सार

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक थाने में पांच साल पहले जिस युवती के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई थी दरअसल उसका अपहरण हुआ ही नहीं था। 

मुजफ्फरपुर(Bihar). बिहार के मुजफ्फरपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के एक थाने में पांच साल पहले जिस युवती के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की गई थी दरअसल उसका अपहरण हुआ ही नहीं था। इन बीते पांच सालों में हर कुछ इस कदर बदल गया था कि उसे देखकर पुलिस के भी होश उड़ गए। शुरुआत में पुलिस ने लड़की को ढूंढने में कुछ हाथ-पांव मारे, लेकिन उसके बाद उसका केस फाइलों में दफन हो गया। इसी बीच वह युवती दिल्ली जाकर पढ़ाई करती रही और पुलिस में कांस्टेबल बन गई। अब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है। 

मामला मुजफ्फरपुर के बोचहां थाने का है। साल 2018 में इलाके की रहने वाले एक शख्स ने अपनी बेटी के अपहरण की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई। कुछ दिन तक पुलिस ने उसे ढूंढने की कोशिश की लेकिन जब उसका कोई सुराग नहीं मिला था पुलिस भी ये केस भूल गई। फाइलों में ये केस ज़िंदा रहा और धूल खाता रहा। इसी बीच इस केस के विवेचक को बदल दिया गया। नए विवेचक रमाशंकर प्रसाद राय ने बताया कि जब यह फाइल उनके पास आई तो वह केस करने वाले परिवार के घर पहुंचे। कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया। इसपर यह जानकारी मिली कि उस समय नाबालिग रही लड़की ने पढ़ाई रोक शादी होने के डर से घर छोड़ा था। किसी की मदद से दिल्ली गई और अपनी बुआ के पास रहने लगी। मतलब, अपहरण का केस दर्ज हुआ लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था।

दिल्ली पुलिस ने बन गई है कांस्टेबल 
मामला दर्ज होने के पांच साल बाद जब इस केस के बारे में परिजनों से पूछा गया तो पता चला कि वह बालिग होकर दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बन गई है। इस समय वह ट्रेनिंग कर रही है। इस केस में एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि जब उसकी नौकरी हो रही होगी तो निश्चित तौर पर मूल घर के इसी थाने से पुलिस वेरीफिकेशन भी हुआ होगा। अभी न तो थाना और न परिवार वाले इसपर कुछ बता रहे हैं, लेकिन अच्छी बात है कि इसी बहाने अपहरण का केस 5 साल बाद फर्जी निकला और शादी का दबाव होने पर घर से भागी लड़की कांस्टेबल बनकर पैरों पर खड़ी हो रही है।

पिता का सहारा बनने को छोड़ दिया था घर 
पुलिस ने परिवार से कहकर कोर्ट में बयान दर्ज करवाने के लिए लड़की को वापस बुलवाया। लड़की से जब पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसके पिता एक मजदूर हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। इसी बीच घर में उसकी शादी के चर्चा की जाने लगी। वह इतनी जल्दी शादी न करके अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी और अपने पिता का सहारा बनना चाहती थी। इसी लिए वह घर से बिना किसी को बताए दिल्ली चली गई। वहां पढ़ाई शुरू कर दी। इस दौरान दिल्ली पुलिस कांस्टेबल में उसका सिलेक्शन हो गया। अभी वह ट्रेनिंग कर रही है। 

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