सार

Mutual Funds Beginners Guide: आप 500 रुपए से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। हम आपके लिए म्यूचुअल फंड को लेकर जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। इसमें आप जान सकते हैं कि कैसे निवेश करें, कितने प्रकार के फंड होते हैं और टैक्स के नियम क्या हैं।

Mutual Fund Guide: म्यूचुअल फंड निवेश (Mutual fund investments) अपने लाभों के कारण व्यक्तिगत निवेशकों के बीच लोकप्रिय हैं। इसमें पैसा लगाना आसान है। आप 500 रुपए की राशि से शुरुआत कर सकते हैं। कई स्टॉक और अन्य साधनों जैसे कि लोन, सोना, आदि में निवेश कर सकते हैं। SIP फंड निवेश में हर महीने पैसा लगा सकते हैं। इसमें डीमैट खाता खोले बिना भी निवेश करने की सुविधा मिलती है।

बहुत से लोगों को म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने की इच्छा होती है, लेकिन वे जानकारी की कमी के चलते ऐसा करने से बचते हैं। ऐसे में हम आपके लिए एक गाइड लेकर आए हैं। इसमें आपको म्यूचुअल फंड के बारे में जरूरी जानकारी दी गई है।

क्या हैं म्यूचुअल फंड?

म्यूचुअल फंड एक इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म है। यह निवेशकों से धन जुटाता है। इस पैसे को बांड, स्टॉक, शेयर, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सोना आदि में निवेश करता है। म्यूचुअल फंड निवेश पेशेवरों द्वारा चलाए जाते हैं। ये निवेशकों को कमाई कराने के लिए इन फंडों को आवंटित करते हैं। छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को म्यूचुअल फंड के माध्यम से स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों (securities) के पेशेवर रूप से मैनेज किए गए पोर्टफोलियो तक पहुंच मिलती है। इसके चलते प्रत्येक शेयरधारक फंड के लाभ या हानि में समान रूप से भाग लेता है।

क्या है म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो?

निवेश का सही तरीका म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो बनाना है। पोर्टफोलियो म्यूचुअल फंड का एक कलेक्शन है। यह आपको अपने इनवेस्टमेंट टारगेट को पूरा करने में मदद करता है। आपको अपने निवेश पर कितना रिटर्न मिलेगा यह आपके पोर्टफोलियो पर निर्भर करता है, न कि किसी खास फंड पर।

म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें? (How to Invest in Mutual Funds)

म्यूचुअल फंड पेशेवर द्वारा मैनेज किए जाते हैं। ये निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं और उन्हें आगे निवेश करते हैं। 5 आसान स्टेप्स का पालन कर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

चरण 1: शुरुआत जोखिम प्रोफाइलिंग से करें। अपनी जोखिम सहने की क्षमता समझें। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं।

चरण 2: एसेट एलोकेशन पर काम करें। आपको अपने पैसे को विभिन्न एसेट क्लास के बीच बांटना होगा। एसेट एलोकेशन में जोखिम फैक्टर संतुलित करने के लिए इक्विटी और डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स का मिश्रण शामिल होना चाहिए।

चरण 3: उन फंडों की पहचान करें जो प्रत्येक एसेट क्लास में निवेश करते हैं। आप म्यूचुअल फंड की तुलना करने के लिए पिछले प्रदर्शन या निवेश उद्देश्यों की जांच कर सकते हैं।

चरण 4: उस म्यूचुअल फंड योजना का चयन करें और तय करें जिसमें आप निवेश करेंगे। फिर आप ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन शुरू कर सकते हैं।

चरण 5: बेहतर परिणाम और अधिक लाभ पाने के लिए अपने निवेश में विविधता लाएं।

म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश कैसे करें?

