सार
आने वाले 25 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो सकती है। ऐसा होने पर प्रति व्यक्ति आय 15,000 अमेरिकी डॉलर (12.53 लाख रुपए) से अधिक होगी।
नई दिल्ली। आने वाले वर्षों में भारत का आर्थिक विकास कैसा होगा इसपर EY बिल्डिंग ए बेटर वर्किंग वर्ड (EY Building a better working world) ने INDIA@100 रियलाइजिंग द पोटेंशियल ऑफ ए 26 ट्रिलियन यूएस डॉलर इकोनॉमी नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है।
रिपोर्ट में टाटा संस के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने बताया है कि पिछले दशक में भारत की बहुत अच्छी उन्नति हुई है। 10 साल पहले भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 10वें स्थान पर थी। आज पांचवें नंबर पर है। भारत लगातार तीसरे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है।
भारत 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत के जर्मनी और जापान से आगे निकलने की संभावना है। 25 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकता है। 2047-48 तक ऐसा होने पर हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी 15,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक होगी। यह इस वक्त के स्तर से छह गुना अधिक है। भारत सरकार ने आने वाले इस काल खंड को अमृत काल कहा है।
एन. चंद्रशेखरन बोले-सपना पूरा करने की हमारी क्षमता पर पूरा भरोसा
एन. चंद्रशेखरन ने रिपोर्ट में कहा है कि मुझे इस सपने को पूरा करने की हमारी क्षमता पर पूरा भरोसा है। इसके कई अनूठे कारक हैं। आज ऊर्जा और ऑटोमोबाइल से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तक हर क्षेत्र में भारत के लिए अवसर हैं। नए विनिर्माण तरीकों और नए सप्लाई रूट्स से जुड़ने से नई अर्थव्यवस्था में अधिक केन्द्रीय स्थान पाने का अवसर मिलता है।
निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में हमारी कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए टेक्नोलॉजी की अपार क्षमता है। रोजगार सृजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था में औपचारिकता बढ़ाना, सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी, महिलाओं को अधिक अवसर देना, हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी मूलभूत चुनौतियों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था अगर 6% प्रति वर्ष की औसत वृद्धि दर बनाए रखती है तब भी भारत 2047-48 तक 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
इन वजहों से अगले दशक और उससे आगे भी मजबूत रहेगी भारत की अर्थव्यवस्था
विश्व की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और सर्विस का केन्द्र
भारत के सर्विस एक्सपोर्ट में पिछले दो दशकों में 14% की वृद्धि हुई है। यह 2021-22 में 254.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। सेवा निर्यात का एक बड़ा हिस्सा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेवाओं और बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) सेवाओं का है। यह 2021-22 में 157 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। भारत इस सफलता का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है।
डिजिटलाइजेशन
भारत में 1.2 बिलियन लोग मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं। 837 मिलियन लोग इंटरनेट यूजर हैं। सरकार ने डिजिटलाइजेशन पर फोकस किया है। इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव पड़ी है। आज शहर से लेकर गांव तक लोग डिजिटल भुगतान करते हैं। 2014-19 तक भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 15.6% की रफ्तार से बढ़ी। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि से 2.4 गुना तेज थी। डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को लोगों ने अपनाया है। इससे व्यापार करने की लागत कम हुई है। अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद मिली है। नए व्यापार के अवसर पैदा हुए हैं।
बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम जीडीपी की तुलना में कर्ज
भारत का कर्ज जीडीपी के 55% के बराबर है। यह वैश्विक स्तर पर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। बैंकिंग क्षेत्र में पहले एनपीए का स्तर बहुत ऊंचा था। अब यह काफी कम हो गया है। सितंबर 2022 तक ग्रॉस एनपीए सात साल के निचले स्तर 5% पर पहुंच गया था।
उद्यमशीलता को डिजिटलीकरण और सहायक नीतिगत माहौल से मिली मजबूती
भारत में उद्यमशीलता की भावना हमेशा से रही है। पिछले कुछ वर्षों में उद्यमशीलता संस्कृति को डिजिटलीकरण और सहायक नीतिगत माहौल से और मजबूती मिली है। पिछले 6 साल में स्टार्ट-अप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्ट-अप के लिए तीसरा सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र बनकर उभरा है। पिछले चार वर्षों में हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में 66% की वृद्धि हुई है। अगस्त 2022 तक, भारत में 107 यूनिकॉर्न थे। इसका कुल मूल्यांकन 341 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या
भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत की लगभग 67% आबादी कामकाजी आयु वर्ग में है। अगले दशक में ग्लोबल वर्कफोर्स में लगभग 25% वृद्धि भारत से होगी। 2030 तक भारत की कामकाजी आयु की आबादी 1 बिलियन से अधिक हो जाएगी। दूसरी ओर विकसित दुनिया में आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। इस स्थिति का लाभ भारत को आने वाले वर्षों में मिलेगा।
घरेलू विनिर्माण को प्रतिस्पर्धी बनाना
कोरोना महामारी के दौरान ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक संघर्षों ने कई वैश्विक खिलाड़ियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए मजबूर किया है। इसे खुद को विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के एक अवसर के रूप में पहचानते हुए भारत सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ सहित विभिन्न पहल शुरू की हैं।
भविष्य के बुनियादी ढांचे का निर्माण
भारत ने बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में निवेश किया है। इससे सड़क मार्गों को बड़े पैमाने पर बेहतर किया गया है। इसके साथ ही रेल, वायु और जल परिवहन पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। 2030 तक लॉजिस्टिक्स की लागत को GDP के 14-18% से घटाकर 8% तक लाने का लक्ष्य है।
ऊर्जा के टिकाऊ श्रोत पर फोकस
भारत ऊर्जा के टिकाऊ श्रोत पर फोकस कर रहा है। भारत सरकार ने 2070 तक कार्बन एमिशन 0 करने का लक्ष्य रखा है। 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45% तक कम करने का लक्ष्य है।
ऊर्जा स्वतंत्रता
भारत वर्तमान में अपनी ऊर्जा जरूरतों के 35%-40% को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। इसमें कच्चा तेल सबसे बड़ा घटक है। जब भी कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है, तो उसके साथ रुपए की कीमत घट जाती है। इससे महंगाई बढ़ती है और अर्थव्यवस्था में मंदी आती है। इसलिए आयातित ऊर्जा पर भारत की निर्भरता को लगातार कम करने की आवश्यकता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा
भारत की बढ़ती कामकाजी आयु जनसंख्या अनुपात को देखते हुए, यह तय करना जरूरी है कि वर्क फोर्स शिक्षित, कुशल और स्वस्थ हो। 2021-22 में शिक्षा पर भारत का संयुक्त सरकारी खर्च GDP का 3.1% और स्वास्थ्य पर 1.4% था। इसे बढ़ाने की जरूरत है।