सार

Suhel Seth supports Piyush Goyal: सुहेल सेठ ने पीयूष गोयल की टिप्पणी का समर्थन करते हुए कहा कि भारत के ज्यादातर स्टार्टअप इनोवेशन नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ पैसे बर्बाद कर रहे हैं। जानें क्या बोले सुहेल सेठ।

 

Suhel Seth Piyush Goyal Startups: सुहेल सेठ ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा भारतीय स्टार्टअप्स को लेकर की गई तीखी टिप्पणी का समर्थन किया है। गोयल ने हाल ही में कहा था कि भारत के लगभग 80% स्टार्टअप्स सिर्फ एक रैकेट हैं और उनमें असल इनोवेशन की कमी है।

एक डिबेट के दौरान सुहेल सेठ ने कहा कि मैं पीयूष गोयल से पूरी तरह सहमत हूं। हम खुद को इनोवेशन हब कहते हैं लेकिन हमने आज तक कोई ग्लोबल ब्रांड नहीं बनाया है। तो हम किस बात पर गर्व कर रहे हैं?

बड़े घर, महंगी कारें और करोड़ों का घाटा

सेठ ने आरोप लगाया कि कई स्टार्टअप वाले सबसे पहले लग्जरी कारें और महंगे अपार्टमेंट खरीदते हैं जबकि उनके स्टार्टअप्स हजारों करोड़ का नुकसान झेल रहे होते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आप लोग महान काम करने की बात करते हैं, फिर अपनी ही मूर्तियां बनवाते हैं। पर असल में आप दुनिया को क्या बदल रहे हैं?

स्टार्टअप बबल या सचमुच की क्रांति?

पीयूष गोयल के बयान और सुहेल सेठ के समर्थन ने इस बहस को फिर से ज़ोर पकड़वा दिया है कि क्या भारत की स्टार्टअप क्रांति वाकई में टिकाऊ और इनोवेटिव है या फिर ये एक अस्थायी बबल है, जिसमें दिखावा ज़्यादा और असल इनोवेशन कम है।

क्यों उठ रहे हैं ये सवाल?

  1. भारत में यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार तेज़ हुई है, लेकिन ज्यादातर कंपनियां अब भी घाटे में चल रही हैं।
  2. निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है, खासकर 2024 के बाद जब कई स्टार्टअप्स की वैल्यूएशन में गिरावट आई।
  3. इनोवेशन के मामले में भारत अब भी अमेरिका, चीन और यूरोप से पीछे माना जाता है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

Statista और Tracxn जैसे प्लेटफॉर्म्स के मुताबिक, भारत के 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स में से 70% से ज़्यादा पिछले तीन वर्षों से ऑपरेशनल घाटे में हैं। वहीं, पेटेंट और R&D निवेश के मामले में भी भारत का योगदान वैश्विक स्तर पर सीमित है।