सार
मौजूदा समय में 2 बातें सामने आ रही हैं पहली चक्रीय मंदी और दूसरी यह कि दुनिया के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में भी मूल ढांचे को सुधारने की जरूरत है।
नई दिल्ली. हाल ही में मुझे अर्थशास्त्र के बारे में बात करने के कई सुझाव आए थे। दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक सम्मेलन के बाद अब यह पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। मौजूदा समय में 2 बातें सामने आ रही हैं पहली चक्रीय मंदी और दूसरी यह कि दुनिया के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में भी मूल ढांचे को सुधारने की जरूरत है।
आज से लगभग 5 तिमाही पहले आर्थिक सुस्ती ने हमारी अर्थव्यवस्था को जकड़ना शुरू किया। हमने अनुमान लगाया कि यह ऑटोमोबाइल्स, सीमेंट, रियल एस्टेट और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों को बड़ा नुकसान पहुंचाएगी। जब तक हमने इस सुस्ती को पहचाना तब तक हमारा उपभोग जो कि हमारे GDP का 70 फीसदी हिस्सा है , अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ चुका था। इसका मतलब था कि अब अर्थव्यवस्था और भी नीचे जाएगी।
हमारा ध्यान इस बात पर भी नहीं गया कि हमारे देश में लंबे समय से प्राइवेट इंन्वेस्टमेंट और निर्यात गिरता जा रहा है। इसके बावजूद हमारी अर्थव्यव्स्था आगे बढ़ रही थी क्योंकी हमारा उपभोग ज्यादा था। पर जैसे ही देश में उपभोग कम हुआ वैसे ही हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा गई और 2018 के आखिरी महीनों में ही यह जमीन पर आ गई। जिम्मेदार लोगों ने उपभोग में कमी को नहीं पहचाना और प्राइवेट इंन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए कई नई नीतियां लाते गए। ये सारी नीतियां एक के बाद एक विफल होती चली गई। पर अब हमारे पास ऐसे प्रयोग के लिए बिल्कुल समय नहीं बचा है।
हालांकि, हमारे देश में आनंद महिन्द्रा जैसे अनुभवी उद्योगपति भी हैं, जो अभी भी आशा बनाए हुए हैं। बेशक हमारे देश में कर्ज और कैश की समस्या है, पर इन लोगों का मानना है कि हमारा भविष्य सुनहरा होगा क्योंकि हमारा देश अभी भी विकास के संकेत दे रहा है। दावोस में कुछ लोगों ने भारत की सामाजिक स्थिति की आलोचना की। इसमें सबसे बड़ी चौकाने वाली बात तो यह थी कि ऐसे लोगों ने उस देश में जाकर अपना पैसा लगाया जो कि तानाशाही के लिए जाना जाता है। एक बिजनेसमैन किसी भी जगह पर तभी पैसा लगाता है, जब उसे वहां से बेहतर मुनाफे की उम्मीद होती है। हमारी कुल GDP 2.6 ट्रिलियन है इसलिए 5 ट्रिलियन की बात करना कोरी कल्पना नहीं है। मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है ताकि देश में बेजरोजगारी कम हो और हमारा निर्यात भी पढ़ सके। इसलिए हमें काबिल लोगों के एक समूह की जरूरत है जो मंत्रालय की मदद कर सकें और हमारे इस सपने को हकीकत में बदल दें।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।