सार

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के स्कूलों में बच्चे एक ही तरह की ड्रेस पहनते हैं। हम एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। हम उनके धर्म या संस्कृति के पालन के तरीके में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।

पटना। कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद (Hijab Controversy) की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। एक वर्ग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहा है तो दूसरा वर्ग शिक्षण संस्थानों में एक जैसा ड्रेस कोड लागू होने को जरूरी बता रहा है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा है कि इस तरह की बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं हैं। 

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के स्कूलों में बच्चे एक ही तरह की ड्रेस पहनते हैं। हम एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। हम उनके धर्म या संस्कृति के पालन के तरीके में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इसलिए हमें ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हिजाब विवाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "अरे छोड़िए न उ सब बेकार के बात है। ई का बात आपलोग कर रहे हैं। कोर्ट गया ही है सब।" 

नीतीश कुमार ने कहा, "आ यहां पर क्या करिएगा? हमलोगों ने जो भी स्कूल में शुरू (छात्र-छात्राओं को ड्रेस देना) किया। अब सब एक तरह का ड्रेस पहनता है, लेकिन अगर कोई सिर के ऊपर कोई कुछ लगा लेगा या कोई कहीं माथे पर चंदन-ऊंदन लगा लेगा तो उ सब पर कुछ है? हमलोगों की नजर में तो यह कोई खास बात नहीं है। अब बिहार में कोई ऐसी बात सुनते हैं कि होता है? लेकिन देश-दुनिया में अगर कोई बात होते रहता है तो अलग बात है। इसमें हमलोगों की क्या जरूरत है?

नीतीश ने कहा, "हमलोग तो काम में लगे हैं। सब लोगों के लिए काम करते हैं। सब लोगों की इज्जत करते हैं। कुछ लोगों का अपना-अपना तरीका है। त हमलोग उसमें इंटरफेयर थोड़े करते हैं। कोई मूर्ति लगाना, कोई कुछ करना। अपने-अपने ढंग से पूजा करना। सबका अपना-अपना कर्तव्य है। इसमें किसी पर कुछ है? इसलिए कुछ चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कुल मिलाकर देखिए तो बिहार में एक तरह से स्कूलों में और सभी जगह काम हो रहा है। लेकिन वही चीज है। अगर कोई सिर के ऊपर कुछ लगा लिया तो क्या फर्क पड़ता है? हमलोगों के हिसाब से इसपर बहस करने की जरूरत नहीं है।
  
बिहार में स्कूली बच्चे एक तरह के ड्रेस पहनते हैं
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के स्कूलों में सभी स्कूली बच्चे एक ही तरह के ड्रेस पहनते हैं। देश-दुनिया में कोई बात होती है तो वह एक अलग बात है, लेकिन बिहार में ऐसी कोई बात नहीं है। हम लोग तो काम करने में लगे हुए हैं। हम लोग सबके लिए काम करते हैं और सबकी इज्जत करते हैं। उन्होंने कहा कि मूर्ति लगाना या अपने-अपने ढंग से पूजा करना यह सबकी अपनी-अपनी मान्यता है। हम लोगों के हिसाब से इस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है।

 

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