म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन निवेश करना काफी आसान हो सकता है। इसे दो तरीकों में से एक से किया जा सकता है-

1. आधिकारिक वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर

हर एसेट मैनेजमेंट कंपनी की एक आधिकारिक वेबसाइट होती है। यहां आप निवेश करने के लिए हर कैटेगरी में कई म्यूचुअल फंड पा सकते हैं। आपको फंड हाउस की आधिकारिक साइट पर दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। सभी आवश्यक जानकारी भरनी होगी और उसे सबमिट करना होगा।

KYC प्रक्रिया ऑनलाइन (e-KYC) भी पूरी की जा सकती है। इसके लिए आधार नंबर और पैन की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दी गई जानकारी बैकएंड पर वेरिफाई की जाती है। वेरिफिकेशन के बाद आप निवेश शुरू कर सकते हैं।

2. App की मदद से

एसेट मैनेजमेंट कंपनियां निवेशकों को मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सुविधा देती हैं। यह बहुत ही सरल है। AMCs के पास मोबाइल एप्लीकेशन हैं और थर्ड पार्टी म्यूचुअल फंड एग्रीगेटर म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।

यह ऐप निवेशक को म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश करने, अकाउंट डिटेल्स देखने, यूनिट खरीदने या बेचने और अपने पोर्टफोलियो के बारे में अन्य जानकारी देखने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा, निवेशक विभिन्न फंड हाउस द्वारा पेश किए जाने वाले विभिन्न फंडों में निवेश कर सकते हैं।

कैसे काम करता है म्यूचुअल फंड?

एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) समान निवेश उद्देश्यों वाले विभिन्न व्यक्तियों से निवेश एकत्रित करती है। इस सामूहिक राशि को फिर फंड के निवेश उद्देश्य के अनुसार निवेश किया जाता है। उदाहरण के लिए लोगों से मिले पैसे को स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, कीमती धातुओं जैसी कमोडिटीज और इसी तरह की अन्य संपत्तियों में निवेश किया जा सकता है।

फाइनेंशियल एक्सपर्ट इन फंडों को मैनेज करते हैं। इन्हें फंड मैनेजर कहा जाता है। वे फंड के निवेश उद्देश्य के साथ जुड़ते हैं और निवेशकों के लिए लाभ कमाने के लिए निवेश करते हैं। AMCs लोगों से उनके निवेश मैनेज करने के लिए पैसे लेते हैं।

निवेशक नियमित लाभांश/पूंजीगत लाभ में ब्याज के साथ पैसा कमाते हैं। इसके अलावा, कोई व्यक्ति ग्रोथ ऑप्शन के माध्यम से पूंजीगत लाभ को फिर से निवेश कर सकता है या लाभांश विकल्प के साथ एक स्थिर आय बना सकता है।

कितने तरह के होते हैं म्यूचुअल फंड?

ज्यादातर म्यूचुअल फंड चार मुख्य कैटेगरी में आते हैं। बॉन्ड फंड, मनी मार्केट फंड, स्टॉक फंड और टारगेट डेट फंड। प्रत्येक में अलग-अलग रिस्क फैक्टर, रिवार्ड और फीचर्स होते हैं।

बॉन्ड फंड: ये फंड ज्यादा रिटर्न देते हैं। इसलिए, इसमें जोखिम होने की संभावना ज्यादा होती है। बॉन्ड भी अलग-अलग तरह के होते हैं।

मनी मार्केट फंड: इसमें जोखिम अपेक्षाकृत कम हैं। मनी मार्केट फंड अच्छी क्वालिटी वाले कम समय के निवेशों में निवेश करते हैं। इन्हें अमेरिकी निगम और संघीय, राज्य और स्थानीय सरकारें जारी करती हैं।

स्टॉक फंड: वे कॉर्पोरेट स्टॉक में निवेश करते हैं।

टारगेट डेट फंड: लाइफसाइकिल फंड के नाम से भी जाने जाने वाले म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी में स्टॉक, बॉन्ड और अन्य निवेशों का मिश्रण शामिल है। ये मुख्य रूप से उन व्यक्तियों के लिए हैं जो किसी खास रिटायरमेंट तिथि को ध्यान में रखते हैं।

क्या म्यूचुअल फंड पर देना होगा टैक्स?

हां, म्यूचुअल फंड से पूंजीगत लाभ होने पर आपको टैक्स देना होगा। टैक्स रेट होल्डिंग अवधि, यानी अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर निर्भर करता है।

  • ELSS (Equity Linked Savings Schemes) के तहत किया गया निवेश धारा 80सी के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य है। 80C के तहत छूट के लिए योग्य कुल बचत 1.5 लाख रुपए (अधिकतम) है।
  • 1 लाख रुपए तक के रिडेम्पशन पर LTCG टैक्स से छूट मिलती है। अगर LTCG 1 लाख से ज्यादा है तो इंडेक्सेशन के बिना 10% टैक्स लागू होता है।
  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% टैक्स लगाया जाता है।
  • डेब्ट फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (36 महीने से अधिक) पर इंडेक्सेशन के बाद 20% टैक्स लगाया जाता है।
  • डेब्ट फंडों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (< 36 महीने) पर आपकी आय के अंतर्गत आने वाले लागू स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। जैसे- 5% या 20%, या 30%।

म्यूचुअल फंड में कितना निवेश करना चाहिए?

