सार

भारत ने अकेले मार्च में 13.7 बिलियन डॉलर खर्च किए, जब तेल की कीमतें 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। जबकि पिछले साल की समान अवधि में भारत का ऑयल इंपोर्ट बिल 8.4 अरब डॉलर था।

बिजनेस डेस्क। 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत के क्रूड ऑयल का इंपोर्ट बिल लगभग दोगुना होकर 119 बिलियन डॉलर हो गया है। क्योंकि यूक्रेन-रूस वॉर की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में इजाफा देखने को मिला है। जिसकी वजह से भारत के विदेशी खजाने पर दबाव देखने को मिला है। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ यानी पीपीएसी के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला और आयात करने वाला देश, भारत ने 2021-22 (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में 119.2 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो पिछले वित्त वर्ष में 62.2 बिलियन डॉलर था।

क्रूड ऑयल की कीमत में इजाफा होने से बड़ा बिल
भारत ने अकेले मार्च में 13.7 बिलियन डॉलर खर्च किए, जब तेल की कीमतें 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। जबकि पिछले साल की समान अवधि में भारत का ऑयल इंपोर्ट बिल 8.4 अरब डॉलर था। तेल की कीमतें जनवरी से बढऩे लगीं और मार्च की शुरुआत में 140 डॉलर प्रति बैरल को छूने से पहले अगले महीने में दरें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं। कीमतों में तब से गिरावट आई है और अब यह 106 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है।

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क्रूड ऑयल के इंपोर्ट में इजाफा
पीपीएसी के अनुसार, भारत ने 2021-22 में 212.2 मिलियन टन क्रूड ऑयल का आयात किया, जो पिछले वर्ष 196.5 मिलियन टन था। हालांकि, यह 2019-20 में 227 मिलियन टन के प्री कोविड इंपोर्ट से कम था। 2019-20 में तेल आयात पर खर्च 101.4 अरब डॉलर था। इंपोर्टिड क्रूड ऑयल को ऑटोमोबाइल और अन्य यूजर्स को बेचे जाने से पहले तेल रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल जैसे वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स में बदला जाता है।

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत
भारत, जो कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85.5 फीसदी निर्भर है, के पास एक सरप्लस रिफानिंग कैपेसिटी है और यह कुछ पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात करता है, लेकिन रसोई गैस एलपीजी के उत्पादन पर कम है, जिसे सऊदी अरब जैसे देशों से इंपोर्ट किया जाता है। राष्ट्र ने 2021-22 में 202.7 मिलियन टन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत की, जो पिछले वित्त वर्ष में 194.3 मिलियन टन थी, लेकिन 2019-20 में प्री कोविड 214.1 मिलियन टन की मांग से कम थी।

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पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट
वित्त वर्ष 2021-22 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट 24.2 अरब डॉलर मूल्य के 40.2 मिलियन टन था। दूसरी ओर, 61.8 मिलियन टन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का भी 42.3 बिलियन डॉलर में निर्यात किया गया। इसके अलावा, भारत ने 2021-22 में 32 बिलियन क्यूबिक मीटर एलएनजी के इंपोर्ट पर 11.9 बिलियन डॉलर खर्च किए। यह पिछले वित्त वर्ष में 33 बीसीएम गैस के इंपोर्ट पर 7.9 अरब डॉलर और 2019-20 में 33.9 बीसीएम के इंपोर्ट पर 9.5 अरब डॉलर खर्च की तुलना में है।

नेट तेल और गैस इंपोर्ट बिल में इजाफा
निर्यात के समायोजन के बाद नेट तेल और गैस इंपोर्ट बिल 113 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2020-21 में 63.5 बिलियन डॉलर और 2019-20 में 92.7 बिलियन डॉलर था। भारत ने पिछले 2020-21 के वित्तीय वर्ष में 196.5 मिलियन टन कच्चे तेल के इंपोर्ट पर 62.2 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, जब ग्लोबल ऑयल की कीमतें कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कम रही थीं।

लगातार कम हुआ प्रोडक्शन
कच्चे तेल आयात बिल से व्यापक आर्थिक मापदंडों में सेंध लगने की उम्मीद है। घरेलू उत्पादन में लगातार गिरावट के कारण देश की आयात निर्भरता बढ़ी है। देश ने 2019-20 में 32.2 मिलियन टन कच्चे तेल का उत्पादन किया, जो अगले वर्ष 30.5 मिलियन टन और वित्त वर्ष 22 में 29.7 मिलियन टन तक गिर गया। पीपीएसी के आंकड़ों के अनुसार भारत की तेल आयात निर्भरता 2019-20 में 85 फीसदी थी, जो 2021-22 में 85.5 फीसदी तक चढऩे से पहले अगले वर्ष मामूली रूप से घटकर 84.4 फीसदी हो गई।