सार

बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न ने BCCI को 50 करोड़ रुपए दिए हैं। बाकी पैसे दो किस्तों में देने का वादा किया है। इसके बाद BCCI ने NCLAT से कहा है कि वह भुगतान विवाद के हल के लिए सहमत है।

 

खेल डेस्क। BCCI (Board of Control for Cricket in India) ने बायजू के साथ चल रहे भुगतान विवाद को सुलझाने पर सहमति जताई है। मामला 158 करोड़ रुपए का है। बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न ने 30 जुलाई को 50 करोड़ रुपए दिए। बाकी के पैसे 9 अगस्त तक दो किस्तों में चुकाने का वादा किया है। इसके बाद क्रिकेट बोर्ड ने NCLAT (National Company Law Appellate Tribunal) को बताया है कि वह विवाद के हल के लिए तैयार है।

आर्थिक संकट में फंसे बायजू ने NCLAT को बताया है कि पैसे कंपनी के संस्थापक बायजू रवींद्रन या थिंक एंड लर्न संस्था द्वारा नहीं दिए जा रहे हैं। पेमेंट बायजू के छोटे भाई और फर्म में सबसे बड़े शेयरधारक रिजु रवींद्रन कर रहे हैं।

NCLAT ने शुरू की थी थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही

NCLAT ने बायजू चलाने वाली कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की थी। बायजू रवींद्रन ने इसे चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यह मामला 29 जुलाई को NCLAT की चेन्नई स्थित दो सदस्यीय पीठ के सामने पेश किया गया था। इसमें जस्टिस शरद कुमार शर्मा सदस्य (न्यायिक) और जतिंद्रनाथ स्वैन सदस्य (तकनीकी) शामिल थे। जस्टिस शर्मा ने सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह अपने प्रमोशन से पहले बीसीसीआई के वकील के रूप में पेश हुए थे। इसलिए इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।

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BCCI ने थिंक एंड लर्न द्वारा 158.9 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट को लेकर दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत NCLAT का दरवाजा खटखटाया था। बता दें कि थिंक एंड लर्न एक समय भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप था। इसकी अनुमानित कीमत 22 अरब डॉलर थी।

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NCLAT ने आईबीसी के प्रावधानों के अनुसार थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड को निलंबित कर दिया है। कर्ज में डूबी इस कंपनी की देखभाल के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है।