सार
खाताधारकों ने स्क्रीनशाट शेयर करते हुए लिखा कि जब वे अपनी पासबुक को ओपन करने का प्रयास करते हैं, तो वेबसाइट एक त्रुटि संदेश दिखाती है। ईपीएफओ की ओर से बताया गया कि ई-पासबुक की सुविधा आज शाम 5 बजे से उपलब्ध होगी।
बिजनेस डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ई-पासबुक सुविधा सर्वर डाउन होने की वजह से फिलहाल कई अकाउंट होल्डर्स के लिए उपलब्ध नहीं है। कई खाताधारकों ने सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर स्क्रीनशाट शेयर करते हुए लिखा कि जब वे अपनी पासबुक को ओपन करने का प्रयास करते हैं, तो वेबसाइट एक त्रुटि संदेश दिखाती है।
कई यूजर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लिया और ईपीएफओ की ई-पासबुक सुविधा उपलब्ध नहीं होने की शिकायत दर्ज कराई। एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, हमेशा की तरह ईपीएफओ की वेबसाइट (पासबुक) काम नहीं कर रही है। तीनों अलग-अलग ब्राउजर्स से कोशिश की गई। डिजिटल इंडिया के लंबे दावे के बीच वेबसाइट की इतनी लगातार विफलता को कैसे अनदेखा किया जा सकता है। यूजर्स अपनी शिकायत के साथ पोस्ट को श्रम मंत्रालय के ट्विटर हैंडल को भी टैग कर रहे हैं। हालांकि, ईपीएफओ की वेबसाइट पर एक मैसेज फ्लैश किया गया कि ई-पासबुक की सुविधा आज शाम 5 बजे से उपलब्ध होगी।
सैलरी कैप को बढ़ा दिया गया था
इस बीच, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 29 दिसंबर 2022 के सर्कुलर के अनुसार केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में दिए निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश में कहा गया है कि फील्ड कार्यालयों को 4 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा 44 (ix) में निहित निर्देशों को निर्धारित समय सीमा के भीतर लागू करने और उक्त निर्देशों को लागू करने के लिए ईपीएफओ द्वारा लिए गए निर्णय को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा था। 22 अगस्त 2014 के ईपीएस संशोधन ने पेंशन वेतन कैप को 6,500 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रति माह कर दिया था और सदस्यों को उनके नियोक्ताओं यानी इंप्लायर के साथ उनके मूल वेतन पर 8.33 प्रतिशत में एड करने की अनुमति दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये निर्देश
इसमें सभी ईपीएस मेबंर्स को संशोधित योजना का विकल्प चुनने के लिए 1 सितंबर 2014 को छह महीने का समय दिया गयाा था। बाद में कोर्ट ने अपने आदेश में पात्र अंशदाताओं को ईपीएस-95 के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय दिया था। कोर्ट ने 2014 के संशोधन में वेतन के 1.16 प्रतिशत के कर्मचारी योगदान को 15,000 रुपए प्रति माह से अधिक करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया था।
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