सार

साल 2021 में देश में कोरोना संक्रमण के मामले मार्च महीने के  शुरु होते ही बढ़ने लगे  थे । वहीं महीने के आखिर तक हालात बेकाबू  हो गए थे। प्रदेश सरकारों ने अप्रैल से ही पाबंदियां लगानी शुरू कर दी थी। वहीं  कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर अप्रैल और मई में अपने चरम पर पहुंच गई थी।

बिजनेस डेस्क। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान जमकर तबाही मची थी। भारत में दूसरी लहर का पीक 7 मई को आया था। उस 24 घंटे में 4.14 लाख से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए थे। वहीं  1 जून 2021 से कई राज्यों में सशर्त ढील देनी शुरू हुई थी।  देश में कोरोना की दूसरी लहर अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी थी।   

दूसरी लहर ने देश को पीछे किया
साल 2021 में देश में कोरोना संक्रमण के मामले मार्च की शुरु होते ही बढ़ने लगे  थे । वहीं महीने के आखिर तक हालात बेकाबू होने लगे थे। देश की विभिन्न सरकारों ने  अप्रैल से ही पाबंदियां लगानी शुरू कर दी थी। वहीं  कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर अप्रैल और मई में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई थी।
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दो महीनों में आए सर्वाधिक मामले
कोरोना से हुए आर्थिक और सामाजिक नुकसान को समझने के लिए हमें फ्लैश बैक में जाना होगा। भारत में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। दिनों- दिन ये आंकड़ा बढ़ता गया, 31 मार्च 2021 तक देश में कोरोना के 1.21 करोड़ मामले रजिस्टर्डड किए जा चुके थे। वहीं 1 अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक देश में नए 1.60 करोड़ कोविड मामले सामने आ गए थे। इसकी भयावहता ऐसी समझी जा सकती है कि कोरोना के 15 महीनों में जितने मामले  नहीं मिले, उससे 32 फीसदी ज्यादा मामले मात्र दो महीनों में सामने आ गए थे। 
 
दो महीनों में 1.62 लाखों ने गंवाई जान

भारत में कोरोना से 12 मार्च को पहली मौत हुई थी। इसके बाद तकरीबन एक साल में यानि  31 मार्च 2021 तक देश में 1.62 लाखों ने कोविड से अपनी जान गंवा दी। इसमें चौंकाने वाला आंकड़ा अप्रैल और मई महीनों का है जिसमें 1.69 लाख लोगों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हुई।

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2.26 करोड़ लोग हुए थे बेरोजगार
मार्च 2021 के कोविड की रफ्तार तेज होते ही कई राज्यों में लॉकडाउन लगा दिया गया था। इससे लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं थी। उस समय एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Agency Center for Monitoring Indian Economy) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 में 73.5 लाख लोगों की जॉब छूट गई थी। वहीं मई- 2021 में 1.53 करोड़ लोगों को जॉब से हाथ धोना पड़ा था। संयुक्त आकंड़ों की बात करें तो 2.26 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए थे। 

कोरोना की सबसे भयावह दूसरी लहर ने आर्थिक गतिविधियां को तहस नहस कर दिया था। इससे जीडीपी पर खासा असर देखा गया था। उस समय एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि लॉकडाउन की वजह से अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी को 4 से 4.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।