म्यूचुअल फंड में 50:30:20 फॉर्मूला अपनाना चाहिए। इस फॉर्मूले के अनुसार व्यक्ति को अपने वेतन का 50% आवश्यक जरूरतों पर, 30% इच्छाओं पर और 20% बचत पर खर्च करना चाहिए। इसलिए अपनी आमदनी का 20 फीसदी तक म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। आप 500 रुपए से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड से जुड़ी खास शब्द और उनके मतलब

80C- आयकर अधिनियम के अंतर्गत धारा जो आयकर के लिए छूट को परिभाषित करती है।

AMC- AMC (Asset Management Company) वह कंपनी है जो म्यूचुअल फंड चलाती है। उदाहरण के लिए HDFC Mutual Fund और ICICI Prudential Mutual Fund.

Annualized Returns: यदि आप एक साल के लिए निवेश करते हैं तो आपको मिलने वाला रिटर्न Annualized Returns है। यदि आप एक साल से कम या अधिक के लिए निवेश करते हैं तो उन्हें एक वर्ष में जोड़ दिया जाता है।

आर्बिट्रेज फंड: आर्बिट्रेज फंड विशेष प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं। ये इक्विटी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इसके साथ ही इक्विटी सिक्योरिटीज के डेरिवेटिव में समान और विपरीत स्थिति लेते हैं।

एसेट एलोकेशन फंड: अपने फंड को अलग-अलग एसेट में आवंटित करने की प्रक्रिया एसेट एलोकेशन फंड है। एसेट में इक्विटी, डेट या गोल्ड जैसी चीजें शामिल हैं। हम इक्विटी जैसी एसेट को आगे लार्ज कैप, मिड कैप या स्मॉल कैप में बांट सकते हैं।

AUM (Asset Under Management): AUM म्यूचुअल फंड योजना में निवेश के लिए रखी गई कुल राशि है।

एवरेज मैच्योरिटी: फंड लिए गए सभी डेब्ट सिक्योरिटीज की मैच्योरिटी का औसत।

बैलेंस्ड फंड: बैलेंस्ड फंड को हाइब्रिड फंड के रूप में भी जाना जाता है।

बेंचमार्क: कुछ ऐसा जिससे आप अपने रिटर्न की तुलना कर सकते हैं। आम तौर पर बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी होते हैं।

ब्रोकरेज: निवेश खरीदने या बेचने के लिए आप अपने ब्रोकर को जो फीस देते हैं।

क्रेडिट रेटिंग: स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियां कंपनियों या सरकार सभी कर्जों को वापस भुगतान करने की क्षमता के आधार पर रेटिंग देती हैं। उदाहरण के लिए, AAA-रेटेड डेब्ट अच्छा है। BB अच्छा नहीं है।

क्रिसिल: रेटिंग एजेंसी है। यह म्यूचुअल फंड और कंपनी के कर्जों की रेटिंग करती है।

डेब्ट फंड: डेब्ट फंड म्यूचुअल फंड होते हैं। ये डेब्ट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं।

डायरेक्ट फंड: ऐसे फंड जिन्हें आप डिस्ट्रीब्यूटर्स से नहीं खरीदते हैं। इन्हें सीधे AMC से खरीदा जाता है।

लाभांश योजनाएं: म्यूचुअल फंड योजनाएं अपने निवेशकों को नियमित लाभांश प्रदान करती हैं। वे लाभ को इक्विटी या ऋण में वापस नहीं डालतीं।

ELSS (Equity Linked Savings Scheme): इसे टैक्स-सेविंग फंड के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें धारा 80 सी के तहत टैक्स से छूट मिलती है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड: इक्विटी का मतलब किसी कंपनी का स्टॉक होता है। इक्विटी खरीदना किसी कंपनी के स्टॉक खरीदने जैसा ही है। इक्विटी म्यूचुअल फंड सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक में निवेश करते हैं।

ETF (Exchange Traded Funds): ETF म्यूचुअल फंड की तरह होते हैं, लेकिन स्टॉक एक्सचेंजों पर इनका कारोबार होता है। लोग इन्हें स्टॉक की तरह खरीद या बेच सकते हैं।

