सार
कभी गाय चराकर गुजारा करने वाला एक शख्स आज 8 करोड़ रुपए सालाना कमा रहा है। प्याज की फसल से हुई कमाई से गौशाला शुरू कर ऑर्गेनिक घी का कारोबार कर नाम कमाया है।
बिजनेस डेस्क : खेत-खलिहान में जाकर कभी गाय चराने वाला लड़का आज 8 करोड़ रुपए हर साल कमा रहा है। बचपन में गरीबी देखी, कष्ट झेले, कई बार तो भूखे पेट भी सोया लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज खुद को इस लायक बना लिया है कि करोड़ों का बिजनेस संभाल सके। गुजरात के एक छोटे से गांव में जन्मे रमेश रूपारेलिया की लाइफ उतार-चढ़ाव से भरी रही है। किसी तरह 7वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पिता की सलाह मानी और आज अलग ही मुकाम पर हैं।
7वीं तक पढ़ाई, गाय चराकर गुजारा
रमेश रूपारेलिया को बचपन से ही गायों से अलग ही लगाव था। स्कूल से आते ही गायों की सेवा करने लगते थे। 7वीं तक पढ़ने के बाद पिता की सलाह पर एक गौशाला खोली और सोचा इसी से कमाई होगी लेकिन इस बीच उनका परिवार कर्जे में डूब गया। घर के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए खेती और गाय चराकर पैसे कमाने लगे।
80 रुपए महीने में चराते थे गाय
साल 2005 की बात है, जब रमेश पर भारी कर्ज हो गया था, उन्होंने खेती करनी शुरू की और गाय चराने जाने लगे। इसके लिए उन्हें हर महीने मात्र 80 रुपए मिलते थे। किसी तरह घर के खर्चे चल रहे थे लेकिन रमेश के मन में घर के हालात सुधारने की बात चलती रहती थी।
प्याज बेचकर 35 लाख की कमाई
रमेश की लाइफ तब बदली जब उनकी प्याज की फसल अच्छी हुई, जिसे बेचकर उन्होंने 35 लाख रुपए कमाए। गाय से प्यार था, तो इन पैसों से लावारिस गायों की सेवा करने लगे। एक बार फिर उन्होंने गौशाला का काम शुरू किया और कई गाय खरीदी।
खेती के साथ डेयरी का काम
अब रमेश खेती के साथ डेयरी का काम शुरू कर चुके थे। उनकी डेयरी का नाम श्रीगिर गौ कृषि जतन संस्था है। शुरू-शुरू में रमेश सिर्फ दूध ही बेचा करते थे लेकिन फिर ऑर्गेनिक घी भी बनाने लगे। साइकिल से जाकर वह घी बेचा करते थे। जब घी का धंधा बढ़ा तो दूध बेचना बंद कर दिया। उनके घी की खूशबू ने कारोबार को आगे बढ़ा दिया।
करोड़ों की कमाई, विदेश तक घी की सप्लाई
आज रमेश के बाद 250 से ज्यादा गिर गाय हैं। इनका घी का कारोबार विदेशों तक फैल गया है। दूसरे देश भी घी का निर्यात होता है। रमेश घी के बिजनेस से सालाना करीब 8 करोड़ रुपए कमा रहे हैं। अपनी मेहनत के दम पर आज उन्होंने घर के हालात पूरी तरह बदल दिए हैं और क्षेत्र में जाना-माना नाम बन चुके हैं।
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