सार

अस्पताल में बिजली गुल होने पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। मरीज के परिजन ने कई आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि यहां अक्सर ऐसा होता रहता है लेकिन इस समस्या के निदान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता। जब कभी शिकायत करो तो इधर-उधर की बातें की जाती हैं।

नवादा : बिहार (Bihar) में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल क्या है, इसका ताजा उदाहरण नवादा (Nawada) जिले में देखने को मिला है। यहां के रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में रविवार रात अचानक बिजली कट जाने से अंधेरे में टार्च की रोशनी में ही मरीजों का इलाज करना पड़ा। अस्पताल में करीब 20 मिनट तक बत्ती गुल रही और इस दौरान किसी अन्य तरह की व्यवस्था नहीं देखने को मिली। मरीज गर्मी से बेहाल रहे और अंधेरे में इलाज चलता रहा।

बत्ती गुल, इलाज चालू
दरअसल, रविवार शाम को एसएच 70 दुलरपुरा गांव के पास एक बाइक और साइकिल में जोरदार टक्कर हो गई। इस हादसे में बाइक और साइकिल सवार युवक घायल हो गए। सूचना पर पुलिस की टीम वहां पहुंची और एसआई उपेंद्र सिंह के साथ दोनों को पास के ही अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया। लेकिन वहां लाइट ही नहीं थी। इसके बाद आनन-फानन में घायलों का टार्च की रोशनी में इलाज शुरू हुआ। बाद में हालत गंभीर होने पर उन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन इसके बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए।

मरीज बेहाल, सुनने वाला कोई नहीं
बता दें कि रजौरी का इलाका नक्सल प्रभावित है। जब लाइट की परेशानी होने पर अस्पताल के प्रभारी राजीव कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि जेनरेटर में समस्या आ गी थई जिसके कारण थोड़ी ही देर के लिए बत्ती चली गई थी। इस दौरान मरीज और उनके परिजन ने यहां की व्यवस्था को लेकर कई आरोप लगाए। उनका आरोप है कि इतने बड़े अस्पताल में बिजली चली जाए तो उसके बाद कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मोबाइल या टार्च की रोशनी में कब तक इलाज संभव होगा?

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