सार
Budget 2022: सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को अपनाने के लिए एक और कदम आगे की ओ बढ़ा दिया है। सरकार वर्चुअल असेट्स के ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स (Cryptocurrency Tax) लगाने की योजना बना रही है, प्रभावी रूप से इस तरह के लेनदेन की कानूनी स्थिति के बारे में अनिश्चितताओं को दूर कर रही है।
Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022 (Budget 2022) के भाषण में घोषणा की है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नए नियम लेकर आ रही है। सरकार वर्चुअल असेट्स के ट्रांसफर से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स (Cryptocurrency Tax) लगाएगी। इस फैसले के बाद से यह बात साफ हो गई है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन नहीं लगाने जा रही है, लेकिन टैक्स लगाकर नई डिजिटल करेंसी का ऐलान एक बात साफ जरूर कर दी है कि वो क्रिप्टोकरेंसी को ज्यादा फलने फूलने भी नहीं देगी। वर्चुअल डिजिटल असेट्स ट्रांजेक्शंस में जबरदस्त इजाफा हुआ है। बजट डॉक्युमेंट में कहा गया है कि इन ट्रांजेक्शंस को देखते हुए यह टैक्स व्यवस्था लागू करना जरूरी हो गया था। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी टैक्स पर किस तरह की 10 अहम बातें कहीं हैं।
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो टैक्स पर अहम बातें
- वर्चुअल डिजिटल असेट्स के ट्रांसफर से होने वाले नुकसान को को किसी दूसरी आय के विरुद्ध एडजस्ट नहीं किया जा सकता है।
- अगर कोई भी वर्चुअल असेट्स को ट्रांसफर करता है तो उस पर एक फीसदी का टीडीएस लगाया जाएगा।
- वर्चुअल डिजिटल असेट्स उपहार में मिलता है तो प्राप्तकर्ता पर टैक्स लगाया जाएगा।
- क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल या डिजिटल पैसा है जो टोकन या डिजिटल "सिक्कों" के रूप में होता है, क्रिप्टोकरेंसी को डिज़ाइन ही इस तरह किया गया है कि वह सरकारी नियमों और नियंत्रण से मुक्त रहे।
- सेंट्रल बैंक एक डिजिटल करेंसी जारी करेगा, अभी के लिए क्रिप्टो और क्रिप्टो संपत्ति क्या हैं, इस पर कोई चर्चा नहीं होगी। विचार-विमर्श चल रहा है। एफएम निर्मला सीतारमण ने कहा कि परामर्श के बाद डिजिटल संपत्ति की डिटेल दी जाएगी।
- भारत के उच्चतम टैक्स बैंड में क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी से होने वाली आय को रखने के अलावा, सीतारमण ने यह भी कहा कि उनकी बिक्री से होने वाले नुकसान को अन्य आय के मुकाबले ऑफसेट नहीं किया जा सकता है, जिससे डिजिटल असेट्स में व्यापार और निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
- क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी सहित डिजिटल असेट्स लेनदेन से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी कर लगाने का निर्णय अभी के लिए ऐसे टोकन पर पूर्ण प्रतिबंध से इंकार कर सकता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह उनमें व्यापार को कम लाभदायक बना देगा।
- जेफरीज ने एक नोट में कहा, यहां तक कि वर्चुअल असेट में लेनदेन पर 1 फीसदी के टीडीएस के साथ अब 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा यह संभावित रूप से भारत में क्रिप्टो के लिए एक चुनौती हो सकती है।
- डीवीएस एडवाइजर्स के पार्टनर सुंदर राजन ने कहा डिजिटल संपत्ति पर 30 फीसदी टैक्स की घोषणा, सरकार के साथ मिलकर अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने के साथ यह संकेत मिलता है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को हतोत्साहित करना चाहती है। केवल एचएनआई ही इस तरह के निवेश कर सकते हैं और केंद्र क्रिप्टो को मुद्रा के रूप में अनुमति नहीं देगा।
- एफएम सीतारमण ने बजट के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा RBI डिजिटल करेंसी जारी करेगा। इसके बाहर जो कुछ भी प्रचलित है वह व्यक्तियों द्वारा बनाई जा रही संपत्ति है और हम उन असेट्स के लेनदेन से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी कर लगा रहे हैं।
डिजिटल करेंसी पेश करेगी
वित्त मंत्री ने 2022-23 से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाने वाले ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए डिजिटल मुद्रा या डिजिटल रुपया पेश करने का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा, जिससे अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली विकसित होगी।
क्रिप्टोकरेंसी का उद्गम कब हुआ?
जुलाई 2010 में क्रिप्टोकरेंसी सबसे पहले सामने आई थी, जिसका नाम बिटकॉइन था। उसके बाद से बिटकॉइन से ट्रांजेक्शन भी होने लगा। उस समय बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, मौजूदा समय में 38 हजार डॉलर के आसपास है, जोकि नवंबर 2021 में 69 हजार डॉलर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। वहीं क्रिप्टोकरेंसी की शुरूआत करीब 42 साल पहले 1980 से भी पहले हो गई थी।
ब्लाइंडिंग एल्गोरिदम पर हुआ था सबसे पहले काम
1980 में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम की खोज की थी, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर ज्यादा काम नहीं हो सका था।
यह भी थी दुनिया की पहली वर्चुअल करेंसी
ब्लाइंडिंग के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र हुआ था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।
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