सार

बीकानेर से कोलकाता तक, शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में एक ट्रेडर का संघर्ष, हर्षद मेहता कांड से लेकर करोड़ों के नुकसान और फिर कमबैक की कहानी।

बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में ऐसे कई स्टॉक ट्रेडर हैं, जिनका बचपन काफी संघर्ष में बीता, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से एक अच्छा-खास मुकाम बनाया। इन्हीं में से एक शख्स है बसंत बाहेती। बसंत 36 साल का अनुभव रखने वाले स्टॉक ट्रेडर और इंश्योरेंस प्रोफेशनल हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी जिंदगी में की गई गलतियों से अनुभव लिया और आज अच्छा-खासा पैसा कमा रहे हैं। जानते हैं बीकानेर के रहने वाले बसंत बाहेती की कहानी।

बीकानेर से पढ़ाई के बाद पिता के पास कोलकाता पहुंचे

अगस्त 1986 में बसंत बाहेती बीकानेर से पढ़ाई करके अपने पिता के पास कोलकाता पहुंचे। इसके बाद उनके पिता ने किसी रिश्तेदार के यहां नौकरी पर रखवा दिया। वहां प्लास्टिक की फैक्टरी में 16 घंटे काम करना पड़ता था। जब सैलरी की बात आई तो उन्होंने मुझे 900 रुपया महीना तनख्वाह की बात कही। इसमें 500 रुपए मेरा खाने-पीने का खर्च था, जबकि 400 रुपए में हर महीने सेविंग कर रहा था।

सेविंग के 4500 रुपए शेयर मार्केट में लगा दिए

7-8 महीने में मेरे पास करीब 4500 रुपए इकट्ठे हो चुके थे। पड़ोस में ही मेरा एक दोस्त बन गया था, जिनसे हम माल खरीदते थे। वो मुझे एक दिन एक स्टॉक ब्रोकर के यहां ले गया और कहा- यहां बहुत अच्छी लस्सी मिलती है। इसी दौरान मुझे उसने शेयर बाजार और ट्रेडिंग के बारे में काफी कुछ बताया। इसके बाद मैंने भी शेयर में पैसा लगाने का मन बनाया और जुलाई 1987 में मैंने अपनी सेविंग के पैसों को शेयर मार्केट में लगा दिया। महीनेभर ट्रेडिंग के बाद मुझे तकरीबन 1000 रुपए का प्रॉफिट हुआ।

हर्षद मेहता कांड ने मुझे जीरो पर ला दिया

मैंने सोचा 16 घंटे फैक्टरी में काम करने के बाद मुझे 900 रुपए महीना तनख्वाह मिलती है, जबकि शेयर बाजार में मैंने कुछ घंटे काम करके ही महीने में 1000 रुपए प्रॉफिट कमा लिया। इसके बाद मैंने शेयर बाजार का काम कंटीन्यू करने का फैसला किया। उस वक्त मैं शेयरों में पैसा लगाने के लिए कंपनियों के पीई रेश्यो, ईपीएस वगैरह देखता था। हालांकि, 1992 में जब हर्षद मेहता कांड हुआ तो उस वक्त मेरी निवेश की गई रकम पूरी जीरो हो गई।

मेरे पास सिर्फ शेयर सर्टिफिकेट बचे, उनकी वैल्यू शून्य हो गई

नुकसान के बाद मैं पिताजी के पास गया और उनसे कहा- मुझे शेयर बाजार में बहुत नुकसान हुआ है। मेरे पास अब शेयर सर्टिफिकेट तो बचे हैं, लेकिन उनकी वैल्यू जीरो हो चुकी है। पिताजी ने कहा- तुमने ठीक किया जो मुझे बताया। इसके बाद उन्होंने कहा किसी का पैसा उधार तो नहीं है। मैंने कहा- नहीं। इसके बाद उन्होंने कहा- तुमने तुम्हारी कमाई खोई है, कोई बात नहीं। जीवन बहुत बड़ा है। फिर मेहनत करो और कमाओ, लेकिन ईश्वर पर विश्वास और पूजा-पाठ कभी मत छोड़ना।

दोस्त ने राउरकेला में लगवा दी नौकरी

राउरकेला में नौकरी के दौरान रहने खाने की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन सैलरी नहीं मिलती थी। इसी बीच, मैं किसी काम से कलकत्ता गया, जहां उसी दोस्त से मुलाकात हुई जिसने मुझे शेयर मार्केट के बारे में बताया था। दोस्त अपने घर ले गया, जहां उसकी मां ने मेरे काम के बारे में पूछा। मैंने बताया खाने-रहने को तो है, पर सैलरी नहीं मिलती। उन्होंने कहा- ऐसा कोई काम मत करो, जहां तुम्हें मेहनत के बदले कोई फल न मिल रहा हो। इसके बाद दोस्त ने मुझसे कहा- तुम कलकत्ता में ही रहो। इसके बाद उन्होंने बड़ा बाजार में अपना एक घर मुझे रहने को दे दिया।

3 महीने बाद कोलकाता में ही मिल गई नौकरी

3 महीने बाद मुझे कोलकाता में ही 1500 रुपए की नौकरी मिल गई। कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे जयपुर भेज दिया। वहां मैं एक साल रहा और बाद में कंपनी ने वापस कोलकाता बुला लिया। इसके बाद कंपनी के कुछ लोगों ने मुझे इंदौर जाने की सलाह दी। इंदौर में मुझे 1800 रुपए महीना मिलने लगे। एक साल तक काम करने के बाद मैं दोस्तों के साथ वैष्णो देवी गया। वहां से लौटने के बाद कंपनी ने मेरी तनख्वाह 4000 रुपए बढ़ा दी। साथ ही गाड़ी भी दे दी।

2001 में कंपनी ने वापस कोलकाता बुलाया

2000 में मेरी शादी हो गई। इसके बाद अगले ही साल कंपनी ने कहा कि स्प्रिंकलर सिस्टम में सबसिडी कम हो गई है, इसलिए आप कोलकाता आ जाओ। लेकिन मैंने वहां जाने से मना कर दिया। तब तक मेरे पास 5-6 लाख की सेविंग हो चुकी थी। इसके बाद मैंने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में काम शुरू किया। मैंने अच्छी मेहनत की और कंपनी ने मुझे अवॉर्ड देने के लिए गोवा बुलाया। इस तरह अब मेरी अच्छी कमाई होने लगी थी।

32 लाख के शेयर बेच किया 200 करोड़ का नुकसान, लेकिन..

2006 तक मेरे पास शेयर बाजार से करीब 32 लाख रुपए हो चुके थे। लेकिन मेरी ख्वाहिश थी कि मैं इंदौर के पॉश इलाके में रहूं। इसके लिए मैंने अपने सारे शेयर बेचकर एक घर खरीद लिया। 2006 में मैंने जो शेयर बेचे थे, उनकी कीमत 2024 तक 200 करोड़ रुपए से ज्यादा है। मैंने सोचा उस वक्त के 32 लाख अगर 200 करोड़ हो सकते हैं तो अब मैं जो कमाई इकट्ठी करके निवेश करूंगा उसे नहीं बेचूंगा और 20 साल बाद ये भी 200 करोड़ के हो जाएंगे। इसी आधार पर मैंने निवेश करना शुरू किया और आज अच्छा-खास मुनाफा कमा रहा हूं।

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