एग्जिट लोड: म्यूचुअल फंड बेचते समय एग्जिट लोड को खास योजनाओं पर लागू किया जा सकता है।

व्यय अनुपात (Expense Ratio): आपके निवेश के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया गया वह धन है जो आप अपने फंड मैनेज के लिए प्रत्येक साल फंड हाउस को देते हैं।

फेस वैल्यू: किसी भी सिक्योरिटी का नाममात्र मूल्य जिस पर लाभांश, शेयर पूंजी आदि की गणना की जाती है।

फंड मैनेजर: फंड मैनेजर वह व्यक्ति होता है जो यह तय करता है कि म्यूचुअल फंड में आपका पैसा कहां निवेश करना है।

फंड ऑफ फंड्स: एक फंड जो अन्य फंड्स के पोर्टफोलियो में निवेश करता है। इसे मल्टी-मैनेजर निवेश के रूप में भी जाना जाता है।

गिल्ट फंड: गिल्ट फंड म्यूचुअल फंड हैं जो केवल सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं। वे जोखिम से बचने वाले और निवेशकों के लिए ठीक हैं।

गोल्ड फंड: गोल्ड फंड वे म्यूचुअल फंड हैं जो सोने के विभिन्न रूपों में निवेश करते हैं।

ग्रोथ प्लान: ग्रोथ प्लान का मतलब है कि म्यूचुअल फंड में स्टॉक द्वारा दिया जाने वाला कोई भी लाभांश आगे की ग्रोथ के लिए फिर से निवेश किया जाएगा।

होल्डिंग्स: होल्डिंग्स म्यूचुअल फंड द्वारा रखे गए निवेश पोर्टफोलियो की सामग्री हैं।

इंडेक्स फंड: इंडेक्स फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है। इसका पोर्टफोलियो मार्केट इंडेक्स के कंपोनेंट्स से मेल खाने या उन्हें ट्रैक करने के लिए बनाया जाता है।

KYC: KYC का मतलब है अपने ग्राहक को जानें। यह सेबी द्वारा एक अनिवार्य आवश्यकता है। इसमें निवेशक को अपनी पहचान और पते का प्रमाण देना होता है।

लार्ज कैप फंड: लार्ज कैप इक्विटी फंड की एक कैटेगरी है। यह मुख्य रूप से 20,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक के बड़े बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में निवेश करती है।

लिक्विड फंड: लिक्विड फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं जो बहुत कम समय अवधि और उच्च विश्वसनीयता के साथ मनी मार्केट (एफडी आदि) में निवेश करते हैं। ये लगभग शून्य जोखिम वाले म्यूचुअल फंड हैं।

लॉक-इन पीरियड: यह निवेश की तिथि से लेकर उस समय तक की अवधि है जिसके लिए असेट को वापस नहीं लिया जा सकता। जैसे- टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में 3 साल का लॉक-इन होता है।

मार्केट कैप: मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी का बाजार मूल्य है। इसकी गणना शेयरों की संख्या को मौजूदा कीमत से गुणा करके की जा सकती है।

औसत रिटर्न: औसत रिटर्न किसी फंड द्वारा कुछ समय में जुटाए गए रिटर्न का औसत होता है।

मिड कैप फंड: मिड कैप इक्विटी फंड की एक कैटेगरी है। यह मुख्य रूप से 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ के बाजार पूंजीकरण वाली मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करती है।

न्यूनतम अतिरिक्त निवेश: वह न्यूनतम राशि है जिसे आप निवेश कर सकते हैं यदि आपने पहले से ही फंड में निवेश किया हुआ है।

न्यूनतम निवेश: न्यूनतम निवेश एक बार में किया जाने वाला कम से कम निवेश है जो फंड पहली बार निवेश के रूप में स्वीकार करता है।

NAV (Net Asset Value): यह किसी विशिष्ट तिथि या समय पर म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) का प्रति शेयर मूल्य है।

NFO (New Fund Offer): नया फंड ऑफर तब होता है जब कोई म्यूचुअल फंड लॉन्च किया जाता है। इससे फर्म को सिक्योरिटीज खरीदने के लिए पूंजी जुटाने की अनुमति मिलती है।

निफ्टी: निफ्टी भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुरू किया गया प्राथमिक स्टॉक इंडेक्स है।

