सार
याचिका झारखंड हाईकोर्ट में लगाई गई है। इसमें जेल मैनुअल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए लालू को फिर से जेल शिफ्ट करने की मांग की गई है। जेडीयू समेत कई दलों ने भी सवाल उठाए हैं।
पटना। झारखंड के रांची में भ्रष्टाचार के मामले में सजा काट रहे लालू यादव को फिर से जेल में शिफ्ट करने के लिए एक जनहित याचिका दायर होने की जानकारी सामने आ रही है। याचिका झारखंड हाईकोर्ट में लगाई गई है। इसमें जेल मैनुअल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए लालू को फिर से जेल शिफ्ट करने की मांग की गई है। जेडीयू समेत कई दलों ने भी सवाल उठाए हैं। दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसकी घोषणा कभी भी की जा सकती है। हाल ही में खराब हेल्थ की वजह से लालू को जेल से रिम्स शिफ्ट किया गया था। लालू को रिम्स में निदेशक के बंगले में रखा गया है।
यहां निदेशक के बंगले के बाहर लोगों को भीड़ लग रही है। ये लोग बिहार में चुनाव के दावेदार बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जेल में बंद होने की वजह से चुनाव से बाहर नजर आ रहे लालू रिम्स से ही पार्टी की रणनीति को कंट्रोल कर रहे हैं। लालू अब भी आरजेडी और महागठबंधन के सर्वेसर्वा हैं। वो यहां कथित तौर पर राजनीतिक मुलाकातें कर रहे हैं और चुनाव से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। लेकिन यहां आने वाले लालू की तबियत जानने का हवाला दे रहे हैं। मामला तूल पकड़ने के बाद रांची प्रशासन सक्रिय भी हुआ है। बताते चलें कि झारखंड में हेमंत सोरेन की झामुमो सरकार है। झामुमो, राज्य में आरजेडी का राजनीतिक सहयोगी है। इस मुद्दे की वजह से हेमंत सरकार आरोपों में घिर गई है।
RJD छोड़कर भागने वाले विधायकों का सिलसिला जारी
अभी चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान नहीं किया है। मगर, लालू के बिना पहली बार बड़े चुनाव का सामना कर रही आरजेडी को चुनाव से पहले ही एक साथ कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के अंदर चुनाव से पहले असंतुष्टों का मामला बढ़ता ही जा रहा है। रघुवंश प्रसाद सिंह ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है। इस बीच एक-एक कर कई विधायक लालू का दामन छोड़कर नीतीश कुमार की जेडीयू में शरण ले चुके हैं। अब तक पार्टी के सात विधायक और 5 एमएलसी ने दल बदल लिया है। अब आरजेडी विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह ने भी जेडीयू का दामन थाम लिया।
4 सितंबर से शुरू होगी कांग्रेस की वर्चुअल रैली
सितंबर के पहले दिन से वर्चुअल रैली के जरिए राज्य में कांग्रेस अपना अभियान शुरू करने वाली थी। लेकिन अब इसे 4 सितंबर से शुरू करने की संभावना है। दरअसल, ये रणनीति में ये बदलाव सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद किया गया। देश में इस वक्त तीन दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित है। कांग्रेस ने वर्चुअल प्रोग्राम को स्थगित कर दिया।
नीतीश, मांझी के पेंच से परेशान
उधर, एनडीए में भी सबकुछ अच्छा नहीं है। एलजेपी नाराज है तो दूसरे दल भी मोलभाव कर रहे हैं। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने की खबरें आई थीं। उनका आना तय भी है पर सीटों के बंटवारे को लेकर बात बन नहीं पा रही है। मांझी विधानसभा की 9 सीटों के साथ एक एमएलसी की सीट भी मांग रहे हैं। जेडीयू एमएलसी की सीट देने पर राजी नहीं दिख रही। जबकि मांझी एमएलसी की सीट नहीं मिलने की स्थिति में 12 विधानसभा सीटें चाहते हैं। एनडीए मांझी को सिर्फ 9 सीटें देने पर राजी है। पूरा पेंच इसी में फंस गया है और गठबंधन की घोषणा नहीं हो पा रही है।