज हो गए। यही मुख्य वजहों से एक है, जिसकी वजह से एलजेपी और जदयू अलग अलग हो गए।
सवाल : एलजेपी नहीं चाहती कि नीतीश कुमार दोबारा सत्ता पर बैठें।
संजय सराफ: बिल्कुल, इस समय हम मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए नहीं लड़ रहे। अभी हम सिर्फ ये चाहते हैं कि सीएम पद के लिए भाजपा का उम्मीदवार हो, क्योंकि नीतीश कुमार अच्छा नहीं कर पाए। बाढ़ के दौरान 40% लोगों को घर छोड़ा पड़ा। उन्हें 10, 15 दिन और 1 महीने तक अपने घर से बाहर रहना पड़ा। नीतीश कुमार ने इन 40% लोगों की परवाह नहीं की। ऐसे में ये लोग कैसे समर्थन करेंगे। चिराग युवा हैं, उनका भविष्य अच्छा है। ऐसे में वे ऐसे नेता का क्यों समर्थन करेंगे, जो युवा विरोधी है।
सवाल: आपको ऐसा क्यों लगता है कि तेजस्वी से चिराग बेहतर हैं?
संजय सराफ: चिराग और आरजेडी में बड़ा अंतर है। आरजेडी जाति के आधार पर काम कर रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके पास तेजस्वी जैसा युवा नेता है। लेकिन पहले दिन से, डेढ़ साल पहले जबसे चिराग ने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट विजन जारी किया। वे सिर्फ युवाओं के बारे में बात कर रहे हैं। चाहें, वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, दलित हो, यादव हो या ब्राह्मण। लेकिन तेजस्वी सिर्फ यादव और मुस्लिम की बात करते हैं। यही सबसे बड़ा अंतर है।
सवाल: एलजेपी जदयू पर निशाना साध रही है, जबकि भाजपा लगातार कह रही है कि नीतीश कुमार ही उनके नेता हैं, ऐसे में आपका टेक क्या है?
संजय सराफ : भाजपा पर नीतीश के लिए बोलने का दबाव डाला जा रहा है। आज की बात करें तो बिहार में सिर्फ पीएम मोदी का चेहरा है। नीतीश कुमार के पास अपना कुछ भी नहीं है। हां ये सही बात है कि उन्होंने लालू यादव के 15 साल के शासन के बाद कुछ काम किया है। पहले 5 साल उन्होंने कुछ काम किया। इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन अगले दो कार्यकाल में उन्होंने काम नहीं किया।
सवाल: क्या चिराग और अन्य नेता नीतीश कुमार को सीएम का उम्मीदवार बनाने के खिलाफ थे?
संजय सराफ ने कहा, बिल्कुल। हम नीतीश कुमार को सीएम का उम्मीदवार बनाने के खिलाफ थे। हम सिर्फ नीतीश कुमार की वजह से ही एनडीए के बाहर से चुनाव लड़ रहे हैं।
सवाल: क्या राजद या कांग्रेस से कोई संपर्क है? क्या चुनाव के बाद गठबंधन की कोई उम्मीद?
संजय ने कहा, नहीं ऐसा नहीं है। ना इसकी उम्मीद है। हम पहले से एनडीए का हिस्सा हैं। हम केंद्र में एनडीए का हिस्सा हैं और रहेंगे।
सवाल: क्या ऐसी कोई मांग रखी गई है कि रामविलास पासवान की जगह चिराग पासवान को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलेगी?
संजय सराफ : नहीं ऐसी कोई मांग नहीं रखी गई है। यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार
है। हमारी तरफ से ऐसी कोई मांग नहीं रखी गई है। हम क्यों मांग करेंगे। अगर उन्हें लगेगा कि चिराग इस पद के लिए ठीक हैं, तो ठीक है। नहीं तो यह भाजपा का विशेषाधिकार है। हम उनपर कोई दवाब नहीं डालेंगे।