नॉमिनी: नॉमिनी वह व्यक्ति है जो संबंधित व्यक्ति की मौत होने पर लाभ प्राप्त करता है।

पैन (PAN): पैन का मतलब स्थायी खाता संख्या है। इसे आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। 10 अक्षरों का यह अल्फा-न्यूमेरिक कोड है। भारत में कोई भी वित्तीय लेन-देन करने के लिए पैन अनिवार्य है।

पोर्टफोलियो: किसी व्यक्ति के लिए पोर्टफोलियो उसके द्वारा रखे गए वित्तीय निवेशों का संग्रह होता है।

PSU (Public Sector Undertaking): PSU राज्य या संघ सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां हैं।

रेटिंग: रेटिंग एक प्रोडक्ट को कई फैक्टर के आधार पर सिक्योरिटी के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन या आकलन के बाद दिया गया स्कोर है।

रिडीम: रिडीम का मतलब है म्यूचुअल फंड बेचकर निवेश किया गया पैसा वापस लेना।

रिडेम्पशन: रिडेम्पशन म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए पैसे को वापस लेना है।

रेगुलर फंड: नियमित फंड वे फंड होते हैं जिन्हें सलाहकार, ब्रोकर या वितरक जैसे मध्यस्थ के माध्यम से खरीदा जाता है।

रिटर्न: रिटर्न किसी निवेश पर होने वाला लाभ या हानि है।

जोखिम: जोखिम का मतलब निवेश में अनिश्चितता है।

रिस्क-फ्री रेट: यह बिना किसी जोखिम वाले निवेश पर मिलने वाली रेट है। हम जोखिम-मुक्त दर के लिए SBI 3-महीने की FD रेट का उपयोग कर सकते हैं।

RTA (Registrar and Transfer Agent): रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट एक एजेंसी है। इसे म्यूचुअल फंड द्वारा म्यूचुअल फंड यूनिटों के एलोकेशन या रिडेम्पशन को संभालने के लिए नियुक्त किया जाता है।

सेक्टर एलोकेशन: वित्तीय सेवाओं, आईटी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में म्यूचुअल फंड की होल्डिंग का बंटवारा।

सेक्टर फंड्स: वह फंड जो केवल उन व्यवसायों में निवेश किया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र या उद्योग में काम करते हैं।

सेंसेक्स: यह समग्र शेयर बाजार का संकेत है। यह फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन पर 30 कंपनियों के सापेक्ष मूल्य को बताता है।

SID (Scheme Information Document): यह म्यूचुअल फंड के बारे में सभी जानकारी देता है। आम तौर पर 50+ पेज का दस्तावेज होता है।

SIP (Systematic Investment Plan): SIP म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से पैसा निवेश करने का तरीका है।

SIP मिनिमम: यह वह न्यूनतम निवेश राशि है जो आपको म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश करना होता है।

स्मॉल कैप फंड: स्मॉल कैप ऐसी कंपनियों की कैटेगरी है जिनका मार्केट कैप 3000 करोड़ रुपये से कम है।

STP (Systematic Transfer Plan): STP SWP (Systematic Withdrawl Plan) और SIP (Systematic Investment Plan) का कॉम्बिनेशन है।

SWP (Systematic Withdrawl Plan): SWP व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) के विपरीत है। इसमें नियमित अंतराल पर फंड से पैसे निकाले जाते हैं।

अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म एक प्रकार का डेब्ट म्यूचुअल फंड है। यह एक साल से कम की औसत मैच्योरिटी वाली डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश करता है।

UTR (Unique Transaction Reference): UTR नं. NEFT या RTGS ट्रांजेक्शन करने पर बैंक द्वारा दिया जाता है।

XIRR: XIRR, IRR (Internal Rate of Return) का मॉडिफाइड फॉर्म है। यह लेन-देन की संख्या दो से अधिक और अनियमित अंतराल पर होने पर समग्र रिटर्न की गणना करने में मदद करता है।

निलंबित फंड: म्यूचुअल फंड जो एसआईपी या एकमुश्त राशि के माध्यम से नए निवेश लेना बंद कर देते हैं, उन्हें निलंबित फंड माना जाता है।

यूनिट: यूनिट्स किसी व्यक्ति के म्यूचुअल फंड में स्वामित्व की सीमा को बताती हैं।

फोलियो: फोलियो वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि का एक समूह है।